चर्चा में क्यों :–
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान निर्णय दिया है कि किसी भी प्रकार के मामले में चाहे वह UAPA संबंधित हो जांच एजेंसियों को गिरफ्तारी का लिखित आधार बताना होगा।
⦁ यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा प्रबीर पुरकायस्थ बनाम राज्य (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली) मामले में दिया गया है
⦁ सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि गैर-कानूनी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (UAPA) मामले में गिरफ्तार किए गए न्यूज़क्लिक के संस्थापक-संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी अमान्य और गैर कानूनी है।
⦁ सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा की दिल्ली पुलिस के द्वारा प्रदीप पुरकायस्थ को गिरफ्तार करने से पहले उन्हें गिरफ्तार करने के कारणों की जानकारी देनी चाहिए थी ऐसा करने में दिल्ली पुलिस असफल रही है
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा:–
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पंकज बंसल बनाम भारत संघ एवं अन्य मामले का उल्लेख करते हुए कहा की इस मामले में अनिवार्य किया गया है की किसी भी अभियुक्त को गिरफ्तार करने से पहले उसे गिरफ्तारी का आधार लिखित रूप में बताया जाना चाहिए। यह आदेश सभी प्रकार की गिरफ्तारियां के साथ ही UAPA, 1967 के तहत दर्ज मामलों पर भी लागू होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक पूर्व के निर्णय में कहा था कि अगर किसी व्यक्ति को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत गिरफ्तार किया जाता है तो आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तारी का आधार अनिवार्य रुप से बताया जाना चाहिए।
अनुच्छेद 22 (1) और 22 (5) :– भारतीय संविधान के यह दोनों अनुच्छेद भी हिरासत में लेने संबंधी प्रावधान बताते है
अनुच्छेद 22 (1) और 22 (5) में इन दोनों अनुच्छेदों के द्वारा किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने से पहले उसे की जाने वाली सूचना को अनुल्लंघनीय बनाया है साथ ही भारतीय संविधान तथा कानून में उल्लेख है कि किसी भी आधार पर इस प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया जा सकता
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 22 (1) में प्रावधान किया गया है कि किसी व्यक्ति को जिसे गिरफ्तार किया गया है या गिरफ्तार किया जाना है। ऐसी गिरफ्तारी के कारणों से उस व्यक्ति को यथाशीघ्र अवगत कराए बिना हिरासत में नहीं रखा जा सकता ।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 22 (5) प्रावधान कार्य है की जब किसी व्यक्ति को प्रिवेंटिव डिटेंशन के उपबंध के तहत हिरासत में लिया जाता है या लिया जाएगा, तब हिरासत में लिए गए व्यक्ति को प्राधिकारी द्वारा गिरफ्तार किए गए आधारों के बारे में जितना जल्दी हो सके, उस व्यक्ति को सूचित करेगा। तथा जिस व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है उसको अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाएगा।