UPSC CSE के लिए प्रासंगिकता:
- GS Paper-3: पर्यावरण और पारिस्थितिकी (Environment and Ecology), जलवायु परिवर्तन (Climate Change), शहरीकरण (Urbanization), और भारत की जलवायु नीति (Climate Policy)।
समाचार में क्यों है (Why in News):
- हाल ही में, विश्व बैंक की रिपोर्ट “Towards Resilient and Prosperous Cities in India” ने भारतीय शहरी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और उनसे निपटने के लिए आवश्यक निवेश की आवश्यकता को उजागर किया है।
- रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक जलवायु-लचीला बुनियादी ढाँचा (Climate-Resilient Infrastructure) विकसित करने के लिए 2.4 ट्रिलियन डॉलर का निवेश आवश्यक है।
- यह रिपोर्ट वर्तमान में समाचारों में चर्चा का विषय है, क्योंकि यह भारत की शहरी नीति (Urban Policy) और जलवायु रणनीतियों (Climate Strategies) के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है।

प्रस्तावना (Introduction)
जलवायु परिवर्तन (Climate Change) एक गंभीर वैश्विक संकट (Global Crisis) बन चुका है, जो पूरी दुनिया के पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem), अर्थव्यवस्था (Economy), और समाज (Society) को प्रभावित कर रहा है। यह दुनिया के प्राकृतिक संसाधनों (Natural Resources), प्राकृतिक संतुलन (Natural Balance) और मानव जीवन (Human Life) को प्रभावित करने वाले कई मुद्दों का कारण बनता है। जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण मानव गतिविधियाँ (Human Activities) हैं, जैसे कि ग्रीनहाउस गैसों (Greenhouse Gases) का उत्सर्जन (Emission), औद्योगिकीकरण (Industrialization), और भूमि उपयोग परिवर्तन (Land Use Changes)।
जलवायु परिवर्तन के कारण (Causes of Climate Change)
जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के मुख्य कारणों को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
- प्राकृतिक कारण (Natural Causes):
- महाद्वीपीय भटकाव (Continental Drift): यह सिद्धांत (Theory) कहता है कि महाद्वीपों (Continents) का स्थान बदलने से जलवायु पर प्रभाव पड़ता है।
- ज्वालामुखी (Volcanic Activity): ज्वालामुखी विस्फोट (Volcanic Eruptions) से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसें (Greenhouse Gases) और राख (Ash) पृथ्वी के तापमान (Temperature) में वृद्धि करती हैं।
- मानवजनित कारण (Anthropogenic Causes):
- ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन (Emission of Greenhouse Gases): सबसे बड़ा कारण कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), मीथेन (Methane), और नाइट्रस ऑक्साइड (Nitrous Oxide) जैसी ग्रीनहाउस गैसों (Greenhouse Gases) का उत्सर्जन है, जो जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देते हैं।
- भूमि उपयोग परिवर्तन (Land Use Changes): वनों की कटाई (Deforestation) और शहरीकरण (Urbanization) के कारण कार्बन अवशोषण (Carbon Sequestration) कम हो जाता है और यह जलवायु परिवर्तन को बढ़ाता है।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव (Impacts of Climate Change)
जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का असर केवल पर्यावरण (Environment) तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन (Human Life), कृषि (Agriculture), और आर्थिक संरचना (Economic Structure) को भी प्रभावित कर रहा है।
- वातावरणीय प्रभाव (Environmental Impacts):
- ग्लेशियरों का पिघलना (Melting of Glaciers): जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय (Himalayas) और आर्कटिक (Arctic) क्षेत्रों के ग्लेशियर (Glaciers) तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे समुद्र स्तर (Sea Level) बढ़ रहा है।
