वंदे मातरम के 150 वर्ष: एक धुन जो आंदोलन बन गई

यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता-मुख्य परीक्षा (Mains): सामान्य अध्ययन पेपर 1 – भारतीय विरासत और संस्कृति

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) के लिए मुख्य तथ्य: वंदे मातरम की रचना बंकिम चंद्र चटर्जी ने 1875 में की थी, यह बंगदर्शन में प्रकाशित हुआ और बाद में आनंदमठ (1882) में शामिल किया गया। बंकिम चंद्र (1838–1894), साहित्यिक राष्ट्रवाद के जनक; उनके प्रमुख कार्य: दुर्गेशनंदिनी, कपालकुंडला, आनंदमठ, और देवी चौधरानीआनंदमठ में साधु देशभक्तों को दिव्य मातृभूमि की पूजा करते हुए दर्शाया गया है, जो राष्ट्रीय जागरण का प्रतीक है। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने वंदे मातरम को संगीतबद्ध किया और 1896 में INC अधिवेशन में इसे गाया। मैडम भीकाजी कामा ने 1907 में जर्मनी के स्टटगार्ट में “वंदे मातरम” लिखा हुआ पहला तिरंगा फहराया। 24 जनवरी 1950 को, संविधान सभा ने वंदे मातरम को जन गण मन के बराबर का सम्मान दिया।

चर्चा में क्यों

7 नवंबर 2025 को भारत के राष्ट्रगीत — वंदे मातरम — के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं, जिसका अर्थ है “हे माँ, मैं तुम्हें नमन करता हूँ।” बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा रचित यह गीत पहली बार बंगदर्शन (1875) में प्रकाशित हुआ था, और बाद में उनके प्रसिद्ध उपन्यास आनंदमठ (1882) में शामिल किया गया। रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा संगीतबद्ध यह गीत भारत की राष्ट्रीय पहचान की धड़कन बन गया — इसने स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरित किया और एक विविध राष्ट्र को भक्ति की एक ही धुन के तहत एकजुट किया।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

वंदे मातरम का विकास औपनिवेशिक अधीनता से भारत के जागरण को दर्शाता है — यह एक काव्य भजन से लेकर एक राष्ट्रीय जयघोष बन गया।

  • 1875: यह गीत पहली बार बंगदर्शन में प्रकाशित हुआ। श्री अरबिंदो के 1907 के लेख के अनुसार, जब बंगाल ब्रिटिश शासन के विरुद्ध उठा, तब इस गीत ने महत्व प्राप्त किया।
  • 1881: यह उपन्यास आनंदमठ के धारावाहिक प्रकाशन के दौरान बंगदर्शन पत्रिका में छपा।
  • 1907: मैडम भीकाजी कामा ने जर्मनी के स्टटगार्ट में “वंदे मातरम” लिखा हुआ पहला तिरंगा फहराया — यह गीत की वैश्विक गूंज को चिह्नित करता है।

आनंदमठ और देशभक्ति का धर्म

आनंदमठ में, बंकिम चंद्र ने देशभक्ति की कल्पना पूजा के एक रूप के रूप में की थी। उपन्यास के साधु (संतान) मातृभूमि को दिव्य मानते हैं, जो भारत के आध्यात्मिक और राजनीतिक जागरण का प्रतीक है।

माँ के तीन स्वरूप:

  1. वह माँ जो थी (The Mother that was): अतीत में गौरवशाली और शक्तिशाली।
  2. वह माँ जो है (The Mother that is): विदेशी शासन के अधीन गुलाम और पीड़ित।
  3. वह माँ जो होगी (The Mother that will be): स्वतंत्र, तेजस्वी और पुनर्जीवित।

श्री अरबिंदो ने बाद में लिखा कि बंकिम की माँ ने “अपनी सत्तर करोड़ हाथों में पैनी तलवार धारण कर रखी है” — जो लाचारी के बजाय शक्ति और आत्म-सम्मान का प्रतिनिधित्व करती है।

बंकिम चंद्र चटर्जी: दूरदर्शी

बंकिम चंद्र चटर्जी (1838–1894) भारतीय साहित्यिक राष्ट्रवाद के वास्तुकार और आधुनिक बंगाली गद्य के जनक थे। उनके प्रमुख कार्य — दुर्गेशनंदिनी, कपालकुंडला, आनंदमठ, और देवी चौधरानी — भारत की पहचान और गौरव की खोज को दर्शाते हैं।

वंदे मातरम के माध्यम से, बंकिम ने भक्ति को देशभक्ति के साथ मिला दिया, जिससे भारत को राष्ट्र के रूप में दिव्य माँ की एक दृष्टि मिली — जो शक्ति, प्रेम और मुक्ति का स्रोत है।

वंदे मातरम – प्रतिरोध का गीत

20वीं शताब्दी की शुरुआत तक, वंदे मातरम भारत के प्रतिरोध का गान बन चुका था — जिसने स्वदेशी और बंगाल-विभाजन विरोधी आंदोलनों को प्रज्वलित किया।

प्रमुख घटनाएँ:

