प्रासंगिकता:
- प्रिलिम्स
- GS-2 (शासन व्यवस्था, स्वास्थ्य और कल्याणकारी योजनाएँ)
- GS-3 (पर्यावरणीय नैतिकता, पशु कल्याण, शहरी नियोजन)
- Essay & Ethics Paper: मानवता, प्रशासनिक दायित्व, सार्वजनिक हित बनाम पशु अधिकार
परिचय:
हाल ही में, राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने आवारा कुत्तों के प्रबंधन हेतु एक विस्तृत और व्यवस्थित रूपरेखा जारी की है। यह कदम सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देशों के परिप्रेक्ष्य में उठाया गया है, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कुत्तों की बढ़ती संख्या पर नियंत्रण को लेकर चिंता जताई गई थी।

प्रमुख बिंदु:
- राज्य स्तर की पहल:
- स्थानीय स्वशासन विभाग द्वारा सभी नगर निकायों को पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम, 2023 का सख्ती से पालन करने के निर्देश।
- पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम, 2023
- कैप्चर–न्यूटर–वैक्सीनेट–रिलीज़ (CNVR) पद्धति का पालन किया जाए।
- स्वस्थ आवारा कुत्तों का स्थायी स्थानांतरण या लंबे समय तक कैद पर रोक, अपवाद: रेबीज़ से पीड़ित, लाइलाज बीमार, या पशु चिकित्सक द्वारा खतरनाक बताए गए कुत्ते।
- 30 दिनों में अनुपालन रिपोर्ट सौंपने का निर्देश।
- कुत्तों की देखभाल एवं नियंत्रण के उपाय:
- प्रत्येक वार्ड/मोहल्ले में भोजन क्षेत्र निर्धारित किए जाएंगे।
- नए केंद्रों की स्थापना होगी जहाँ नसबंदी, टीकाकरण और कृमिनाशक प्रक्रिया संचालित की जाएगी।
- कुत्तों को पकड़ने, इलाज करने और पुनः उनके मूल स्थान पर छोड़ने की प्रणाली।
- मानवता आधारित पकड़ने की प्रक्रिया:
- चिमटे, तार, फंदे के प्रयोग पर रोक।
- प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा मानवीय तरीके से जाल या हाथ से पकड़ने की अनुमति।
- प्रत्येक टीम में वैन चालक, प्रशिक्षित कर्मचारी और पशु कल्याण संगठन का प्रतिनिधि अनिवार्य।
- विशेष नियम:
- बीमार/घायल कुत्तों की नसबंदी केवल इलाज के बाद ही संभव हैं।
- 6 माह से कम उम्र के कुत्तों और दूध पिलाने वाली मादा कुत्तों की नसबंदी पर रोक।
- नसबंदी के बाद कुत्तों को उनके मूल स्थान पर छोड़ा जाएगा।
- वित्तीय प्रावधान और निगरानी:
- NGO को प्रति कुत्ता पकड़ने पर ₹200, और ऑपरेशन सहित देखभाल हेतु ₹1450 का भुगतान किया जाएगा।
- नगर निगरानी समितियों का गठन किया जाएगा।
- सीसीटीवी कैमरे – ऑपरेशन थिएटर व एबीसी केंद्रों में अनिवार्य किए गए हैं।
- सुरक्षा और स्वास्थ्य के उपाय:
- रेबीज या बार-बार काटने वाले कुत्तों को अलग रखा जाएगा।
- कुत्ते के काटने की घटनाओं की सत्यापन प्रक्रिया अनिवार्य।
महत्वपूर्ण टिप्पणी:
पशु अधिकार कार्यकर्ता मरियम अबुहैदरी के अनुसार, यह नीति राजस्थान को पशु कल्याण और जनसुरक्षा के बीच संतुलन बनाने वाला राज्य बनाएगी। हालांकि, कार्यान्वयन चुनौतीपूर्ण होगा और इसमें जन भागीदारी एवं प्रशासनिक दृढ़ता की आवश्यकता है।
निष्कर्ष:
राजस्थान की यह पहल न केवल एक नीतिगत उदाहरण प्रस्तुत करती है, बल्कि यह बताती है कि कैसे न्यायपालिका के निर्देशों का व्यवस्थित क्रियान्वयन जनकल्याण और पशु संरक्षण दोनों क्षेत्रों में सुधार ला सकता है। अन्य राज्यों को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।
UPSC PRELIMS QUESTION:
1. राजस्थान की नई नीति के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन-से कुत्तों की नसबंदी नहीं की जा सकती?
- 6 माह से कम उम्र के पिल्ले
- बीमार या घायल कुत्ते
- दूध पिलाने वाली मादा कुत्ते
- पूरी तरह स्वस्थ आवारा कुत्ते
सही विकल्प चुनिए:
A) केवल 1 और 2
B) केवल 1, 2 और 3
C) केवल 2 और 4
D) सभी 1, 2, 3 और 4
उत्तर: B) केवल 1, 2 और 3
UPSC MAINS QUESTION:
प्रश्न : “आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए मानवीय दृष्टिकोण अपनाना न केवल एक नैतिक आवश्यकता है, बल्कि शहरी नियोजन की भी अनिवार्यता है।” राजस्थान की नीति को उदाहरण बनाकर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिन्दू