पर्यावरण दिवस : प्लास्टिक प्रदूषण का अंत

प्रासंगिकता:

  • पेपर III: पर्यावरण और पारिस्थितिकी – प्लास्टिक प्रदूषण, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रयास,    चक्रीय अर्थव्यवस्था और सतत विकास,
  • पेपर II: शासन, नीतियाँ और योजनाएं, MoEFCC की नीतियाँ, शहरी स्थानीय निकायों, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
  • निबंध

संदर्भ

पर्यावरणवन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने5 जून 2025 को नई दिल्ली के भारत मंडपम् में एक राष्ट्रएक मिशन: प्लास्टिक प्रदूषण का अंत के अपने उद्घोष के साथ विश्व पर्यावरण दिवस 2025 मनाया।

विश्व पर्यावरण दिवस 2025 से पहले एक महीने तक चलने वाली पूर्व-अभियान गतिविधियों के तहत देशभर में लगभग 69,000 कार्यक्रम आयोजित किए गए जिनमें लगभग 21 लाख लोगों ने भाग लिया।

इसके अंतर्गत निम्नलिखित कार्य का संचालन

  • इस कार्यक्रम में संपूर्ण सरकार‘ और ‘संपूर्ण समाज के दृष्टिकोण के मद्देनज़र उद्योग जगत, सिविल सोसायटी, छात्रों और राज्यों तथा संबंधित केन्द्रीय मंत्रालयों के सरकारी अधिकारियों ने भाग लिया।
  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 5 जून, 2025 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक पेड़ मां के नाम पहल के तहत बरगद का एक पौधा लगाकर एक विशेष वृक्षारोपण अभियान का नेतृत्व किया और पर्यावरण संरक्षण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया।
  • यह पौधा अरावली ग्रीन वॉल परियोजना के तहत लगाया गया, जिसका उद्देश्य अरावली पर्वतमाला के 700 किलोमीटर क्षेत्र में पुनः वन लगाना है। उन्होंने दिल्ली सरकार की सतत परिवहन पहल के तहत 200 इलेक्ट्रिक बसों को भी हरी झंडी दिखाई, जो स्वच्छ शहरी गतिशीलता को बढ़ावा देंगी और पर्यावरण को स्वच्छ रखने के प्रति राष्ट्र की सामूहिक जिम्मेदारी का प्रतीक हैं।

राष्ट्रीय प्लास्टिक प्रदूषण न्यूनीकरण अभियान (एनपीपीआरसी) भी 5 जून से 31 अक्टूबर 2025 तक की अवधि के लिए शुरू किया गया है, जिसमें नई गतिविधियां संचालित की जाएंगी।

  • इस अभियान में स्वच्छता ही सेवा‘ कार्यक्रम के अंतर्गत बाघ अभ्यारण्यों और शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में प्लास्टिक प्रदूषण कम करने की गतिविधियां शामिल हैं।
  • इन गतिविधियों में विशेष अभियान 5.0 के दौरान सरकारी कार्यालयों में विशेष रूप से एकल-उपयोग प्लास्टिक के उपयोग को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • एकल-उपयोग प्लास्टिक के पर्यावरणीय विकल्पों पर एक हैकथॉन और प्लास्टिक प्रदूषण समाप्ति विषय पर कविता लेखनस्लोगन राइटिंग और नुक्कड़ नाटक जैसी प्रतियोगिताओं के माध्यम से युवाओं को शामिल करना भी इस अभियान का हिस्सा है।
  • 14 मार्च, 2024 को अधिसूचित प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2024 के अनुसार , प्रत्येक शहरी स्थानीय निकाय और जिला स्तर पर पंचायत को निर्धारित प्रपत्र में वार्षिक रिपोर्ट तैयार कर प्रत्येक वर्ष 30 जून तक क्रमशः शहरी विकास विभाग और ग्रामीण विकास विभाग को और संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या प्रदूषण नियंत्रण समिति को ऑनलाइन प्रस्तुत करनी होगी।

भारत में प्लास्टिक पर अत्यधिक निर्भर प्रमुख क्षेत्र

  1. पैकेजिंग उद्योग:
    • प्लास्टिक उपयोग का 59% हिस्सा
    • ई-कॉमर्स और कोविड-19 से मांग में वृद्धि
  2. भवन एवं निर्माण:
    • पाइप, इंसुलेशन, फिटिंग्स में प्लास्टिक
    • ‘सभी के लिए आवास’ योजना से बढ़ा उपयोग
  3. ऑटोमोटिव क्षेत्र:
    • डैशबोर्ड, बंपर, ईंधन टैंक में प्रयोग
    • EV में उन्नत प्लास्टिक कंपोजिट की मांग
  4. कृषि:
    • ड्रिप सिंचाई, मल्चिंग, ग्रीनहाउस फिल्मों में उपयोग
    • पीएम कृषि सिंचाई योजना से प्लास्टिक समाधान की मांग बढ़ी
  5. स्वास्थ्य देखभाल:
    • PPE किट, सिरिंज, वैक्सीन पैकेजिंग में प्लास्टिक
    • कोविड-19 में प्लास्टिक उपकरणों की अहम भूमिका

