भारत में इथेनॉल सम्मिश्रण: संभावनाएँ, प्रदर्शन और कमियाँ

यूपीएससी प्रासंगिकता- प्रारंभिक परीक्षा इथेनॉल मिश्रण स्तर (E10, E20), जैव ईंधन प्रकार (1G, 2G), जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति (2018), इथेनॉल गुण (संक्षारक, कम ऊर्जा घनत्व) मुख्य परीक्षा GS-3 (पर्यावरण एवं अर्थव्यवस्था) इथेनॉल मिश्रण ऊर्जा सुरक्षा, उत्सर्जन में कमी और सतत परिवहन,  भारत के हरित गतिशीलता रोडमैप, लचीली ईंधन नीति और अनुसंधान एवं विकास नवाचार

क्यों चर्चा में है?


पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने हाल ही में यह स्पष्ट किया कि एथनॉल मिश्रित पेट्रोल (E20, जिसमें 20% एथनॉल होता है) से सिर्फ माईलेज  में मामूली गिरावट आती है, जिससे सोशल मीडिया पर फैल रही इंजन को नुकसान और प्रदर्शन समस्याओं की चिंताओं का खंडन किया है। हालांकि, उद्योग विशेषज्ञों ने इंजन के जंग लगने, सामग्री के टूटने और पुराने वाहनों के साथ अनुकूलता संबंधी वैध चिंताएं व्यक्त की हैं।

पृष्ठभूमि

  • भारत ने एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम (EBP) 2003 में शुरू किया था ताकि आयातित जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को कम किया जा सके और जैव ईंधनों को बढ़ावा दिया जा सके।
  • राष्ट्रीय बायो-ऊर्जा नीति (2018) और एथनॉल मिश्रण रोडमैप (2020-25) का लक्ष्य 2025 तक 20% एथनॉल मिश्रण (E20) हासिल करना है।
  • एथनॉल मुख्य रूप से गन्ने के मोलासेस, चावल और मक्का से उत्पादित होता है। यह पेट्रोल की तुलना में स्वच्छ तरीके से जलता है, और कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन उत्सर्जन को कम करता है।
  • एथनॉल का उपयोग गन्ने के किसानों को मदद करता है, ग्रामीण आय बढ़ाता है और सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देता है।

एथनॉल मिश्रण के लाभ :

  • कच्चे तेल के आयात बिल में कमी: महंगे तेल आयात पर निर्भरता कम करने से विदेशी मुद्रा बचत होती है।
  • कम उत्सर्जन : एथनॉल स्वच्छ जलता है और ग्रीनहाउस गैसों और वायु प्रदूषकों का उत्सर्जन कम करता है।
  • किसान आय समर्थन : गन्ने और अन्य जैव ईंधन फसलों के लिए सुनिश्चित बाजार प्रदान करता है।
  • कचरा प्रबंधन : कृषि अवशेषों और औद्योगिक कचरे से 2G एथनॉल का उत्पादन होता है।

भारत में एथनॉल (E20) ईंधन अपनाने में चुनौतियाँ :

  1. जंग और इंजन अनुकूलता :
    • एथनॉल हाइड्रोफिलिक (water-loving) होता है, यानी यह वायुमंडल से पानी को अवशोषित करता है, जिससे फेज़ सेपरेशन (phase separation) होता है।
    • इससे ईंधन टैंक, पाइप्स, इंजेक्टर्स, इंजन और निकासी प्रणालियों में जंग लगने की समस्या होती है।
    • रबर और प्लास्टिक के हिस्से (जैसे गैसकेट, सील, ईंधन होसेस) समय के साथ क्षतिग्रस्त हो जाते है।
  2. माईलेज में गिरावट :

  1. एथनॉल का ऊर्जा घनत्व  पेट्रोल से कम होता है, जिससे:
    • E20 के लिए अप्रशिक्षित वाहन में 3-6% माईलेज कमी हो सकती है।
    • E10 के लिए डिज़ाइन किए गए और E20 के लिए फिर से कैलिब्रेट किए गए वाहनों में 1-2% गिरावट हो सकती है।
  2. इंजन ट्यूनिंग से दक्षता बढ़ाई जा सकती है, लेकिन पुराने मॉडलों के लिए पुनः स्थापित करने की लागत आती है।
  3. ठंडे मौसम में शुरुआत और दहन संबंधी समस्याएँ :
    • एथनॉल एयर-फ्यूल अनुपात को बदलता है, जिससे गैर-E20-संगत इंजन में दहन प्रभावित होता है।
    • इससे कांपने, कम प्रदर्शन, ठंडे स्टार्ट में कठिनाई, और इंजन पहनने की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  4. इन्फ्रास्ट्रक्चर और वितरण समस्याएँ :
    • ईंधन स्टेशन को E20 के लिए अलग संग्रहण और वितरण इकाइयाँ चाहिए।
    • लॉजिस्टिक्स और परिवहन में एथनॉल और पेट्रोल का पृथक्करण एक बड़ी समस्या बनती है।
  5. खाद्य बनाम ईंधन बहस :
    • एथनॉल के लिए गन्ना उत्पादन बहुत अधिक पानी की आवश्यकता करता है, जिससे खासकर सूखा प्रभावित राज्यों में खाद्य सुरक्षा और जल उपयोग दक्षता पर सवाल उठते हैं।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम :

