टीबी उन्मूलन पर वैश्विक विमर्श को पुनर्परिभाषित करना

यूपीएससी प्रासंगिकता

Prelims: टीबी संचरण, जोखिम कारक, नैदानिक उपकरण, NTEP, निक्षय योजनाएँ, MDR/XDR-TB, भारत के टीबी उन्मूलन लक्ष्य।Mains (GS-II/III): स्वास्थ्य प्रशासन, सेवा वितरण, सामाजिक सुरक्षा और रोग नियंत्रण।

चर्चा में क्यों?

भारत के पोर्टेबल आणविक नैदानिक सिस्टम—विशेष तौर पर बैटरी-संचालित PCR मशीनें—टीबी की त्वरित पहचान और दवा-प्रतिरोध निदान में विश्व स्तर पर प्रशंसित हो रही हैं। कम संसाधन वाले क्षेत्रों में टीबी नियंत्रण के लिए इन्हें अब वैश्विक मॉडल के रूप में देखा जा रहा है।

पृष्ठभूमि

लंबे समय तक टीबी का पता लगाने के लिए मुख्य रूप से दो तकनीकों पर निर्भरता थी:

  • स्मियर माइक्रोस्कोपी: सस्ती, पर संवेदनशीलता कम।
  • कल्चर टेस्ट: अत्यंत सटीक, पर 4–8 सप्ताह का समय लगने से निदान में भारी देरी होती थी।

इस देरी ने संक्रमण के अनियंत्रित प्रसार और मृत्यु दर को बढ़ाया।
पोर्टेबल पॉइंट-ऑफ-केयर PCR मशीनों के आने से स्थिति बदली—ये 1 घंटे से भी कम समय में टीबी और दवा-प्रतिरोध दोनों का पता लगा लेती हैं। NTEP के तहत इनका उपयोग तेजी से बढ़ा है।

टीबी नियंत्रण के लिए भारत का बदलता दृष्टिकोण

1. विकेन्द्रीकृत निदान (Decentralised Diagnostics)

भारत ने व्यापक स्तर पर लागू किया:

  • NAAT-आधारित परीक्षण: Truenat, CBNAAT
  • AI-सक्षम डिजिटल एक्स-रे

परिणाम:

  • निदान में देरी कम
  • उसी दिन उपचार की शुरुआत
  • DR-TB की बेहतर पहचान

भारत के किफायती पोर्टेबल उपकरण अब उप-सहारा अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया और शरणार्थी शिविरों में भी उपयोग हो रहे हैं—भारत को वैश्विक स्वास्थ्य-तकनीक नेता के रूप में स्थापित करते हुए।

2. राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP)

  • लक्ष्य: 2025 तक टीबी उन्मूलन (वैश्विक लक्ष्य—2030)
  • राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (NSP) 2017–25: Detect → Treat → Prevent → Build

मुख्य स्तंभ:

  • निजी क्षेत्र का एकीकरण
  • उच्च जोखिम समूहों की सक्रिय स्क्रीनिंग
  • सामाजिक सुरक्षा + पोषण सहायता
  • आधुनिक एवं छोटे उपचार रेजिमेन

प्रमुख उपलब्धियाँ

पैरामीटरनवीनतम स्थितिटिप्पणी
मामलों की सूचना26 लाख (2024)अब तक का सबसे अधिक
घटना में गिरावट18% (2015–23)वैश्विक औसत ~8%
मृत्यु दर21% कमी28→22 प्रति लाख
उपचार कवरेज~85%अधिकांश मरीज पूर्ण इलाज पा रहे हैं

दवा-प्रतिरोधी टीबी के लिए भारत की रणनीति

  • बेडाक्विलाइन-आधारित सभी-मौखिक रेजिमेन का विस्तार
  • mBPaL रेजिमेन अपनाने से ~80% सफलता (वैश्विक औसत 60%)
  • DST नेटवर्क को मजबूत किया गया

