UPSC हेतु प्रासंगिकता GS Paper 3 – पर्यावरण, कृषि, ऊर्जा, और तकनीकी विकास प्रीलिम्स – सरकारी योजनाएं व पहल, नीति आयोग, SDGs GS Paper 2 – अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, कृषि नीति, सामुदायिक सशक्तिकरण Essay – Food to Nutrition Security, Sustainable Agriculture |
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में 7–9 अगस्त 2025 एक ऐतिहासिक अवसर रहा, जब नई दिल्ली स्थित ICAR-पूसा, IARI परिसर में एम. एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया और इसे प्रोफेसर स्वामीनाथन के खाद्य सुरक्षा, सतत कृषि और पर्यावरण संरक्षण में योगदान को समर्पित बताया।
मुख्य बिंदु
- इस सम्मेलन का विषय “सदाबहार क्रांति, जैव-सुख का मार्ग” है, जो प्रो. स्वामीनाथन के सभी के लिए भोजन सुनिश्चित करने के प्रति आजीवन समर्पण को दर्शाता है।
- पीएम ने स्वामीनाथन को महान वैज्ञानिक और ‘जनसेवा का माध्यम विज्ञान’ बनाने वाला बताया, जिनकी सोच सदियों तक नीति निर्माण में मार्गदर्शक बनी रहेगी ।
- कार्यक्रम में प्रो. स्वामीनाथन की विरासत को सम्मानित करने के लिए एम. एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (MSSRF) और द वर्ल्ड एकेडमी ऑफ साइंसेज (TWAS) द्वारा संयुक्त रूप से ‘खाद्य एवं शांति के लिए एमएस स्वामीनाथन पुरस्कार’ (एम. एस. स्वामीनाथन फूड एंड पीस अवॉर्ड) शुरू किया।
यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को प्रदान किया जाएगा जिन्होंने — - वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से कृषि और खाद्य प्रणालियों में सुधार किया हो।
- नीति विकास में ऐसी पहल की हो जो किसानों और वंचित वर्गों के लिए स्थायी लाभकारी हो।
- जमीनी स्तर पर सहभागिता द्वारा स्थानीय समुदायों को सशक्त किया हो।
- स्थानीय क्षमता निर्माण के जरिए आत्मनिर्भरता और दीर्घकालिक विकास को प्रोत्साहित किया हो।
- इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने नाइजीरिया के प्रोफेसर एडेनले को वैज्ञानिक और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में वैश्विक योगदानकर्ता के रूप में पहला पुरस्कार भी प्रदान किया।
एम. एस. स्वामीनाथन के बारे में (1925-2023)
हरित क्रांति
भारत में हरित क्रांति के मुख्य प्रेरक एवं हरित क्रांति के जनक (1960 के दशक में) माने जाते हैं।
- उन्होंने नार्मन बोरलॉग के सहयोग से उच्च उपज वाली गेहूं एवं चावल की किस्मों को विकसित कर, भारत को खाद्य आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया।
- दाल, गेहूँ और चावल की उपज में विशेषकर पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में
- अभूतपूर्व वृद्धि हुई।
“सदाबहार क्रांति” की अवधारणा
- 1990 में उन्होंने सदाबहार क्रांति की परिकल्पना दी जिसका उद्देश्य था पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना” पूरी अवधि तक कृषि उत्पादन बनाए रखना ।
नीति निर्माण एवं संस्थागत योगदान
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आई.सी.ए.आर.) के महानिदेशक (1972–1980) रहे।
- अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान (आई.आर.आर.आई., फिलीपींस) के निदेशक रहे।
- राष्ट्रीय किसान आयोग (2004) के अध्यक्ष के रूप में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) और किसान कल्याण सुधारों की सिफारिशें दीं।
- एम. एस. स्वामीनाथन अनुसंधान फाउंडेशन (एम.एस.एस.आर.एफ.) की स्थापना (1988) की जो सतत कृषि व ग्रामीण विकास हेतु कार्यरत है ।
3. प्रमुख पुरस्कार :
- विश्व खाद्य पुरस्कार (1987) — हरित क्रांति में योगदान पर प्रथम प्राप्तकर्ता; पुरस्कार राशि का उपयोग एम.एस.एस.आर.एफ. (MSSRF) की स्थापना में किया गया।
- भारत सरकार द्वारा पद्मश्री (1967), पद्मभूषण (1972), और पद्मविभूषण (1989) से सम्मानित।
- अन्य अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों में शामिल हैं — रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (1971), अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार (1986), टायलर पुरस्कार, UNEP सासाकावा पर्यावरण पुरस्कार (1994), यूनेस्को गांधी स्वर्ण पदक (1999) और यूएनईपी द्वारा ‘इकोनॉमिक इकोलॉजी के जनक’ की उपाधि।
- भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ (2024) से भी वे सम्मानित हुए।
UPSC PRACTICE QUE
निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
- डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन को “भारतीय हरित क्रांति का जनक” कहा जाता है।
- उन्होंने “सदैव हरित क्रांति” की अवधारणा दी।
- वे पहले भारतीय हैं जिन्हें विश्व खाद्य पुरस्कार प्राप्त हुआ।
कूट:
(A) केवल 1 और 2
(B) केवल 2 और 3
(C) केवल 1 और 3
(D) 1, 2 और 3
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