  • फ्लेक्स-ईंधन वाहन मानक  सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा पेश किए गए इसके तहत अप्रैल 2023 से E20-सम्बद्ध वाहन अनिवार्य किए गए।
  • ऑयल मार्केटिंग कंपनियां  धीरे-धीरे चुनिंदा शहरों में E20 का वितरण शुरू कर रही हैं।
  •  फसल अवशेषों (जैसे पराली) से द्वितीय-पीढ़ी के एथनॉल का परिचय, खाद्य फसल पर निर्भरता को कम करने के लिए।
  • बायो-रिफाइनरी स्थापित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन और विजबिलिटी गैप फंडिंग ।

उद्योग की प्रतिक्रिया :

  • हीरो मोटोकॉर्प और अन्य निर्माता E20-अनुकूल सामग्री (नए गैस्केट्स, O-रिंग्स, ईंधन ट्यूब्स) के साथ अपने मॉडलों को अपडेट कर रहे हैं।
  • कंपनियों ने चेतावनी दी है कि पुराने वाहन (2023 से पहले के मॉडल) को रिट्रोफिट किए बिना गंभीर यांत्रिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

आगे का रास्ता :

  1. चरणबद्ध कार्यान्वयन :
    पहले से E20-तैयार वाहनों वाले क्षेत्रों में E20 ईंधन का धीरे-धीरे परिचय दिया जाए।
  2. सार्वजनिक जागरूकता अभियान :
    वाहन मालिकों को इंजन अनुकूलता, रिट्रोफिटिंग आवश्यकताओं, और E20 के पुराने वाहनों पर उपयोग के संभावित जोखिमों के बारे में शिक्षित किया जाए।
  3. रिट्रोफिटिंग को प्रोत्साहन :
    पुराने वाहनों को E20-समर्थक बनाने के लिए वित्तीय या कर सहायता प्रदान की जाए।
  4. 2G एथनॉल में अनुसंधान और विकास को मजबूत करना:
    फसल अवशेष आधारित एथनॉल को बढ़ावा दिया जाए ताकि खाद्य बनाम ईंधन और जल संकट के मुद्दों का समाधान किया जा सके।
  5. मजबूत परीक्षण और प्रमाणन :
    दोनों वाहनों और ईंधनों के लिए एथनॉल-मिश्रण परीक्षण और प्रमाणन मानक अनिवार्य किए जाएं।
  6. इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयारियाँ :
    भारत भर में एथनॉल भंडारण, मिश्रण, और वितरण नेटवर्क का विस्तार किया जाए।

निष्कर्ष :

एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम भारत के ऊर्जा संक्रमण और जलवायु लक्ष्यों के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। हालांकि, इसकी सफलता इंजन अनुकूलता, माईलेज, और जंग से जुड़ी तकनीकी चुनौतियों पर निर्भर करती है। एक समायोजित और समावेशी दृष्टिकोण, जो विज्ञान और हितधारकों की सलाह से मार्गदर्शित हो, यह सुनिश्चित कर सकता है कि भारत स्वच्छ ऊर्जा और ऊर्जा आत्मनिर्भरता के दोहरे लाभ प्राप्त कर सके, बिना उपभोक्ता हितों या पर्यावरणीय स्थिरता को नुकसान पहुँचाए।


UPSC Prelims PYQ

प्रश्न: बायोईंधन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें: (UPSC Prelims 2020)

  1. बायोडीजल को पशु वसा और सब्जी तेल से उत्पादित किया जाता है।
  2. भारत में, एथनॉल केवल गन्ने से निकाला जाता है।
  3. अल्कोहल आधारित ईंधन संपीड़न इग्निशन इंजन में उपयोग नहीं किए जाते।

उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
A) केवल 1 और 3
B) केवल 2
C) 1, 2 और 3
D) केवल 1

उत्तर: A) केवल 1 और 3


UPSC Mains Previous Year Questions

प्रश्न 1: बायोईंधन में यह सम्भावना है कि वह जीवाश्म ईंधनों की जगह ले सके। इस संदर्भ में, भारत में एथनॉल मिश्रण की चुनौतियाँ और संभावनाएँ विश्लेषण करें। (UPSC 2023, GS-3)

प्रश्न 2: “स्वच्छ ऊर्जा आज का आदेश है।” बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं के संदर्भ में भारत की जलवायु परिवर्तन के प्रति बदलती नीति का संक्षेप में वर्णन करें। (UPSC 2022, GS-3)

स्रोत – द हिंदू

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