महत्व: DR-TB महंगा, जटिल और तेजी से फैलने वाला है। विश्व के टीबी बोझ का 27% भारत में होने के कारण इसकी सफलता वैश्विक परिदृश्य को सीधे प्रभावित करती है।

प्रमुख सरकारी पहलें

1. प्रधान मंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान

विश्व का सबसे बड़ा समुदाय-नियंत्रित पोषण समर्थन अभियान।

  • निक्षय मित्र: 2.55 लाख स्वयंसेवक भोजन सहायता दे रहे हैं
  • निक्षय पोषण योजना: 1.28 करोड़ लाभार्थी, सहायता ₹1,000/माह

2. 100-दिवसीय टीबी मुक्त भारत अभियान

  • 12.9 करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग
  • 7.19 लाख नए मामले (कई लक्षणरहित)

महत्व: प्रारंभिक पहचान से संचरण श्रृंखला टूटती है।

टीबी: यूपीएससी हेतु प्रमुख तथ्य

  • कारक एजेंट: Mycobacterium tuberculosis
  • संचरण: वायुजनित बूंदें
  • रोग जोखिम: केवल 5–10% संक्रमित व्यक्ति सक्रिय टीबी विकसित करते हैं
  • जोखिम कारक: कुपोषण, HIV, मधुमेह, तंबाकू
  • मानक उपचार: 4–6 माह
  • MDR-TB: Isoniazid + Rifampicin के प्रति प्रतिरोध
  • XDR-TB: MDR + प्रमुख द्वितीय-पंक्ति दवाओं के प्रति प्रतिरोध
  • HIV संक्रमित: ~16 गुना अधिक जोखिम

टीबी उन्मूलन में प्रमुख चुनौतियाँ

  • कुपोषण और गरीबी: भारत में 40% मामलों का कारण
  • भीड़भाड़ और खराब वेंटिलेशन: तीव्र प्रसार
  • छूटा हुआ निदान: लक्षण सामान्य फ्लू से मिलते-जुलते
  • कलंक: मरीज बीमारी छिपाते हैं → देर से निदान → संक्रमण बढ़ता है
  • बचपन की टीबी: निदान कठिन
  • MDR-TB: तर्कहीन एंटीबायोटिक उपयोग
  • कार्यान्वयन चुनौतियाँ: DBT में देरी, कार्यबल की कमी, राज्यों का असमान प्रदर्शन

प्रौद्योगिकी और नवाचार

भारत ने अपनाया:

  • AI-आधारित एक्स-रे
  • पोर्टेबल NAAT मशीनें
  • निक्षय पोर्टल → रियल-टाइम मॉनिटरिंग
  • Video-DOTS, SMS आधारित अनुपालन
  • GIS आधारित हॉटस्पॉट मैपिंग

ये उपकरण मानवीय त्रुटि कम करते हैं और उपचार अनुपालन बढ़ाते हैं।

वैश्विक संदर्भ

  • भारत WHO की End TB Strategy का प्रमुख स्तंभ
  • भारतीय डायग्नोस्टिक मशीनें 20+ LMICs को निर्यात
  • भारत M72/AS01E और MTB-VAC टीकों के ट्रायल में अग्रणी

आवश्यक लक्षित हस्तक्षेप

  • बेघर आबादी को ‘असुरक्षित समूह’ में शामिल करना
  • खदानों/कारखानों/निर्माण स्थलों में अनिवार्य स्क्रीनिंग
  • DBT + समुदाय आधारित पोषण सहायता
  • पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में NAAT मशीनें बढ़ाना
  • मानसिक स्वास्थ्य सहयोग से कलंक कम करना
  • प्रवासी और शहरी झुग्गी आबादी में मजबूत निगरानी
  • मल-आधारित NAAT से बचपन की टीबी पहचान सुदृढ़ करना

निरंतर निवेश की आवश्यकता

टीबी उन्मूलन केवल निदान से संभव नहीं। भारत को समग्र निवेश की आवश्यकता है:

