यूपीएससी प्रासंगिकता ● सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2: सरकारी नीतियाँ, कल्याणकारी योजनाएँ, शासन संबंधी मुद्दे। ● सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3: समावेशी विकास, वित्तीय क्षेत्र सुधार, JAM त्रिमूर्ति। ● निबंध/साक्षात्कार: “सामाजिक न्याय और विकास के प्रेरक के रूप में वित्तीय समावेशन।” |
चर्चा में क्यों ?
28 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के शुरू होने के 11 साल पूरे हो गए। यह योजना 2014 में शुरू की गई थी ताकि हर व्यक्ति का बैंक खाता खुल सके, खासकर गरीब और गांवों में रहने वाले लोगों का। अब तक 56.16 करोड़ खाते खोले जा चुके हैं और इनमें ₹2.68 लाख करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं। इनमें से 67% खाते गांव और छोटे शहरों में हैं और 56% खातों की मालिक महिलाएं हैं। इस वजह से यह योजना दुनिया की सबसे बड़ी योजना बन गई है, जो लोगों को बैंकिंग से जोड़ती है।
यह योजना “जन धन-आधार-मोबाइल (JAM)” व्यवस्था का एक मजबूत हिस्सा है। इसका मतलब है कि सरकार लोगों तक बिना किसी मध्यस्थ के सीधी मदद (जैसे सब्सिडी) पहुंचा सकती है। इससे गरीब और जरूरतमंद लोगों को समय पर पैसा मिलता है और धोखाधड़ी भी रुकती है। इस योजना से बहुत से गरीब लोग आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं।

पृष्ठभूमि
वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) का मतलब है – ऐसे लोगों तक भी बैंकिंग सेवाएं पहुँचाना जो अभी तक इससे वंचित हैं, जैसे कि बचत खाता, लोन, बीमा, पेंशन और पैसे भेजने की सुविधा — और वो भी कम खर्च में। यह खासकर गरीब, गांव में रहने वाले और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए यह बहुत जरूरी है।
2014 से पहले भारत की बड़ी आबादी, खासकर ग्रामीण गरीब, महिलाएं और असंगठित क्षेत्र के कामगार, अभी भी बैंकिंग सुविधाओं से दूर थे। इन्हीं लोगों को बैंकिंग से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) को 28 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक राष्ट्रीय मिशन के रूप में शुरू किया।
इस योजना का मकसद था – सभी को बैंकिंग की सुविधा देना, जिसमें बिना किसी न्यूनतम राशि के बैंक खाता खोलना, रुपे डेबिट कार्ड के साथ बीमा सुविधा, और आगे चलकर लोन और पेंशन जैसी सुविधाओं तक पहुंच देना शामिल है।
प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के बारे में प्रधानमंत्री जन धन योजना की शुरुआत 28 अगस्त 2014 को की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य था कि भारत के हर नागरिक के पास एक बैंक खाता हो, ताकि वह आसानी से जरूरी वित्तीय सेवाओं का फायदा उठा सके। इसमें सेवाएं शामिल हैं जैसे – बचत खाता, पैसा भेजना और प्राप्त करना, बीमा, लोन और पेंशन जैसी सुविधाएं — और वह भी बहुत कम खर्च में। यह योजना क्यों महत्वपूर्ण है? यह योजना कई सरकारी योजनाओं का आधार बन चुकी है। सरकार इसके ज़रिए सीधे लाभार्थियों के खातों में पैसा भेज सकती है, जिसे डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण) कहते हैं। इससे बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाती है और सहायता सही व्यक्ति तक जल्दी पहुँचती है। खाता कौन खोल सकता है? इस योजना के तहत कोई भी भारतीय नागरिक जिसकी उम्र 18 से 59 साल के बीच हो, खाता खोल सकता है। इसके अलावा, 10 साल से ऊपर के बच्चे भी अपने माता-पिता या अभिभावक की मदद से खाता खोल सकते हैं। |
