प्रधानमंत्री ने  एनटीपीसी ( नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन ) की 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की बिजली परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया

एनटीपीसी के तेलंगाना सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट की 800 मेगावाट यूनिट #2 (स्टेज-I)

इस प्रोजेक्ट का शुभारंभ  प्रधानमंत्री द्वारा  तेलंगाना के पेद्दापल्ली जिले में स्थित एनटीपीसी के तेलंगाना सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट (स्टेज- I) की यूनिट #2 (800 मेगावाट) राष्ट्र को समर्पित किया । 

यह परियोजना की लागत :–  8,007 करोड़ रुपये 

इस प्रोजेक्ट में  अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल तकनीक का उपयोग किया गया है । 

अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल तकनीक :–  कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को काफी कम करते हुए अधिकतम बिजली की उत्पादन दक्षता को सुनिश्चित करती है।

यह परियोजना के द्वारा तेलंगाना की कुल बिजली मांग का   85प्रतिशत की आपूर्ति की जाएगी। 

इस प्रोजेक्ट के माध्यम से  तेलंगाना में विद्युत आपूर्ति बढ़ाने के अलावा, इस परियोजना के शुरू होने से देशभर में सस्ती व उच्च गुणवत्ता वाली बिजली की 24×7 उपलब्धता के लक्ष्य में भी सहायता मिलेगी। 

इस परियोजना की पहली इकाई 3 अक्टूबर, 2023 को प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित की गई थी। 

उत्तरी कर्णपुरा सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट की 660 मेगावाट यूनिट #2 (3×660 मेगावाट)

झारखंड में स्थित उत्तरी कर्णपुरा सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट (3×660 मेगावाट) की यूनिट-2 (660 मेगावाट) भी राष्ट्र को समर्पित किया गया । 

परियोजना की लागत  लगभग :– 4,609 करोड़ रुपये 

इस संयंत्र में  एयर कूल्ड कंडेनसर तकनीक का प्रयोग किया गया है।

यह भारत की पहली सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर परियोजना के रूप में स्थापित हुई है

जिसके  परिणामस्वरूप पारंपरिक वाटर-कूल्ड कंडेनसर (डब्ल्यूसीसी) की तुलना में एक तिहाई जल फुटप्रिंट होता है। 

एनटीपीसी ने 1 मार्च, 2023 को उत्तरी कर्णपुरा सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट की यूनिट-1 का वाणिज्यिक संचालन शुरू किया था।

फ्लाई ऐश आधारित हल्के भार वाला ऊर्जा संयंत्र

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में सीपत सुपर थर्मल पावर स्टेशन 

लागत :–  51 करोड़ रुपये

फ्लाई ऐश आधारित हल्के भार वाला ऊर्जा संयंत्र को समर्पित। 

यह संयंत्र पेलेटाइजिंग और सिंटरिंग तकनीक का उपयोग करते हुए फ्लाई ऐश को कोयले तथा अन्य मिश्रण के साथ मिलाकर ऊर्जा का उत्पादन करता है, ताकि थोक फ्लाई ऐश उपयोग को बढ़ावा दिया जा सके और इस प्रकार प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण एवं पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है।

एनटीपीसी नेत्रा परिसर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट तक जल की उपलब्धता

लागत :–  10 करोड़ रुपये 

ग्रेटर नोएडा के एनटीपीसी नेत्रा परिसर में स्थापित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) वॉटर टू ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र को किया।

एसटीपी जल से उत्पादित ग्रीन हाइड्रोजन से बिजली की खपत कम करने में मदद मिलेगी।

सिंगरौली सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट, चरण-III (2X800 मेगावाट)

2X800 मेगावाट के सिंगरौली सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट के स्टेज-III का शुभारंभ किया। 

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में 17,000 करोड़ रुपये के कुल निवेश के साथ शुरू की गई 

यह परियोजना पर्यावरणीय स्थिरता तथा तकनीकी नवाचार की दिशा में भारत की प्रगति को उजागर करती है।

फ्लू गैस कार्बन डाई ऑक्साइड से 4जी इथेनॉल संयंत्र

छत्तीसगढ़ के लारा सुपर थर्मल पावर स्टेशन में स्थित फ्लू गैस कार्बन डाई ऑक्साइड से 4जी इथेनॉल संयंत्र की आधारशिला रखी। 

परियोजना में 294 करोड़ रुपये के निवेश के साथ यह नवोन्मेषी संयंत्र 4जी-इथेनॉल को संश्लेषित करने के लिए अपशिष्ट ग्रिप गैस से कार्बन डाइऑक्साइड खींचेगा। 

यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करेगा और सतत विमानन ईंधन की दिशा में आगे बढ़ेगा।

विशाखापट्टनम के सिम्हाद्री में समुद्री जल से हरित हाइड्रोजन संयंत्र

विशाखापट्टनम के एनटीपीसी सिम्हाद्री में स्थित समुद्री जल से हरित हाइड्रोजन संयंत्र की आधारशिला रखखी। 

इस परियोजना का लक्ष्य 30 करोड़ रुपये के निवेश के साथ समुद्री जल से हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना है, जिससे इस प्रक्रिया में ऊर्जा की बचत होगी।

छत्तीसगढ़ के कोरबा सुपर थर्मल पावर स्टेशन में फ्लाई ऐश आधारित एफएएलजी सामूहिक संयंत्र स्थापित किया गया

एनटीपीसी की उपरोक्त परियोजनाएं न केवल भारत के बिजली बुनियादी ढांचे का उपयोग करेंगी बल्कि रोजगार सृजन, सामुदायिक विकास तथा पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान देंगी।

ये परियोजनाएं 30,023 करोड़ रुपये के कुल निवेश के साथ भारत की हरित और अधिक टिकाऊ भविष्य की यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने का प्रतीक हैं।

NTPC :–  नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन । 

स्थापना  :– वर्ष 1975 में । 

यह कंपनी पूरे देश में बिजली उत्पादन में सुधार और वृद्धि की दिशा में काम कर रही है।

भारत की कुल स्थापित क्षमता में तापीय ऊर्जा की 63.84 फीसदी,नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी 21.12 फीसदी , पनबिजली की 13.09 फीसदी और नाभिकीय ऊर्जा की 1.95 फीसदी है।

कोयला ऊर्जा उत्पादन का महत्त्वपूर्ण स्रोत है

पंचामृत कार्य योजना के तहत :–

भारत का लक्ष्य 2030 तक 500 गीगावॉट की गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता तक पहुंचना है; 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से अपनी कम से कम आधी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करना; 

2030 तक कार्बन उत्सर्जन को 1 बिलियन टन कम करना; 

2030 तक कार्बन की तीव्रता को 45 प्रतिशत से कम करना; 

जब की  2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने का लक्ष्य है

भारतीय रेलवे ने 2030 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन के साथ-साथ दुनिया का सबसे बड़ा हरित रेलवे बनने का लक्ष्य रखा है.

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