भारत में चिकित्सा पर्यटन

GS Paper II: सामाजिक मुद्दे, आधिकारिक नीतियाँ और प्रशासन
•	GS Paper III: आर्थिक विकास 

संदर्भ:

इस साल अप्रैल 2025 तक भारत में इलाज के लिए आने वाले विदेशी पर्यटकों (एफटीए) की कुल संख्या 1,31,856 है, जो इस अवधि के दौरान कुल एफटीए का लगभग 4.1 प्रतिशत है।

पिछले पांच वर्षों में चिकित्सा पर्यटकों के लिए शीर्ष स्रोत देशों की जानकारी अनुलग्नक में दी गई है।

एस. न.देश20202021202220232024
1बांग्लादेश99,1551,86,6333,26,8054,99,9514,82,336
2इराक16,64715,35730,70128,75832,008
3सोमालिया1,7123,8471,00615,94711,717
4ओमान4,3287,61011,12113,39710,431
5उज़्बेकिस्तान1,7123,8476,7687,0818,921
कुल एफटीए1,82,9453,23,7484,74,7986,59,3566,44,387

प्रमुख आंकड़े और तथ्य

  • चिकित्सा पर्यटकों की संख्या: 2024 में भारत ने लगभग 7.3 मिलियन (73 लाख) विदेशी चिकित्सा पर्यटकों का स्वागत किया, जो 2023 की तुलना में 20% अधिक है।
  • आर्थिक योगदान: भारत का चिकित्सा पर्यटन उद्योग 2024 में लगभग $10.2 बिलियन (₹82,000 करोड़) का था, जो एशिया के चिकित्सा पर्यटन बाजार का 25% हिस्सा है।
  • प्रमुख स्रोत देश: बांग्लादेश, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, मध्य पूर्व, अफ्रीका, और विकसित देशों जैसे अमेरिका और ब्रिटेन से मरीजों की संख्या में वृद्धि देखी गई है।

भारत के प्रमुख चिकित्सा पर्यटन केंद्र

  • चेन्नई: इसे ‘भारत की स्वास्थ्य राजधानी’ कहा जाता है। यहां के अस्पतालों में प्रतिदिन लगभग 150 विदेशी मरीज आते हैं।
  • दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु: ये शहर उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाओं के लिए प्रसिद्ध हैं, विशेषकर कैंसर, हृदय रोग, और आईवीएफ उपचार में।

 चिकित्सा पर्यटन के प्रमुख कारण

  1. सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएं: भारत में उपचार की लागत विकसित देशों की तुलना में 60-80% कम है।
  2. अत्याधुनिक चिकित्सा तकनीक: रोबोटिक सर्जरी, एआई-आधारित निदान, और न्यूनतम आक्रमणकारी प्रक्रियाएं उपलब्ध हैं।
  3. तेज उपचार प्रक्रिया: भारत में लंबी प्रतीक्षा सूची की समस्या नहीं है, जिससे मरीजों को शीघ्र उपचार मिलता है।
  4. संस्कृतिक अनुकूलता और भाषा: अंग्रेजी व्यापक रूप से बोली जाती है, और भारतीय संस्कृति कई देशों के नागरिकों के लिए परिचित है।
  5. घुटना प्रत्यारोपण की लागत:
    नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में घुटना प्रत्यारोपण की औसत लागत लगभग 6,600 डॉलर है, जो थाईलैंड में इसकी लागत (14,000 डॉलर) से आधी से भी कम है। सिंगापुर में यह लागत और भी ज्यादा (16,000 डॉलर) है, जबकि मलेशिया में यह 7,700 डॉलर है।
  6. हृदय बाईपास सर्जरी की लागत:
    थाईलैंड में हृदय बाईपास सर्जरी की लागत 15,000 डॉलर से अधिक है, जबकि भारत में इसकी लागत केवल 7,900 डॉलर है। यह अंतर भारत को चिकित्सा पर्यटन के लिए आकर्षक बनाता है।
  7. भारत की चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता:
    हालांकि भारत में उपचार की लागत कम है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता वैश्विक मानकों के बराबर है। अस्पताल संचालकों और अन्य हितधारकों का मानना है कि लागत केवल एक कारक है; भारत का प्रमुख आकर्षण उसकी नैदानिक उत्कृष्टता, भू-राजनीतिक और भौगोलिक निकटता, और संस्थागत लचीलेपन में भी है।
  8. पवन चौधरी का बयान:
    मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पवन चौधरी का कहना है, “भारत का चिकित्सा गंतव्य के रूप में उदय लागत से कहीं आगे जाता है; यह नैदानिक उत्कृष्टता, भू-राजनीतिक और भौगोलिक निकटता, और संस्थागत लचीलेपन पर आधारित है।”