प्रधानमंत्री जन धन योजना की मुख्य विशेषताएँ :
- बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट (BSBD) अकाउंट
- यह एक साधारण बचत खाता है, जिसे कोई भी व्यक्ति, चाहे गरीब हो या अमीर, खोल सकता है।
- इसमें शून्य बैलेंस की सुविधा है — यानी खाता खोलने के लिए पैसे की जरूरत नहीं।
- खाता खाली हो तो भी कोई जुर्माना नहीं लगेगा।
- आप इसमें नकद जमा कर सकते हैं, चेक से पैसा डाल सकते हैं या ऑनलाइन पैसा (जैसे NEFT/IMPS) प्राप्त कर सकते हैं।
उदाहरण: एक गांव का व्यक्ति बिना एक भी पैसा लिए खाता खोल सकता है और जब कमाई हो तब पैसा जमा कर सकता है।
- रुपे डेबिट कार्ड
- हर खाता धारक को एक मुफ्त RuPay डेबिट कार्ड मिलता है (यह वीजा/मास्टरकार्ड की तरह है, लेकिन भारत में बना है)।
- इस कार्ड के साथ ₹2 लाख का दुर्घटना बीमा भी मिलता है, अगर आप इसका उपयोग करते हैं।
- यह डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देता है — जैसे ऑनलाइन खरीदारी, दुकानों पर कार्ड स्वाइप करना, या ATM से पैसे निकालना।
उदाहरण: अगर कोई किसान दुर्घटना का शिकार हो जाता है, तो उसके परिवार को इस कार्ड के जरिए ₹2 लाख तक का बीमा मिल सकता है।
- ओवरड्राफ्ट सुविधा
- अगर आप 6 महीने तक अपने खाते का सही तरीके से उपयोग करते हैं, तो बैंक ₹10,000 तक की ओवरड्राफ्ट (छोटा लोन) दे सकता है।
- ओवरड्राफ्ट मतलब — बैंक से बिना कोई गिरवी रखे छोटा लोन मिलना।
उदाहरण: अगर किसी दुकानदार को अचानक ₹5,000 की जरूरत है, तो वह साहूकार से पैसे लेने के बजाय अपने जन धन खाते से ओवरड्राफ्ट ले सकता है।
- प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT)
- सरकार की सभी योजनाओं की सब्सिडी, पेंशन, छात्रवृत्ति या अन्य पैसे सीधे जन धन खाते में आते हैं।
- इससे बिचौलिए खत्म होते हैं और भ्रष्टाचार भी रुकता है।
उदाहरण: गैस सब्सिडी, मनरेगा की मजदूरी या पीएम-किसान की सहायता राशि सीधे किसानों के खाते में जमा होती है।
- सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जुड़ाव
जन धन खाता आसानी से इन योजनाओं से जोड़ा जा सकता है:
- PMSBY: दुर्घटना बीमा योजना
- PMJJBY: जीवन बीमा योजना
- APY: वृद्धावस्था पेंशन योजना
उदाहरण: एक दैनिक मजदूर अपने जन धन खाते से बचत, बीमा और पेंशन — तीनों सुविधाओं का फायदा ले सकता है।
प्रधानमंत्री जन धन योजना (2014-2025) की उपलब्धियाँ :
प्रधानमंत्री जन धन योजना ने 2014 से 2025 के बीच कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय समावेशन कार्यक्रम बनाती हैं।
- खोले गए खाते
अगस्त 2025 तक 56.16 करोड़ जन धन खाते खोले जा चुके हैं। इसका मतलब है कि भारत के लगभग हर घर के पास अब बैंक खाता है। - जमा की गई राशि
