भारत मंडपम में 11वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस

प्रासंगिकता

  • संस्कृति और धरोहर (Mains GS-I)
  • विकासात्मक समस्याएँ और समाधान (Mains GS-II)
  • कृषि और ग्रामीण विकास (Mains GS-III)
  • नवाचार और उद्योग (Mains GS-III)

संदर्भ

  • वस्त्र मंत्रालय 7 अगस्त, 2025 को 11वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस को “जीवंत हथकरघा उत्सव” के रूप में मनाएगा।
  • इस अवसर पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगी।
  • इसके अलावा, विदेशी खरीदार, प्रतिष्ठित हस्तियां, निर्यातक, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और अन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति भी इस समारोह में शामिल होंगे।
  • देशभर से लगभग 650 बुनकर इस कार्यक्रम में भाग लेंगे।

हथकरघा पुरस्कारों का अवलोकन

  • इन पुरस्कारों का उद्देश्य हथकरघा उद्योग में उत्कृष्टता को मान्यता देना और उन व्यक्तियों और संगठनों को प्रोत्साहित करना है जिन्होंने शिल्प कौशल, नवाचार और क्षेत्र के विकास में नए मानक स्थापित किए हैं।

संत कबीर हथकरघा पुरस्कार

  • यह पुरस्कार उन उत्कृष्ट हथकरघा बुनकरों को प्रदान किया जाता है जिन्होंने इस क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • पात्र बुनकर राष्ट्रीय या राज्य पुरस्कार, राष्ट्रीय योग्यता प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हैं या बुनाई परंपराओं को बढ़ावा देने और संरक्षित करने, सामुदायिक कल्याण और क्षेत्र के विकास में असाधारण कौशल और योगदान के लिए सम्मानित हो सकते हैं।

संत कबीर हथकरघा पुरस्कार सामग्री:

  • नकद पुरस्कार: 3.5 लाख रुपये
  • सोने का सिक्का
  • ताम्रपत्र
  • शाल
  • मान्यता पत्र

राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार:

  • राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार असाधारण शिल्प कौशल, समर्पण और नवाचार को अपनाने वाले बुनकरों को सम्मानित करता है। इसका मुख्य उद्देश्य बुनकरों को उनके उत्कृष्ट कार्य को जारी रखने और इस क्षेत्र के अन्य व्यक्तियों को प्रेरित करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार सामग्री:

  • नकद पुरस्कार: 2.00 लाख रुपये
  • ताम्रपत्र
  • शाल
  • प्रमाणपत्र

अन्य पहलू

  • हथकरघा क्षेत्र भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बना हुआ है।
  • 35 लाख से ज़्यादा लोगों को रोज़गार देने वाला यह क्षेत्र, जिसमें 70 प्रतिशत से ज़्यादा महिलाएं हैं, सतत विकास, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण-अनुकूल उत्पादन का एक प्रतीक है।
  • उल्लेखनीय है कि 7 अगस्त, 1905 को शुरू हुए स्वदेशी आंदोलन ने पहली बार स्वदेशी उद्योगों और विशेष रूप से हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहित किया था। वर्ष 2015 में भारत सरकार ने इस महत्वपूर्ण अवसर के उपलक्ष्य में 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस घोषित किया।
  • पहला राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 7 अगस्त 2015 को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा चेन्नई में मनाया गया था। इस दिन हथकरघा बुनकर समुदाय को सम्मानित किया गया और भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में इस क्षेत्र के योगदान को रेखांकित किया गया।
  • राष्ट्रीय हथकरघा दिवस कुशल हाथों और रचनात्मक भावना का उत्सव है जो भारतीय हथकरघा को एक कालातीत विरासत बनाते हैं।
निष्कर्ष:

11वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस भारतीय हथकरघा उद्योग की समृद्धि और शिल्प कौशल को सम्मानित करने का महत्वपूर्ण अवसर है। इस आयोजन में बुनकरों को उनके योगदान के लिए पुरस्कार दिए जाते हैं, जो क्षेत्र के विकास और नवाचार में योगदान कर रहे हैं। यह दिन हथकरघा समुदाय की सामाजिक-आर्थिक भूमिका और महिला सशक्तिकरण को भी उजागर करता है। 7 अगस्त 2015 से शुरू हुआ यह दिवस अब भारतीय संस्कृति और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण धारा बन चुका है।

2020 UPSC Prelims:

प्रश्न: “स्वदेशी आंदोलन के बारे में निम्नलिखित में से कौन सी बातें सही हैं?”

  1. स्वदेशी आंदोलन 1905 में बंगाल के विभाजन के खिलाफ प्रतिक्रिया थी।
  2. इस आंदोलन में विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार और स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा देने की बात की गई थी।
  3. स्वदेशी आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया था।

(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) केवल 1
(d) 1, 2 और 3

सही उत्तर: (a) 1 और 2

UPSC Mains:

प्रश्न:
“स्वदेशी आंदोलन ने भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव डाला? विशेष रूप से हथकरघा उद्योग के संदर्भ में इसका महत्व स्पष्ट करें।”

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