इस लेख से क्या अपेक्षा करें:
- UPSC के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC)
- प्रसंग (Context): मानव तस्करी (Human Trafficking) और डिजिटल शोषण (Digital Exploitation) का दोहरा संकट
- प्रमुख आंकड़े (Key Data) और राज्यवार प्रभाव (State-wise Impact)
- प्रमुख साइबर घोटालों (Major Cyber Scams) के प्रकार (Types)
- प्रमुख कारण (Root Causes) और खामियां (Loopholes)
- भारत द्वारा उठाए गए कदम (Policy Response)
- आगे की राह (Way Forward)
- अभ्यास प्रश्न (UPSC Practice Questions)
UPSC के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC):
GS-II (सुशासन और आंतरिक सुरक्षा – Governance & International Relations)
- प्रवासी सुरक्षा (Migrant Security), अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (International Cooperation), साइबर कूटनीति (Cyber Diplomacy)
GS-III (अर्थव्यवस्था और साइबर सुरक्षा – Economy & Internal Security – Cybersecurity)
- डिजिटल धोखाधड़ी का आर्थिक प्रभाव
- नीति उपाय और अंतर-राज्य समन्वय
निबंध / नैतिकता (Essay / Ethics):
- “तकनीक जब तक नियंत्रित न हो, तब तक वह शोषण है”
- भारत के युवा और डिजिटल शोषण
प्रसंग (Context): मानव तस्करी (Human Trafficking) और डिजिटल शोषण (Digital Exploitation) का दोहरा संकट
भारत आज एक गंभीर दोहरी चुनौती का सामना कर रहा है — पहली, नकली नौकरियों के नाम पर मानव तस्करी (Human Trafficking) और दूसरी, विदेशों से संचालित डिजिटल धोखाधड़ी (Cyber Fraud) जो दक्षिण-पूर्व एशिया (South-East Asia) से फैली हुई है।
जनवरी 2022 से मई 2025 के बीच 2,471 भारतीय नागरिकों (Indian Citizens) को स्कैम कंपाउंड्स (Scam Compounds) से बचाया गया, जिन्हें कंबोडिया (Cambodia), म्यांमार (Myanmar), लाओस (Laos), वियतनाम (Vietnam) और थाईलैंड (Thailand) में धोखे से ले जाकर जबरन साइबर अपराध (Cybercrime) करवाया जा रहा था।
सिर्फ जनवरी से अप्रैल 2024 के बीच भारत ने ₹1,776 करोड़ की आर्थिक क्षति झेली, जैसा कि भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (Indian Cyber Crime Coordination Centre – I4C) और गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) के आंकड़ों से पता चलता है।

प्रमुख आंकड़े (Key Data) और राज्यवार प्रभाव (State-wise Impact)
बचाए गए नागरिक (Rescued Citizens):
- कुल संख्या (Total): 2,471
- लाओस (Lao PDR) – 1,089
- कंबोडिया (Cambodia) – 800
- म्यांमार (Myanmar) – 582
सबसे अधिक प्रभावित राज्य (Most Affected States):
- तमिलनाडु (Tamil Nadu) – 273
- उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) – 247
- महाराष्ट्र (Maharashtra) – 224
- केरल (Kerala) – 196
- जम्मू और कश्मीर (Jammu & Kashmir) – 151
विज़िटर वीज़ा (Visitor Visa) पर विदेश गए लेकिन लौटे नहीं (Non-returnees):
- थाईलैंड (Thailand) – 15,828
- वियतनाम (Vietnam) – 3,566
- कंबोडिया (Cambodia) – 2,121
- म्यांमार (Myanmar) – 387
- लाओस (Lao PDR) – 243
प्रमुख साइबर घोटालों (Major Cyber Scams) के प्रकार (Types):
शेयर ट्रेडिंग घोटाला (Stock Trading Scam)
- सोशल मीडिया विज्ञापनों में फर्जी विशेषज्ञों की तस्वीरें
- नकली ट्रेडिंग ऐप्स (Trading Apps) पर निवेश
- झूठे लाभ (Fake Profits) दिखाकर और पैसे मांगे गए
- कुल नुकसान (Total Loss): ₹1,420.48 करोड़
डिजिटल गिरफ़्तारी (Digital Arrest) धोखाधड़ी
- वीडियो कॉल्स पर नकली पुलिस अधिकारी