इन खातों में कुल ₹2.68 लाख करोड़ रुपये जमा हुए हैं। यह 2015 के मुकाबले 12 गुना ज्यादा है। इसका मतलब यह है कि गरीब परिवार न सिर्फ खाते खोल रहे हैं, बल्कि उसमें बचत भी कर रहे हैं।
- महिलाओं की भागीदारी
इन खातों में से 55.7% खाते महिलाओं के नाम पर हैं। यह दिखाता है कि महिलाएं अब पैसों पर नियंत्रण पा रही हैं और आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं। - गांवों में पहुंच
कुल खातों में से 66.7% गांवों और छोटे शहरों में खोले गए हैं। यह साबित करता है कि योजना सिर्फ शहरों तक नहीं, बल्कि गांव-गांव तक पहुँची है। - रुपे डेबिट कार्ड वितरित
अब तक 38.68 करोड़ RuPay डेबिट कार्ड दिए जा चुके हैं। लोग इससे ATM से पैसे निकाल सकते हैं, दुकानों पर कार्ड चला सकते हैं और बीमा लाभ भी ले सकते हैं। - डिजिटल लेनदेन में बढ़ोतरी
UPI और RuPay कार्ड के जरिए 2024–25 में 22,198 करोड़ डिजिटल लेनदेन हुए। PMJDY ने “डिजिटल इंडिया” की नींव रखी और लोगों को कैशलेस लेन-देन की ओर बढ़ाया। - डीबीटी (DBT) की सफलता
2024–25 में सरकार ने ₹6.9 लाख करोड़ रुपये सीधे जन धन खातों में भेजे। इससे बिचौलियों की भूमिका खत्म हुई, भ्रष्टाचार घटा और सरकारी योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुँचा।
2014 से 2025 तक, प्रधानमंत्री जन धन योजना ने करोड़ों गरीब परिवारों को बैंकिंग, बचत, बीमा, पेंशन और डिजिटल अर्थव्यवस्था से जोड़कर उन्हें सशक्त बनाया है।
प्रधानमंत्री जन धन योजना का महत्व
- सामाजिक सशक्तिकरण
PMJDY ने गरीबों को वित्तीय व्यवस्था का हिस्सा बनाकर उन्हें सम्मान और पहचान दी। महिलाएं सीधे अपने नाम से खाता खोलने लगीं, जिससे उन्हें अपने पैसे पर अधिकार मिला और पति या बिचौलियों पर निर्भरता कम हुई।
उदाहरण: अब कई राज्यों में महिलाएं सीधे अपने खाते में प्रधानमंत्री किसान योजना, पेंशन या छात्रवृत्ति जैसी सरकारी योजनाओं का पैसा पा रही हैं। - आर्थिक सशक्तिकरण
जन धन खाते के जरिए लोगों को छोटे व्यवसायों के लिए मुद्रा लोन या इमरजेंसी के लिए ओवरड्राफ्ट सुविधा मिली। इससे गरीब परिवारों में बचत करने की आदत बढ़ी और वे आर्थिक संकट का सामना करने में सक्षम हुए।
उदाहरण: एक सड़क पर सामान बेचने वाला व्यक्ति अब जन धन खाते से सूक्ष्म ऋण ले सकता है, बजाय किसी साहूकार से महंगे ब्याज पर कर्ज लेने के। - शासन सुधार
जन धन, आधार और मोबाइल (JAM) मिलकर एक ऐसी प्रणाली बनी जिससे सरकार सीधे लाभार्थियों के खाते में पैसा भेज सकती है। इससे भ्रष्टाचार और पैसा बीच में रुकने की समस्या कम हुई।
उदाहरण: गैस सब्सिडी (PAHAL योजना) अब सीधे लोगों के जन धन खाते में आती है, जिससे हर साल सरकार हजारों करोड़ रुपये बचा रही है। - वित्तीय स्थिरता
PMJDY खातों में जमा पैसे से बैंकों की ताकत बढ़ी और वे ज्यादा लोगों को लोन दे पा रहे हैं। लोगों में वित्तीय ज्ञान बढ़ा और डिजिटल पेमेंट जैसे UPI और RuPay कार्ड का उपयोग भी बढ़ा।
उदाहरण: कोविड-19 के दौरान सरकार राहत राशि सीधे लोगों के खातों में भेज सकी, जिससे प्रवासी मजदूरों को बिना किसी भीड़भाड़ के तुरंत मदद मिली।