भारत में प्लास्टिक अपशिष्ट कुप्रबंधन से उत्पन्न प्रमुख चुनौतियाँ

  1. पर्यावरण क्षरण:
    • हर वर्ष 9.3 मिलियन टन प्लास्टिक अपशिष्ट में से 40% एकत्र नहीं होता
    • गंगा जैसी नदियाँ वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण की शीर्ष स्रोतों में शामिल
    • प्लास्टिक के विघटन में 500-1000 वर्ष, जिससे जल स्रोतों में सूक्ष्म प्लास्टिक संदूषण
  2. सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट:
    • खुले दहन से डाइऑक्सिनफ्यूरॉन जैसे रसायनों का उत्सर्जन
    • माइक्रोप्लास्टिक्स के कारण अंतःस्रावी व्यवधान, बाँझपन जैसे जोखिम
    • 2024 में भारत जल निकायों में माइक्रोप्लास्टिक छोड़ने वाले शीर्ष 4 देशों में शामिल

प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन में हालिया प्रगति (भारत)

  • 5 जून 2025 को राष्ट्रीय प्लास्टिक अपशिष्ट रिपोर्टिंग पोर्टल लॉन्च; वार्षिक रिपोर्टों का ऑनलाइन प्रस्तुतीकरण अनिवार्य
  • 1 जुलाई 2025 से कम उपयोगी और अधिक प्रदूषणकारी प्लास्टिक पर प्रतिबंध (नियम अधिसूचित: 12 अगस्त 2021)।
  • सीपीसीबी/एसपीसीबी/पीसीसी द्वारा देशभर में नियमित प्रवर्तन अभियान; अब तक 1985 टन प्लास्टिक जब्त, ₹19.82 करोड़ जुर्माना
  • भारतीय मानक ब्यूरो ने पहले ही कृषि उप-उत्पादों से बने खाद्य परोसने वाले बर्तनों के लिए भारतीय मानक IS 18267 अधिसूचित कर दिया था।
  • ईपीआर दिशानिर्देश (16 फरवरी 2022) के बाद से 157 लाख टन प्लास्टिक पैकेजिंग का पुनर्चक्रण

भारत में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन का वर्तमान ढांचा

  1. प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016
    • अपशिष्ट को कम करने, सही निपटान और पृथक्करण पर जोर
    • EPR (Extended Producer Responsibility) की शुरुआत
    • कैरी बैग की न्यूनतम मोटाई: 50 माइक्रोन
    • ग्रामीण क्षेत्रों को भी शामिल किया गया
  2. संशोधन नियम, 2018
    • MLP (Multi-layered plastic) को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना
    • उत्पादकों के लिये CPCB के तहत पंजीकरण प्रणाली शुरू
  3. संशोधन नियम, 2021
    • विशिष्ट एकल-उपयोग प्लास्टिक पर 2022 तक प्रतिबंध
    • EPR को पैकेजिंग अपशिष्ट के लिये अनिवार्य किया
    • कैरी बैग की मोटाई बढ़ाकर 120 माइक्रोन
  4. संशोधन नियम, 2022
    • पुनर्चक्रण व पुन: उपयोग के लक्ष्य अनिवार्य
    • गैर-अनुपालन पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति
    • चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
  5. संशोधन नियम, 2024
    • निर्माताओं/आयातकों के लिये पंजीकरण, रिपोर्टिंग, प्रमाणन अनिवार्य
    • उत्पादक’ और ‘आयातकर्ता’ की विस्तृत परिभाषा
    • बायोडिग्रेडेबल/कंपोस्टेबल प्लास्टिक के लिये प्रमाणन आवश्यक
    • उपभोक्ता-पूर्व प्लास्टिक अपशिष्ट की रिपोर्टिंग अनिवार्य

भारत द्वारा प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए अपनाए जा सकने वाले प्रमुख उपाय (संक्षेप में)

