कोपिली नदी (एनडब्ल्यू 57) पर परिचालन शुरू: असम में अंतर-राज्यीय माल परिवहन को पुनर्जीवित किया गया

प्रासंगिकता:

  • प्रीलिम्स
  • GS Paper-I (भूगोल), GS Paper-III (पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, संसाधन प्रबंधन), और Essay Paper

कोपिली नदी के बारे में

  • कोपिली नदी पूर्वोत्तर भारत में ब्रह्मपुत्र नदी की एक प्रमुख बायीं तटवर्ती सहायक नदी है। यह नदी विशेष रूप से असम और मेघालय राज्यों में बहती है।  

स्रोत (Origin):

  • यह दक्षिण-पूर्व मेघालय के साइपोंग रिजर्व फ़ॉरेस्ट से निकलती है।

प्रवाह क्षेत्र (Course):

  • 256 किलोमीटर लंबी कोपिली नदी मेघालय और असम के बीच 78 किलोमीटर तक एक साझा सीमा बनाती है। शेष 178 किलोमीटर नदी असम से होकर बहती है और फिर कोपिलिमुख में ब्रह्मपुत्र नदी में मिल जाती है।
  • कोपिली नदी असम में ब्रह्मपुत्र की सबसे बड़ी दक्षिणी सहायक नदी है. 

प्रमुख सहायक नदियाँ:

  • कोपिली नदीकोपिली की ऊपरी पहुंच में इसकी कुछ प्रमुख सहायक नदियाँ खारकोर, म्यन्त्रिआंग, दीनार, लोंगसोम, अमरिंग, उमरोंग, लोंगकु और लांगक्री नदियाँ हैं।
  • असम के निचले इलाकों में कोपिली नदी में दियुंग, जमुना, उमखेन-बोरापानी, किलिंग, उमट्रू/दिगारू और कोलोंग जैसी सहायक नदियाँ मिलती हैं।

महत्त्व:

  • यह नदी कोपिली जलविद्युत परियोजना (Kopili Hydroelectric Project) के लिए जानी जाती है।
  • कोपिली जलविद्युत परियोजना में दो मुख्य बांध शामिल हैं – खांडोंग और उमरोंग बांध।
  • यह क्षेत्रीय जल स्रोत और सिंचाई का साधन भी है।
  • श्री सोनोवाल ने कहा कि असम में 1,168 किलोमीटर लंबे चालू जलमार्गों में बराक (एनडब्ल्यू 16) और धनसिरी (एनडब्ल्यू 31) नदियों के अलावा ब्रह्मपुत्र और कोपिली भी शामिल हैं, जिनकी नौगम्य लंबाई 46 किलोमीटर है।
जैव विविधता और संरक्षण
  • दर्ज की गई प्रजातियों में से कई कोपिली नदी प्रणाली की स्थानिक प्रजातियां हैं , जैसे लुप्तप्राय गंगा मिस्टस और संकटग्रस्त पाब्दा कैटफ़िश
  • कोपिली में गोल्डन महासीर जैसी प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं, जिन्हें निकट संकटग्रस्त के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। अन्य संकटग्रस्त प्रजातियाँ हैं वलागो अट्टू और चिताला चिताला।
समस्या:
  • हाल के वर्षों में कोपिली नदी को अनधिकृत खनन गतिविधियों, घरेलू मल-मूत्र, कृषि अपवाह और मृदा अपरदन से बढ़ते प्रदूषण के खतरों का सामना करना पड़ा है।
  • कोपिली नदी का पानी अम्लीय (acidic) हो गया है, जिसका मुख्य कारण कोयला खनन (coal mining) है, विशेष रूप से मेघालय में अवैध खनन।
निष्कर्ष:

कोपिली को संरक्षित करने के लिए सतत जलग्रहण प्रबंधन प्रदूषण नियंत्रण , पर्यावरणीय प्रवाह को बनाए रखने, आवास पुनर्स्थापन और सामुदायिक प्रबंधन के माध्यम से तत्काल कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। स्थानीय समुदायों, सरकारों, नागरिक समाज और अन्य हितधारकों की समन्वित कार्रवाई से कोपिली के पर्यावरणीय स्वास्थ्य को बहाल करना और इस महत्वपूर्ण नदी प्रणाली से सामाजिक-आर्थिक लाभ प्राप्त करना जारी रखना संभव है। नदी बेसिन का भविष्य आज पारिस्थितिक और सामाजिक रूप से ज़िम्मेदार विकल्पों पर निर्भर करता है।

स्रोत : PIB (https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2151729 ) + THE HINDU (https://www.thehindu.com/news/national/assam/waterborne-freight-transport-resumes-in-assam-after-10-years/article69887347.ece )

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