हाल के संदर्भ/ समाचार क्यों में है
- मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को छह महीने के लिए और बढ़ा दिया गया है। यह निर्णय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा राज्य में संवैधानिक स्थिति की पुनर्स्थापना के उद्देश्य से लिया गया।
- राष्ट्रपति शासन की घोषणा 13 फरवरी 2025 को की गई थी, जब मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने असहमति और दबाव के चलते इस्तीफा दे दिया। राज्य में कोई पार्टी सरकार बनाने का दावा नहीं कर सकी, जिसके कारण केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन लागू किया।

मणिपुर में राजनीतिक अस्थिरता
- राष्ट्रपति शासन के विस्तार के बावजूद, मणिपुर के मेइती (Meitei) और नागा (Naga) विधायक एक स्थिर सरकार की बहाली के लिए दबाव बना रहे हैं। इन विधायकों का मानना है कि राज्य में सामान्य स्थिति को बहाल करने के लिए जल्द ही एक जनादेश (popular mandate) की आवश्यकता है।
- मेइती और कूकी-जो (Kuki-Zo) समुदायों के बीच कुछ महीनों की शांति के बावजूद, राज्य में कोई बड़ा समाधान नहीं निकला है, और राज्य की प्रशासनिक स्थिति अनिश्चित बनी हुई है।
राष्ट्रपति शासन का परिचय
- राष्ट्रपति शासन (President’s Rule) भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जिसे राज्य सरकार के कार्य न करने या संवैधानिक व्यवस्था के विघटन के समय लागू किया जाता है।
- यह केंद्रीय सरकार को राज्य के प्रशासन का सीधा नियंत्रण लेने का अधिकार देता है। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के विस्तार की स्थिति को समझने के लिए हम संविधान में इस प्रावधान की व्याख्या करेंगे और इसके लागू होने के कारण, प्रक्रिया, प्रभाव, और आलोचनाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
राष्ट्रपति शासन का संवैधानिक आधार
- राष्ट्रपति शासन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 (Article 356) के तहत लागू किया जाता है।
- यह तब लागू होता है जब राज्य की संवैधानिक मशीनरी विफल हो जाती है और राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य करने में असमर्थ हो जाती है।
- राष्ट्रपति शासन को गवर्नर शासन (Governor’s Rule) भी कहा जाता है, और इसे लागू करने के लिए राष्ट्रपति को राज्य में संवैधानिक व्यवस्था को बहाल करने का अधिकार प्राप्त होता है।
राष्ट्रपति शासन लागू करने की प्रक्रिया
- अनुच्छेद 356 (Article 356): यदि राष्ट्रपति यह संतुष्ट होते हैं कि राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य नहीं कर पा रही है, तो वह राष्ट्रपति शासन की घोषणा कर सकते हैं।
- अनुच्छेद 365 (Article 365): यदि राज्य केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन करने में विफल रहता है, तो राष्ट्रपति को यह अधिकार प्राप्त है कि वह राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं।
राष्ट्रपति शासन की अवधि और प्रभाव
- राष्ट्रपति शासन को संसद (Parliament) से अनुमोदन मिलने के बाद छह महीने के लिए लागू किया जाता है।
- इसे हर छह महीने में एक बार संसद से अनुमोदन प्राप्त करने पर तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है।
- इस प्रक्रिया के तहत, राज्य के सभी प्रशासनिक कार्यों का संचालन राज्यपाल (Governor) द्वारा किया जाता है।
राज्य कार्यपालिका पर प्रभाव
राष्ट्रपति शासन के लागू होने के बाद, राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल को हटा दिया जाता है। राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार राज्य का शासन करती है।
राज्य विधायिका पर प्रभाव
राष्ट्रपति शासन लागू होने पर राज्य विधानसभा (Legislative Assembly) को निलंबित या भंग कर दिया जाता है। संसद को राज्य के विधायी बिलों और बजट पर कार्य करने की अनुमति मिल जाती है।