- केस सुलझाने के नाम पर वसूली
- नुकसान: ₹120.30 करोड़
कार्य-आधारित निवेश घोटाला (Task-Based Investment Scam)
- वॉट्सएप (WhatsApp) संदेशों में “घर बैठे कमाई” का झांसा
- शुरुआती भुगतान के बाद निवेश की मांग
- प्रदर्शन स्कोर (Performance Score) सुधारने का दबाव
- नुकसान: ₹222.58 करोड़
रोमांस/डेटिंग घोटाला (Romance/Dating Scam)
- नकली प्रोफाइल (Fake Profiles) बनाकर विवाह का झांसा
- “एयरपोर्ट पर अटका है” कहकर पैसे मांगे
- नुकसान: ₹13.23 करोड़
प्रमुख कारण (Root Causes) और खामियां (Loopholes)
- झूठे वादे और विज़िटर वीज़ा (Visitor Visas):
वॉट्सएप (WhatsApp) ग्रुप्स और एजेंटों के ज़रिए फंसाया जाता है। - कानूनी जानकारी का अभाव (Lack of Legal Awareness):
प्रवासी श्रमिकों (Migrant Workers) को उनके अधिकारों (Rights) की जानकारी नहीं होती। - अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की कमी (Lack of International Cooperation):
भारत और SEA देशों के बीच मजबूत संधियाँ (Treaties) नहीं हैं। - वास्तविक समय में निगरानी नहीं (Lack of Real-Time Monitoring):
सरकार के पास प्रवासी नागरिकों (Migrant Citizens) का अद्यतन रिकॉर्ड नहीं होता।
भारत द्वारा उठाए गए कदम (Policy Response):
- आई4सी (I4C) और भारतीय दूतावासों (Indian Missions) द्वारा बचाव और वापसी सुनिश्चित की गई।
- 178 प्राथमिकी (FIRs) दर्ज, 224 गिरफ्तारियाँ (Arrests) की गईं।
- नौकरी घोटालों (Job Frauds) और साइबर अपराधों पर कार्रवाई शुरू हुई।
आगे की राह (Way Forward):
1. कानूनी समझौतों को मज़बूत करें (Legal Harmonisation):
- आसियान (ASEAN) के माध्यम से कानूनों का एकीकरण
- साइबर अपराध प्रतिरोध संधियाँ (Cybercrime Treaties) बनाएँ
2. जनजागरूकता अभियान (Awareness Campaigns):
- ग्रामीण युवाओं के लिए मीडिया, पंचायत और विद्यालय के ज़रिए प्रशिक्षण
3. सार्वजनिक–निजी भागीदारी (Public–Private Partnership):
- UPI, टेलीकॉम (Telecom) कंपनियों के साथ डेटा साझेदारी
4. दूतावासों की भूमिका बढ़ाएँ (Diplomatic Measures):
- साइबर संपर्क अधिकारी (Cyber Liaison Officers) की नियुक्ति
- कानूनी सहायता केंद्र (Legal Aid Cells) स्थापित हों
5. अन्य देशों के उदाहरण (Global Best Practices):
- सिंगापुर का साइबर सुरक्षा अधिनियम (Singapore Cybersecurity Act)
- इंडोनेशिया की BSSN एजेंसी
- ASEAN-CERT नेटवर्क सहयोग
अभ्यास प्रश्न (UPSC Practice Questions):
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims MCQ):
प्रश्न: भारत में किस दक्षिण-पूर्व एशियाई देश से साइबर अपराधों की सर्वाधिक शिकायतें मिली हैं?
- म्यांमार (Myanmar)
- लाओस (Laos)
- कंबोडिया (Cambodia)
- वियतनाम (Vietnam)
सही विकल्प चुनें:
A. 1 और 2
B. 2, 3 और 4
C. 1, 2 और 3
D. उपरोक्त सभी (All of the above)
मुख्य परीक्षा (Mains – GS-II):
प्रश्न: “भारत की साइबर धोखाधड़ी के प्रति बढ़ती संवेदनशीलता डिजिटल शासन और प्रवासी नीति की कमज़ोरियों को उजागर करती है। इस कथन की विवेचना करें और नीति सुझाव दें।” (10 Marks, 150 Words)
आगे क्या करें?
- और पढ़ें: https://cybercrime.gov.in
- Comment करें: क्या भारत को दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ साइबर अपराध संधियाँ करनी चाहिए?
- Share करें: इस लेख को उन छात्रों और युवाओं तक पहुँचाएँ जो विदेश में नौकरी की तलाश कर रहे हैं।
जागरूक रहें, सुरक्षित रहें। यही डिजिटल भारत की असली ताकत है।