हिमालयी बादलों में विषैली धातुएँ: स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए उभरता संकट

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत बोस संस्थान द्वारा किए गए एक शोध में यह तथ्य सामने आया कि हिमालयी बादलों में अब विषैली भारी धातुएँ जैसे कि कैडमियम, क्रोमियम, कॉपर और जिंक उपस्थित हैं। ये तत्व कैंसरजन्य (Carcinogenic) और गैर-कैंसरजन्य रोगों के साथ-साथ पर्यावरणीय पारिस्थितिकीय असंतुलन के कारक बन रहे हैं।


1. अध्ययन की पृष्ठभूमि

  • अध्ययन की प्रविष्टि तिथि: 01 अगस्त 2025
  • स्थान: पूर्वी और पश्चिमी हिमालय क्षेत्र
  • संस्थान: बोस इंस्टिट्यूट, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन
  • अध्ययन का समय: मानसून पूर्व-शुरुआत का काल

शोध में यह पाया गया कि पूर्वी हिमालय के बादलों में 40-60% अधिक विषैली धातुएँ थीं और प्रदूषण स्तर 1.5 गुना अधिक था, विशेषकर कैडमियम, तांबा और जिंक की अधिकता के साथ।


2. विषधातुओं के स्रोत

  • औद्योगिक उत्सर्जन (Industries)
  • वाहन प्रदूषण (Vehicular emissions)
  • कोयला संयंत्र (Thermal plants)
  • इंडो-गैंगेटिक क्षेत्र से आने वाले प्रदूषक
  • वायु प्रवाह और बादलों द्वारा लंबी दूरी तक परिवहन

बादल इन धातुओं को वातावरण से अवशोषित कर ऊँचाई वाले इलाकों तक ले जाते हैं, जहाँ वे बर्फ, बारिश और जलधाराओं में मिल जाते हैं।


3. स्वास्थ्य जोखिम

प्रमुख मार्ग:

  • श्वसन (Inhalation): सबसे संवेदनशील
  • त्वचा अवशोषण (Dermal)
  • जल सेवन (Oral)

विशेष रूप से प्रभावित वर्ग:

  • बच्चे: वयस्कों की तुलना में 30% अधिक जोखिम
  • गर्भवती महिलाएँ: भ्रूण पर न्यूरोविकासीय प्रभाव
  • स्थानीय समुदाय व पर्वतारोही
प्रभावित अंग एवं रोग:
धातुस्वास्थ्य प्रभाव
क्रोमियम     फेफड़े व पेट का कैंसर
कैडमियम    गुर्दा, यकृत, रक्त विकार
तांबा व जिंक   तंत्रिका तंत्र, पाचन विकार

4. पारिस्थितिकीय प्रभाव
  • हिमनदों में धातुओं का संग्रह → पिघलने पर जलस्रोत में मिलना
  • नदी पारिस्थितिकी तंत्र और 100 मिलियन से अधिक लोगों के पेयजल पर प्रभाव
  • जैव संचयन (Bioaccumulation) के माध्यम से कृषि, मत्स्य और पशु स्वास्थ्य पर प्रभाव

5. संवेदनशील समुदाय और क्षेत्र
  • लद्दाख, दार्जिलिंग, सिक्किम जैसे पर्वतीय राज्य
  • शेर्पा, गाइड, ट्रैकर्स आदि
  • स्थानीय ग्रामीण जो ग्लेशियर जल पर निर्भर
  • हालांकि विश्लेषण से पता चलता है कि भारतीय बादल अब भी तुलनात्मक रूप से कम प्रदूषित हैं, जिससे भारत में चीन, पाकिस्तान, इटली और अमेरिका जैसे देशों की तुलना में एक सुरक्षित स्वास्थ्य क्षेत्र है।

निष्कर्ष

यह अध्ययन केवल वायुमंडलीय विज्ञान तक सीमित नहीं है। यह भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति, पर्यावरणीय सुरक्षा, और स्थायी विकास लक्ष्यों के केंद्र में आ गया है। यह स्पष्ट करता है कि अब पर्वतीय वर्षा जल पूर्णतः शुद्ध नहीं है।



UPSC PYQ


प्रश्न 1.
निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए:(UPSC – 2014)

शिखरपर्वत
1. नामचा बरवागढ़वाल हिमालय
2. नंदा देवीकुमाऊँ हिमालय
3. नोकरेकसिक्किम हिमालय

उपर्युक्त युग्मों में कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?

(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (b)

2. जब आप हिमालय की यात्रा करेंगे, तो आप निम्नलिखित भौगोलिक विशेषताएँ देख सकते हैं: (UPSC 2012)

  1. गहरे खड्ड
  2. U आकार के घुमाव वाले नदी मार्ग
  3. समानांतर पर्वत श्रेणियाँ
  4. भूस्खलन के लिये उत्तरदायी तीव्र ढाल प्रवणता

उपरोक्त में से कौन-से लक्षण हिमालय के “तरुण वलित पर्वत” (नवीन मोड़दार पर्वत) होने के साक्ष्य माने जा सकते हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 4
(c) केवल 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4


 सही उत्तर: (d) 1, 2, 3 और 4


मेन्स

प्रश्न 1. हिमालय क्षेत्र तथा पश्चिमी घाटों में भू-स्खलनों के विभिन्न कारणों का अंतर स्पष्ट कीजिये। (2021)

 

प्रश्न 2.  हिमालय के हिमनदों के पिघलने का भारत के जल-संसाधनों पर किस प्रकार दूरगामी प्रभाव होगा ? (2020)

 

प्रश्न 3. “हिमालय भूस्खलनों के प्रति अत्यधिक प्रवण है।” कारणों की विवेचना कीजिये तथा अल्पीकरण के उपयुक्त उपाय सुझाइये। (2016)


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