- समुद्र स्तर में वृद्धि (Rise in Sea Level): समुद्र स्तर (Sea Level) की वृद्धि के कारण तटीय क्षेत्रों (Coastal Areas) में बाढ़ (Flooding) और जलमग्नता (Submergence) की समस्या बढ़ रही है।
- अम्लीकरण (Ocean Acidification): अधिक CO2 के अवशोषण (Absorption) के कारण महासागरों का अम्लीकरण (Acidification) हो रहा है, जिससे समुद्री जीवन (Marine Life), विशेषकर कोरल (Corals) और प्लांकटन (Plankton) को नुकसान हो रहा है।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव (Health Impacts):
- गर्मी की लहरें (Heatwaves): जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी की लहरों (Heatwaves) में वृद्धि हो रही है, जिससे मृत्यु दर (Mortality Rate) में वृद्धि हो रही है।
- संक्रमण रोगों में वृद्धि (Increase in Infectious Diseases): मच्छर जनित रोगों (Vector-borne Diseases) और जल जनित रोगों (Water-borne Diseases) में वृद्धि हो रही है।
- कृषि पर प्रभाव (Impacts on Agriculture):
- सूखा (Drought): भारत जैसे देशों में, सूखा (Drought) लगातार बढ़ रहा है, जिससे खाद्यान्न उत्पादन (Food Production) पर प्रतिकूल प्रभाव (Adverse Effect) पड़ रहा है।
- वृष्टि पैटर्न में बदलाव (Change in Rainfall Patterns): मानसून (Monsoon) की अनियमितता (Irregularity) और भारी वर्षा (Heavy Rainfall) के कारण कृषि क्षेत्र (Agricultural Sector) प्रभावित हो रहा है।
- आर्थिक प्रभाव (Economic Impacts):
- उत्पादकता में कमी (Loss in Productivity): जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि (Agriculture), उद्योग (Industry) और ऊर्जा (Energy) क्षेत्र में उत्पादकता (Productivity) में कमी आ रही है।
- जलवायु परिवर्तन से आर्थिक नुकसान (Economic Losses from Climate Change): जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण कृषि, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचा (Infrastructure) क्षेत्रों में भारी नुकसान हो सकता है।
भारत में जलवायु परिवर्तन (Climate Change in India)
भारत (India) जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील (Vulnerable) देश है। यहाँ के तटीय क्षेत्रों (Coastal Areas), हिमालयी क्षेत्रों (Himalayan Regions) और कृषि-निर्भर क्षेत्रों (Agriculture-dependent Regions) को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना करना पड़ रहा है।
भारत के लिए जलवायु परिवर्तन रणनीतियाँ (India’s Climate Change Strategies)
भारत सरकार (Government of India) ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई राष्ट्रीय रणनीतियाँ (National Strategies) बनाई हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:
- राष्ट्रीय सौर मिशन (National Solar Mission):
भारत का राष्ट्रीय सौर मिशन (National Solar Mission) सौर ऊर्जा (Solar Energy) के उपयोग को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य 2030 तक 40% बिजली (Electricity) सौर ऊर्जा से प्राप्त करना है। - राष्ट्रीय जल मिशन (National Water Mission):
यह मिशन जल संसाधनों (Water Resources) के संरक्षण और उनके कुशल उपयोग (Efficient Use) पर केंद्रित है, ताकि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के प्रभावों से निपटा जा सके। - राष्ट्रीय वन मिशन (National Forest Mission):
यह मिशन वनों (Forests) के संरक्षण और विस्तार (Expansion) के लिए काम करता है, ताकि कार्बन अवशोषण (Carbon Sequestration) बढ़ सके।
जलवायु परिवर्तन के समाधान (Solutions to Climate Change)
जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को नियंत्रित करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy), कार्बन उत्सर्जन में कमी (Carbon Emission Reduction), और सतत विकास (Sustainable Development) जैसी रणनीतियाँ अपनाई जा रही हैं:
- ग्रीन हाउस गैसों का नियंत्रण (Controlling Greenhouse Gases):
ग्रीन हाउस गैसों (Greenhouse Gases) के उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) का उपयोग बढ़ाना और जीवाश्म ईंधनों (Fossil Fuels) पर निर्भरता को कम करना होगा। - कार्बन संग्रहण (Carbon Sequestration):
वृक्षारोपण (Afforestation) और जैविक कार्बन संग्रहण (Biological Carbon Sequestration) तकनीकों का विकास (Development) करना आवश्यक है। - जलवायु परिवर्तन के जोखिम बीमा (Climate Change Risk Insurance):
भारत में कृषि क्षेत्र (Agricultural Sector) के लिए जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से निपटने के लिए जलवायु परिवर्तन जोखिम बीमा (Climate Change Risk Insurance) का विस्तार किया जा रहा है।
वैश्विक प्रयास और संधियाँ (Global Efforts and Agreements)
- पेरिस समझौता (Paris Agreement):
पेरिस समझौते (Paris Agreement) के तहत, दुनिया भर के देश 2°C तक तापमान वृद्धि (Temperature Rise) को सीमित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस समझौते में विकसित देशों (Developed Countries) को विकसित देशों (Developing Countries) के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने का वादा किया गया है। - किगाली समझौता (Kigali Amendment):
यह समझौता HFCs (Hydrofluorocarbons) के उत्सर्जन (Emission) को कम करने के लिए है, जो ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के प्रमुख कारण हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
जलवायु परिवर्तन (Climate Change) आज एक वैश्विक संकट (Global Crisis) बन चुका है, जो न केवल पर्यावरण (Environment), बल्कि समाज (Society) और अर्थव्यवस्था (Economy) को भी प्रभावित कर रहा है। इसे प्रभावी रूप से नियंत्रित (Control) करने के लिए वैश्विक सहयोग (Global Cooperation), सशक्त नीति निर्माण (Policy Making), और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन (Adaptation) की दिशा में निरंतर प्रयास (Continuous Efforts) किए जाने की आवश्यकता है।
पिछले वर्षों के परीक्षा प्रश्न
- Q. क्या यू एन एफ सी सी सी (UNFCCC) के अधीन स्थापित कार्बन क्रेडिट और स्वच्छ विकास यांत्रिकताओं का अनुसरण जारी रखा जाना चाहिए, यद्यपि कार्बन क्रेडिट के मूल्य में भारी गिरावट आयी है? आर्थिक समृद्धि के लिए भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं की दृष्टि से चर्चा कीजिए। – 2014, 15 Marks, 250 Words.
- Q. ‘जलवायु परिवर्तन’ एक वैश्विक समस्या है। भारत जलवायु परिवर्तन से किस प्रकार प्रभावित होगा? जलवायु परिवर्तन के द्वारा भारत के हिमालयी और समुद्रतटीय राज्य किस प्रकार प्रभावित होंगे? – 2017, 15 Marks, 250 Words.
- Q. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (यू.एन.एफ.सी.सी.सी.) के सी.ओ.पी. के 26वें सत्र के प्रमुख निष्कर्षों का वर्णन कीजिए। इस सम्मेलन में भारत द्वारा की गई प्रतिबद्धताएँ क्या हैं? – 2021, 15 Marks, 250 Words.
- Q.ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक ताप) की चर्चा कीजिए और वैश्विक जलवायु पर इसके प्रभावों का उल्लेख कीजिए। क्योटो प्रोटोकॉल, 1997 के आलोक में ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनने वाली ग्रीनहाउस गैसों के स्तर को कम करने के लिए नियंत्रण उपायों को समझाइए। – 2022, 10 Marks, 150 Words.
- Q. जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आई. पी. सी. सी.) ने वैश्विक समुद्र-स्तर में 2100 ईस्वी तक लगभग एक मीटर की वृद्धि का पूर्वानुमान लगाया है। हिन्द महासागर क्षेत्र में भारत और दूसरे देशों में इसका क्या प्रभाव होगा?– 2023, 15 Marks, 250 Words.
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