इस प्रकार प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) सिर्फ़ एक बैंकिंग योजना नहीं है—यह एक सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक सुधार का ज़रिया है। इसने डिजिटल इंडिया, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) और वित्तीय समावेशन का आधार तैयार किया है, जिससे लाखों गरीब परिवार भारत की विकास गाथा में सक्रिय भागीदार बन रहे हैं।
प्रधानमंत्री जन धन योजना की चुनौतियाँ
- निष्क्रिय खाते
हालाँकि 56 करोड़ से अधिक खाते खोले गए हैं, लेकिन एक बड़ी संख्या में खाते निष्क्रिय हैं और उन पर कोई बैलेंस नहीं है। इससे वित्तीय समावेशन का असली उद्देश्य कमजोर पड़ता है, क्योंकि ये खाते सिर्फ कागजों पर हैं।
उदाहरण: आरबीआई की रिपोर्टों में यह दिखाया गया था कि 30% से ज्यादा जन धन खाते बिना लेन-देन के थे। - वित्तीय साक्षरता में कमी
कई लाभार्थी ओवरड्राफ्ट, बीमा कवर या पेंशन लिंक जैसी सुविधाओं से अनजान हैं। इसका नतीजा यह है कि वे खातों का इस्तेमाल केवल DBT (प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण) राशि निकालने तक ही सीमित रखते हैं।
उदाहरण: यूपी और बिहार के ग्रामीण इलाकों में महिलाएं सब्सिडी राशि तो निकाल लेती हैं, लेकिन वे यह नहीं जानतीं कि रुपे कार्ड से दुर्घटना बीमा भी जुड़ा है। - बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की सीमाएँ
ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक शाखाएँ और एटीएम की कमी है, जिससे लोगों को बैंकिंग सेवाओं तक पहुँचने में मुश्किल होती है। बैंकिंग काउंसिलेंट्स (BCs) पर भारी निर्भरता है, जो अक्सर ज्यादा दबाव में होते हैं, कम वेतन पाते हैं और उन्हें नकद प्रबंधन की समस्याएँ आती हैं।
उदाहरण: झारखंड के दूरदराज गांवों में लोग BC एजेंट से सेवा प्राप्त करने के लिए लंबी दूरी तय करते हैं, जबकि वह एक सीमित नकद राशि के साथ सैकड़ों ग्राहकों को सेवा देते हैं। - क्रेडिट लिंक की कमी
₹10,000 तक का ओवरड्राफ्ट तो उपलब्ध है, लेकिन सस्ती और सुलभ क्रेडिट सुविधाएँ अब भी कम हैं। अधिकांश गरीब परिवार बड़े लोन के लिए साहूकारों पर निर्भर रहते हैं, जो समावेशन के उद्देश्य को कमजोर करता है।
उदाहरण: एक किसान जन धन खाता होने के बावजूद Kisan Credit Cards (KCC) से लिंक न होने के कारण फसल के लिए कर्ज लेने के लिए फिर भी साहूकारों पर निर्भर रहता है।
हालाँकि प्रधानमंत्री जन धन योजना ने वित्तीय समावेशन का आधार तैयार किया है, लेकिन निष्क्रिय खातों, कमजोर वित्तीय साक्षरता, सीमित बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और क्रेडिट लिंक की कमी की वजह से इसके पूरे लाभ अभी तक हासिल नहीं हो पाए हैं।
आगे की राह
- निष्क्रिय खातों को सक्रिय करना
खाते को कल्याणकारी योजनाओं, मनरेगा मजदूरी, पीएम-किसान, पेंशन आदि से जोड़कर नियमित उपयोग को बढ़ावा दें। RuPay कार्ड के माध्यम से लेन-देन करने पर कैशबैक या अन्य लाभ देने की व्यवस्था करें।
- वित्तीय साक्षरता में सुधार