  1. स्रोत पर अपशिष्ट पृथक्करण को सुदृढ़ बनाना
  2. घरेलू व संस्थागत स्तर पर पृथक्करण से बेहतर पुनर्चक्रण व निपटान
  3. ULB को डिजिटल निगरानी उपकरणों के लिए वित्तीय समर्थन
  4. इंदौर मॉडल: 100% स्रोत पृथक्करण, जागरूकता + निगरानी के साथ
  5. पुनर्चक्रण अवसंरचना और चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
  6. उन्नत तकनीकें जैसे पायरोलिसिस, रासायनिक पुनर्चक्रण
  7. स्टार्टअप्स + अनौपचारिक क्षेत्र के साथ साझेदारी
  8. रिलायंस: ISCC प्लस प्रमाणन के साथ प्लास्टिक से चक्रीय पॉलिमर
  9. बायोडिग्रेडेबल व वैकल्पिक पदार्थों को बढ़ावा देना
  10. जूट, बाँस, पटसन आधारित पैकेजिंग विकल्प
  11. R&D में निवेश, सरकारी सब्सिडी और कर लाभ
  12. उपभोक्ता व व्यावसायिक शिक्षा आवश्यक
  13. EPR फ्रेमवर्क को मज़बूत बनाना
  14. EPR अनुपालन अनिवार्य, ऑडिट और डिजिटल ट्रैकिंग से निगरानी
  15. प्रोत्साहन + दंड प्रणाली लागू
  16. टायर क्षेत्र में ₹8.40/किलो EC जुर्माना मॉडल – अन्य क्षेत्रों के लिए उदाहरण
  17. अनौपचारिक क्षेत्र का औपचारिक एकीकरण
  18. सुरक्षा, प्रशिक्षण व वित्तीय स्थिरता प्रदान करें
  19. ULB अनुबंधों में शामिल करें
  20. SWaCH, पुणे मॉडल: 3000 श्रमिक, 50,000 टन अपशिष्ट/वर्ष
  21. प्रौद्योगिकी और डेटा विश्लेषण का उपयोग
  22. AI, GPS, Blockchain आधारित ट्रैकिंग
  23. रियल टाइम डेटा से निर्णय व संसाधन आवंटन
  24. मोबाइल ऐप्स से नागरिक भागीदारी व पारदर्शिता
  25. अपशिष्ट से ऊर्जा (WTE) संयंत्र विकसित करना
  26. गैर-पुनर्चक्रणीय प्लास्टिक ऊर्जा
  27. WTE संयंत्र: लैंडफिल दबाव घटाएं, पर्यावरण नियंत्रण अनिवार्य
  28. जवाहर नगर (हैदराबाद) संयंत्र – आदर्श मॉडल
  29. समुदायों को शिक्षित व सक्रिय करना
  30. स्कूल कार्यक्रम, जागरूकता अभियान, SHG भागीदारी
  31. स्थानीय नेतृत्व से ज़मीनी ज़िम्मेदारी और स्वच्छता
  32. अलप्पुझा ‘स्वच्छ शहर’ मॉडल – UN द्वारा मान्यता प्राप्त
  33. उद्योगों पर विनियमन और निगरानी
  34. कृषि, लॉजिस्टिक्स में प्लास्टिक न्यूनतम उपयोग
  35. पुनर्चक्रण कोटा व कर प्रोत्साहन से अनुकूल सामग्री का प्रयोग
  36. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और वित्तपोषण
  37. ग्लोबल साझेदारी व हरित निधियों से तकनीकी व वित्तीय समर्थन
  38. ग्लोबल प्लास्टिक एक्शन पार्टनरशिपप्लास्टिक संधि वार्ता में भागीदारी
  39. पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति और कार्रवाई:
  40. सीपीसीबी द्वारा नियमों के उल्लंघन पर प्रदूषक भुगतान सिद्धांत के तहत पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगाने का प्रावधान किया गया है।
  41. अगस्त 2024 में क्षतिपूर्ति मूल्यांकन हेतु संशोधित दिशानिर्देश जारी, जिसके तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में विचलनों पर कार्रवाई, एकल-उपयोग प्लास्टिक जब्त और जुर्माना लगाया गया

निष्कर्ष:

भारत प्लास्टिक अपशिष्ट संकट से निपटने के एक निर्णायक मोड़ पर है, जहाँ आर्थिक आवश्यकताओं और पर्यावरणीय स्थिरता के बीच संतुलन जरूरी है। इस दिशा में सरकार, उद्योग और समाज के साझा प्रयासों से चक्रीय अर्थव्यवस्था और सतत् विकल्पों को बढ़ावा देना होगा। सफल प्रबंधन न केवल पर्यावरणीय खतरे घटाएगा, बल्कि भारत को वैश्विक सतत् विकास में अग्रणी बना सकता है।

UPSC MAINS PYQ

मुख्य परीक्षा 2023
प्रश्न: प्लास्टिक प्रदूषण पर्यावरण के लिए एक गंभीर खतरा है।” इस संदर्भ में भारत सरकार द्वारा प्लास्टिक अपशिष्ट को कम करने के लिए उठाए गए कदमों पर चर्चा करें। इस समस्या से प्रभावी रूप से निपटने के लिए आगे की रणनीतियाँ सुझाएँ।

मुख्य परीक्षा 2021
प्रश्न: प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के कार्यान्वयन में क्या चुनौतियाँ हैं? अनुपालन में सुधार के लिए क्या किया जा सकता है?

मुख्य परीक्षा 2020
प्रश्न: राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) की मुख्य विशेषताओं पर चर्चा करें। प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन वायु प्रदूषण में कैसे योगदान देता है?

मुख्य परीक्षा 2019
प्रश्न: प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के तहत विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) की अवधारणा पर चर्चा करें और यह चक्रीय अर्थव्यवस्था को कैसे बढ़ावा देता है, बताएं।

मुख्य परीक्षा 2018
प्रश्न: उन बाधाओं की चर्चा करें जो देश में उत्पन्न हो रहे भारी मात्रा के ठोस अपशिष्ट के निपटान में आ रही हैं। हमारे रहने योग्य पर्यावरण में इकट्ठे हो रहे विषैले अपशिष्ट को सुरक्षित रूप से कैसे हटाया जाए?

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