बांग्लादेश एवं चिकित्सा पर्यटन

  • भारत आने वाले चिकित्सा पर्यटकों में से आधे से अधिक बांग्लादेश से आते हैं।
  • आव्रजन ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में भारत आने वाले लगभग 6,35,000 चिकित्सा पर्यटकों में से 3,50,000 बांग्लादेश से थे।
  • बांग्लादेश में राजनीतिक अशांति के बाद, बांग्लादेश से आने वाले चिकित्सा पर्यटकों की संख्या में कमी आई है।
  • भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते राजनीतिक तनाव ने चिकित्सा पर्यटन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

चुनौतियाँ और हालिया घटनाएँ

1. वीज़ा प्रक्रिया और यात्रा प्रतिबंध:  चिकित्सा पर्यटन के लिए वीज़ा प्रक्रिया अक्सर जटिल होती है और विदेशी मरीजों के लिए लंबी प्रतीक्षा अवधि हो सकती है। कुछ देशों के नागरिकों के लिए चिकित्सा वीज़ा प्राप्त करना कठिन हो सकता है, खासकर जब राजनीतिक तनाव और सुरक्षा कारणों से यात्रा प्रतिबंध लगाए जाते हैं।

2. कानूनी और नियामक मुद्दे: भारत में चिकित्सा पर्यटन के लिए एक स्पष्ट और एकीकृत कानूनी ढांचा और नीति का अभाव है। इसके कारण अंतर्राष्ट्रीय मरीजों को कानूनी सुरक्षा और उपचार के बाद के अधिकारों को लेकर असमंजस हो सकता है।

3. स्वास्थ्य सेवा की असंगत गुणवत्ता: हालाँकि भारत में कई अस्पताल उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करते हैं, लेकिन कुछ स्थानों पर स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में असंगति हो सकती है। छोटे और अपरिचित अस्पतालों में बेहतर उपचार की गारंटी नहीं होती है।

4. भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी : कुछ असमान और अनियमित संस्थान मरीजों को धोखा दे सकते हैं, जिससे चिकित्सा पर्यटन के अनुभव पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। गलत इलाज या अनुचित शुल्क वसूलने के कारण चिकित्सा पर्यटकों का विश्वास टूट सकता है।

5. सुरक्षा और स्वास्थ्य संकट : भारतीय अस्पतालों में मरीजों के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपायों का अभाव हो सकता है। साथ ही, महामारी जैसे संकटों के दौरान यात्रियों की सुरक्षा भी एक चिंता का विषय बन जाती है।

6. सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याएँ : भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ, जैसे कि बुनियादी स्वास्थ्य सेवा की कमी या बीमारी फैलने का खतरा, चिकित्सा पर्यटन के लिए बाधाएँ उत्पन्न कर सकती हैं।

7. राजनीतिक और कूटनीतिक चुनौतियाँ : राजनीतिक अस्थिरता या द्विपक्षीय तनाव चिकित्सा वीज़ा की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे विदेशी मरीजों के लिए इलाज कराना कठिन हो सकता है।

8. वैकल्पिक गंतव्यों से प्रतिस्पर्धा : थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया और अन्य एशियाई देशों में भी चिकित्सा पर्यटन के आकर्षक विकल्प उपलब्ध हैं। ये देश सस्ती कीमतों और उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएँ प्रदान करते हैं, जो भारत के लिए प्रतिस्पर्धा उत्पन्न कर सकती हैं।

निष्कर्ष

भारत का चिकित्सा पर्यटन क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है, जो उच्च गुणवत्ता, सस्ती लागत, और आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं के कारण वैश्विक स्तर पर आकर्षण का केंद्र बन रहा है। हालांकि, कुछ चुनौतियाँ जैसे वीज़ा प्रक्रिया में देरी और राजनीतिक अस्थिरता, इस क्षेत्र की वृद्धि में बाधा डाल सकती हैं। फिर भी, सरकार की पहल और निजी क्षेत्र की भागीदारी से इस क्षेत्र में सुधार की उम्मीद है।

स्रोत : PIB + TOI +DH

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