स्थानीय भाषाओं में बड़े पैमाने पर डिजिटल और वित्तीय साक्षरता अभियानों की शुरुआत करें। महिलाओं के SHG (Self-Help Groups) के सदस्यों और स्कूल के शिक्षकों को वित्तीय साक्षरता के राजदूत के रूप में प्रशिक्षित करें।
- बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना
ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बैंक शाखाओं और एटीएम की संख्या बढ़ाएं। बैंकिंग काउंसिलेंट (BC) मॉडल को बेहतर वेतन, प्रशिक्षण और नकद प्रबंधन सुविधाओं के साथ मजबूत करें। दूरदराज के क्षेत्रों में मोबाइल बैंकिंग वैन की शुरुआत करें।
- क्रेडिट लिंक को बढ़ावा देना
PMJDY खातों को किसान क्रेडिट कार्ड (KCC), SHGs, और माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं से जोड़े। मुद्रा लोन के तहत छोटे लोन देने की प्रक्रिया को सरल बनाए। पहली बार उधार लेने वालों के लिए लेन-देन इतिहास का उपयोग करते हुए क्रेडिट स्कोरिंग मॉडल विकसित करें।
- डिजिटल तकनीक का लाभ उठाना
UPI Lite, फीचर फोन आधारित बैंकिंग, और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण को बढ़ावा दें। ग्राहकों को उनके लाभ (जैसे बीमा नवीनीकरण, ओवरड्राफ्ट पात्रता आदि) की याद दिलाने के लिए AI- आधारित अलर्ट का उपयोग करें।
इन कदमों को उठाकर प्रधानमंत्री जन धन योजना को और अधिक सशक्त और प्रभावी बनाया जा सकता है, जिससे इसकी पहुंच और लाभार्थियों का जीवन और भी बेहतर हो सकेगा।
अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ ● PMJDY को विश्व स्तर पर सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहल के रूप में मान्यता प्राप्त है। ● विश्व बैंक ने भारत के वित्तीय समावेशन मॉडल को, विशेष रूप से डिजिटल वित्त के क्षेत्र में, अनुकरणीय बताया है। ● अन्य विकासशील देश JAM को एक अनुकरणीय मॉडल के रूप में अध्ययन कर रहे हैं। |
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) ने भारत में सार्वभौमिक वित्तीय समावेशन की नींव रखी है। अगले चरण में इसका फोकस उपयोग को और गहरा करने, वित्तीय साक्षरता में सुधार करने, और खातों को क्रेडिट और सामाजिक सुरक्षा से जोड़ने पर होना चाहिए। तभी जन धन वास्तव में जन सुरक्षा और जन समृद्धि में बदल सकेगा।
प्रिलिम्स प्रैक्टिस प्रश्न
Q1. प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा/से सही हैं?
- यह शून्य-बैलेंस खातों के साथ ओवरड्राफ्ट की सुविधा प्रदान करता है।
- प्रत्येक खाता धारक को एक मुफ्त रुपे डेबिट कार्ड और बीमा मिलता है।
- पीएमजेडीवाई खाते केवल ग्रामीण क्षेत्रों में खोले जा सकते हैं।
विकल्प:
a) केवल 1 और 2
b) केवल 2 और 3
c) केवल 1 और 3
d) 1, 2 और 3
उत्तर: a) केवल 1 और 2
मेन्स प्रश्न
प्रश्न: प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) का भारत में वित्तीय समावेशन को गहरा करने में क्या योगदान है? इसके दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने में कौन सी चुनौतियाँ हैं? (250 शब्द, 15 अंक)
SOURCE- PIB
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