  • 1905: उत्तरी कलकत्ता में बंदे मातरम सम्प्रदाय की स्थापना हुई; सदस्य प्रभात फेरियाँ निकालते थे और गीत गाते थे — इनमें अक्सर रवीन्द्रनाथ टैगोर भी शामिल होते थे।
  • 1906: बारीसाल के जुलूस में 10,000 से अधिक हिंदू और मुस्लिम वंदे मातरम ध्वज के नीचे एकजुट हुए।
  • 1906: बंदे मातरम नामक समाचार पत्र (बिपिन चंद्र पाल और श्री अरबिंदो) का शुभारंभ हुआ — यह राष्ट्रवादी विचारों के लिए एक निडर मंच था।
  • ब्रिटिश दमन: सरकार ने स्कूलों और कार्यालयों में गीत पर प्रतिबंध लगाने के लिए सर्कुलर जारी किए, लेकिन प्रतिबंधों ने इसे दबाने के बजाय पूरे भारत में विरोध का प्रतीक बना दिया।

पुनरुत्थानवादी राष्ट्रवाद का जयघोष

यह गीत जल्द ही भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का नैतिक मार्गदर्शन बन गया, जो प्रांतों और सामाजिक वर्गों के बीच गूंज उठा।

इसकी यात्रा में मील के पत्थर:

  • 1896: रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में गाया गया।
  • 1905: स्वदेशी आंदोलन का गान बना।
  • 1906: वाराणसी कांग्रेस अधिवेशन में औपचारिक रूप से इसे अपनाया गया।
  • 1907–1908: लाहौर से तूतीकोरिन तक विरोध प्रदर्शनों, तिलक के मुकदमे और विभिन्न श्रमिकों की हड़तालों के दौरान सुना गया।
  • 1914: जेल से रिहा होने पर तिलक का पुणे की सड़कों पर “वंदे मातरम” की गड़गड़ाहट के साथ स्वागत किया गया।

सार: इसने साहस, एकता और बलिदान को स्वतंत्रता की एक ही ललकार में समाहित करते हुए भारत के राष्ट्रवाद की धड़कन का रूप ले लिया।

विदेशों में भारतीय क्रांतिकारियों पर प्रभाव

वंदे मातरम सीमाओं को पार कर गया, दुनिया भर के क्रांतिकारियों को प्रेरित किया और प्रवासी आंदोलनों में इसकी गूंज सुनाई दी।

  • 1907: मैडम भीकाजी कामा ने जर्मनी में “वंदे मातरम” लिखा हुआ तिरंगा फहराया।
  • 1909: मदन लाल ढींगरा ने इंग्लैंड में फांसी पर चढ़ने से पहले अपने अंतिम शब्द “बंदे मातरम” कहे।
  • 1909: जिनेवा से बंदे मातरम पत्रिका का प्रकाशन शुरू हुआ, जिसने विदेशों में भारतीय राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया।
  • 1912: गोपाल कृष्ण गोखले का दक्षिण अफ्रीका में “वंदे मातरम” के नारों के साथ भव्य जुलूस में स्वागत किया गया।

इस वैश्विक गूंज ने भारतीय पहचान और स्वतंत्रता के लिए एक सार्वभौमिक आह्वान के रूप में गीत की स्थिति की पुष्टि की।

राष्ट्रीय दर्जा (1950)

स्वतंत्रता के बाद, संविधान सभा ने वंदे मातरम और जन गण मन दोनों को राष्ट्रीय प्रतीकों के रूप में सर्वसम्मति से सम्मानित किया।

24 जनवरी 1950 को, डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने घोषणा की:

“वंदे मातरम गीत, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक ऐतिहासिक भूमिका निभाई है, उसे जन गण मन के साथ समान रूप से सम्मानित किया जाएगा।”

  • जन गण मन: आधिकारिक राष्ट्रगान
  • वंदे मातरम: पूजनीय राष्ट्रगीत

ये दोनों भारत की स्वतंत्रता, एकता और नैतिक भावना का प्रतीक हैं।

निष्कर्ष

वंदे मातरम के 150 वर्ष का स्मरणोत्सव भारत की राष्ट्रीय चेतना को आकार देने में इसकी शाश्वत भूमिका का सम्मान करता है। 19वीं सदी के साहित्यिक पुनर्जागरण में जन्मा यह गीत प्रतिरोध और एकता का गान बन गया, जिसने भारत को अधीनता से संप्रभुता की ओर निर्देशित किया। आज भी, यह हमें याद दिलाता है कि मातृभूमि के प्रति प्रेम पवित्र और परिवर्तनकारी दोनों है — यह वह धुन है जो भारत के हृदय को हमेशा के लिए बांधे रखती है।

प्रारंभिक परीक्षा अभ्यास प्रश्न –

प्रश्न 1: वन्दे मातरम् गीत किसने रचा, जो बाद में भारत का राष्ट्रीय गीत बन गया?
 a) रवींद्रनाथ टैगोर
 b) बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय
 c) अरविंद घोष
 d) बिपिन चंद्र पाल
 सही उत्तर: (b)

प्रश्न 2: वन्दे मातरम् सबसे पहले किस उपन्यास में शामिल किया गया था?
 a) कपालकुंडला
 b) आनंदमठ
 c) देवी चौधुरानी
 d) दुर्गेशनंदिनी
 सही उत्तर: (b)

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: “वंदे मातरम” एक गीत से कहीं अधिक है; यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक बन गया। वंदे मातरम के ऐतिहासिक विकास, इसके साहित्यिक और सांस्कृतिक महत्व, तथा स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान देशभक्ति और एकता को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका का परीक्षण कीजिए। (250 शब्द)

SOURCE-PIB

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