राज्य न्यायपालिका पर प्रभाव
राष्ट्रपति शासन के दौरान, राज्य उच्च न्यायालय (High Court) की स्थिति और कार्यप्रणाली अपरिवर्तित रहती है। राष्ट्रपति को उच्च न्यायालय के प्रावधानों को निलंबित करने का अधिकार नहीं होता।
राष्ट्रपति शासन के विस्तार और इसके कारण
राष्ट्रपति शासन का विस्तार तब तक जारी रखा जाता है जब तक संसद से इसकी स्वीकृति नहीं मिलती। मणिपुर में, वर्तमान में सरकार बनाने की कोई स्थिति नहीं बनी है, जिससे स्थिति की अनिश्चितता बनी हुई है। राज्य के विधायक, विशेष रूप से मेइती (Meitei) और नागा (Naga) समुदायों के, राष्ट्रपति शासन के विस्तार के खिलाफ हैं और चाहते हैं कि जल्द ही राज्य में एक लोकप्रिय सरकार (popular government) की बहाली हो।
राष्ट्रपति शासन के विस्तार से राज्य के नागरिकों के लिए विभिन्न समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे सरकारी सेवाओं में अवरोध, अनिश्चितता, और विकास योजनाओं की धीमी गति।
राष्ट्रपति शासन की आलोचनाएँ
राष्ट्रपति शासन के तहत केंद्र सरकार को राज्य सरकारों पर व्यापक शक्ति मिलती है, जो कभी-कभी गलत तरीके से भी इस्तेमाल हो सकती है। डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr. B.R. Ambedkar) ने संविधान सभा में राष्ट्रपति शासन के प्रावधान का समर्थन किया था, लेकिन उन्होंने इसे केवल अंतिम उपाय (last resort) के रूप में उपयोग किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया था। उनका मानना था कि यह प्रावधान देश की संवैधानिक व्यवस्था के लिए आवश्यक था, लेकिन इसे विवेकपूर्ण तरीके से और अत्यंत आवश्यकता में ही लागू किया जाना चाहिए। हालांकि, यह प्रावधान आज भी संविधान का हिस्सा है, और इसके उपयोग को लेकर विवाद उठते रहते हैं।
आलोचनाएँ (Criticisms):
- संविधानिक संघवाद का उल्लंघन (Violation of Federalism):
- राष्ट्रपति शासन राज्यों की स्वायत्तता (autonomy) को कमजोर करता है, जिससे केंद्र सरकार द्वारा राज्य के मामलों में हस्तक्षेप होता है, जो संघवाद के सिद्धांत के खिलाफ है।
- राजनीतिक दुरुपयोग (Political Misuse):
- कई बार इसे राजनीतिक लाभ (political gain) के लिए उपयोग किया गया है, जिससे इसके वैधता पर सवाल उठते हैं।
- लोकतांत्रिक प्रक्रिया का निलंबन (Suspension of Democratic Process):
- राज्य सरकारों और विधानसभा को निलंबित करना लोकतंत्र और चुनावों के अधिकारों का उल्लंघन करता है।
- न्यायिक समीक्षा की कमी (Lack of Judicial Review):
- राष्ट्रपति शासन को पहले न्यायिक समीक्षा से बाहर रखा गया था, लेकिन यह दुरुपयोग (misuse) को रोकने के लिए समीक्षा जरूरी है।
- राजनीतिक अस्थिरता (Political Instability): जब तक राष्ट्रपति शासन चलता है, तब तक राज्य में अस्थिरता बनी रहती है, जिससे विकास कार्यों पर असर पड़ता है।
राष्ट्रपति शासन के उचित और अनुचित उपयोग
Sarkaria Commission और Punchhi Commission ने राष्ट्रपति शासन के उपयोग को लेकर कुछ सिफारिशें की थीं। उनके अनुसार, यह केवल एक अंतिम उपाय के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए, और राज्य सरकार को पहले सुधार का अवसर दिया जाना चाहिए।
उचित उपयोग
- जब राज्य विधानसभा का चुनाव ‘हंग असेंबली’ (Hung Assembly) की स्थिति में हो।
- राज्य सरकार केंद्र सरकार के निर्देशों का उल्लंघन करती है।
अनुचित उपयोग
- राष्ट्रपति शासन का उपयोग राजनीतिक या व्यक्तिगत कारणों से किया जाना।
- यदि राज्य सरकार को सुधार का अवसर दिए बिना राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है।
राष्ट्रपति शासन पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय
राष्ट्रपति शासन के उपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं। इनमें से प्रमुख हैं:
- S.R. Bommai vs Union of India (1994): इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि राष्ट्रपति शासन न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) के अधीन होता है, और इसे राजनीतिक कारणों से लागू नहीं किया जा सकता।
- Rameshwar Prasad Case (2006): इस निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति शासन की सिफारिश वस्तुनिष्ठ मानकों पर आधारित होनी चाहिए, और इसे केवल केंद्र सरकार की मनमानी के आधार पर लागू नहीं किया जा सकता।
राष्ट्रपति शासन में सुधार
राष्ट्रपति शासन के लागू होने से राज्यों की स्वायत्तता पर गंभीर असर पड़ता है। कई बार यह प्रावधान राजनीतिक लाभ के लिए भी इस्तेमाल किया गया है। इसके निरंतर उपयोग (Recurrent Use) ने केंद्रीकरण (Centralization) की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया है, जो संविधानिक संघवाद (Constitutional Federalism) की मूल भावना का उल्लंघन करता है।
सुधारों के सुझाव
- Sarkaria Commission ने सुझाव दिया कि राष्ट्रपति शासन का उपयोग अंतिम उपाय (Last Resort) के रूप में किया जाए, और केंद्र को राज्य सरकार को चेतावनी देने के बाद ही इसे लागू करना चाहिए।
- Punchhi Commission ने राष्ट्रपति शासन को स्थानीयकरण (Localization) करने का सुझाव दिया, अर्थात इसे पूरे राज्य पर लागू करने के बजाय कुछ क्षेत्रों (जिला या जिले के कुछ हिस्सों) में लागू किया जाए।
निष्कर्ष
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन का विस्तार एक संवैधानिक कदम है, जो राज्य में शांति और संवैधानिक व्यवस्था की बहाली के लिए उठाया गया है। हालांकि, इसके लागू होने से राज्य की स्वायत्तता पर असर पड़ता है और इसको लेकर आलोचनाएँ भी हैं। संविधान के तहत, यह एक अस्थायी उपाय है, जो केवल तब लागू किया जाना चाहिए जब अन्य विकल्प समाप्त हो जाएं।
राष्ट्रपति शासन (President’s Rule) की प्रक्रिया और इसके प्रावधानों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य में शासन संविधान के अनुसार हो, और यदि राज्य सरकार ऐसा करने में असमर्थ हो, तो केंद्र सरकार इसे संभाल सके।
पिछले वर्षों के परीक्षा प्रश्न
2017:. किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन की उद्घोषणा के निम्नलीखित में से कौन से परिणामों का होना आवश्यक नहीं है ?
- राज्य सभा का विघटन
- राज्य के मंत्रिपरिषद् का हटाया जाना
- स्थानीय निकायों का विघटन
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिये:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (b)
अभ्यास प्रश्न (Practice Questions):
Prelims:
Q. राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) लागू करने की प्रक्रिया के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
- राष्ट्रपति शासन की उद्घोषणा केवल राज्य सरकार के असंवैधानिक व्यवहार पर की जा सकती है।
- राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद, राज्य के सभी कार्य केंद्रीय सरकार द्वारा राज्यपाल के माध्यम से किए जाते हैं।
- राष्ट्रपति शासन लागू करने के बाद, राज्य विधानसभा को निलंबित या भंग किया जा सकता है।
- राष्ट्रपति शासन को एक वर्ष से अधिक समय तक संसद की स्वीकृति के बिना लागू नहीं किया जा सकता।
सही उत्तर का चयन करने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें:
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 3 और 4
(d) 1 और 4
उत्तर: (b)
Mains:
Q. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू करने के संवैधानिक प्रावधानों पर विस्तृत चर्चा करें। साथ ही, मणिपुर जैसे राज्यों में राष्ट्रपति शासन के उपयोग के संदर्भ में इसकी आलोचनाएँ और सकारात्मक पहलुओं का विश्लेषण करें।
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