  • पोषण
  • टीके
  • डिजिटल अनुपालन
  • संपर्क अनुरेखण
  • समुदाय सहभागिता

निष्कर्ष

भारत ने तेज निदान, घटना में गिरावट, DR-TB प्रबंधन और समुदाय भागीदारी में उल्लेखनीय प्रगति की है।
 लेकिन पूर्ण उन्मूलन के लिए आवश्यक है कि:

  • असुरक्षित समूहों को केंद्र में रखा जाए
  • राज्यों की कार्यान्वयन क्षमता बढ़े
  • पोषण + निदान में निरंतर निवेश हो
  • सामाजिक कलंक और असमानताओं को खत्म किया जाए

टीबी केवल एक जीवाणुजनित रोग नहीं—यह असमानता से जुड़ा रोग है। इसका उन्मूलन तभी संभव है जब हम चिकित्सा और सामाजिक दोनों निर्धारकों को एक साथ संबोधित करें।

UPSC Prelims Practice Questions

प्रश्न 1.क्षय रोग (टीबी) के बारे में निम्नलिखित में से कौन से कथन सही हैं?
  1. टीबी एक जीवाणु संक्रमण के कारण होता है और मुख्य रूप से हवा के माध्यम से फैलता है।
  2. केवल लक्षण वाले व्यक्ति ही टीबी फैला सकते हैं।
  3. भारत में टीबी के प्रमुख जोखिम कारकों में से एक कुपोषण है।
  4. एचआईवी मरीज़ सक्रिय टीबी रोग विकसित करने के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं।

सही उत्तर चुनें:
 क) केवल 1 और 3
 ख) केवल 1, 3 और 4
 ग) केवल 2 और 4
 घ) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: ख)
व्याख्या:
  • कथन 1 सही है — टीबी Mycobacterium tuberculosis से होता है और हवा द्वारा फैलता है।
  • कथन 2 गलत है — केवल सक्रिय टीबी मरीज़ संक्रमण फैला सकते हैं; अव्यक्त (latent) टीबी वाले व्यक्ति संक्रामक नहीं होते।
  • कथन 3 सही — भारत में कुपोषण टीबी का प्रमुख जोखिम कारक है।
  • कथन 4 सही — एचआईवी रोगियों में प्रतिरक्षा कम होती है, इसलिए सक्रिय टीबी का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है।

प्रश्न 2.निम्नलिखित युग्मों पर विचार करें:

सरकारी पहलउद्देश्य
1. निक्षय पोषण योजनाटीबी मरीज़ों के पोषण के लिए सीधा वित्तीय समर्थन।
2. निक्षय मित्रटीबी मरीज़ों के लिए सामुदायिक गोद लेना और सहायता।
3. mBPaL व्यवस्थाएमडीआर-टीबी के लिए दीर्घकालिक इंजेक्शन-आधारित उपचार।

उपरोक्त में से कौन सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं?
 क) केवल 1 और 2
 ख) केवल 2 और 3
 ग) केवल 1 और 3
 घ) तीनों

उत्तर: क)
व्याख्या:
  • युग्म 1 सही — निक्षय पोषण योजना DBT के माध्यम से पोषण सहायता प्रदान करती है।
  • युग्म 2 सही — निक्षय मित्र कार्यक्रम समुदाय द्वारा मरीजों को गोद लेकर सहायता प्रदान करता है।
  • युग्म 3 गलत — mBPaL कम अवधि वाली पूरी तरह मौखिक (all-oral) MDR-TB व्यवस्था है; यह इंजेक्शन-आधारित उपचार नहीं है।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न

GS-II / GS-III (स्वास्थ्य)

प्रश्न: “प्रमुख तकनीकी और कार्यक्रमगत सुधारों के बावजूद, भारत में तपेदिक (टीबी) असमानता का एक रोग बना हुआ है।” टीबी उन्मूलन में प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिए और मूल्यांकन कीजिए कि भारत के हालिया नवाचार और नीतिगत सुधार इस रोग के चिकित्सीय और सामाजिक दोनों निर्धारकों का समाधान कैसे कर सकते हैं। (शब्द सीमा: 250)                                                                                             स्रोत: द हिंदू

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