यूपीएससी प्रासंगिकता– प्रारंभिक परीक्षा-विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी: उपग्रह संचार, कक्षीय यांत्रिकी (LEO, MEO, GEO), आवृत्ति बैंड (Ku, Ka), एंटीना प्रौद्योगिकी। सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र III – विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी |
चर्चा में क्यों?
● एलन मस्क का स्टारलिंक भारतीय बाज़ार में प्रवेश करने के लिए तैयार है, जो इंटरनेट के बुनियादी ढाँचे में एक बड़े बदलाव का संकेत है।

● पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) के विशाल तारामंडलों का आगमन दुनिया भर में नागरिक और सैन्य संचार प्रणालियों, दोनों में बदलाव ला रहा है।
पृष्ठभूमि
- भू-आधारित इंटरनेट: केबल, फाइबर ऑप्टिक और मोबाइल टावरों पर निर्भर; शहरी क्षेत्रों में किफ़ायती, लेकिन कम आबादी वाले या कठिन भौगोलिक क्षेत्रों (पहाड़, रेगिस्तान, द्वीप) में महंगा।
- कनेक्टिविटी की कमी: अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) के अनुसार, दुनिया में लगभग 2.6 अरब लोग अब भी इंटरनेट से वंचित हैं, जिनमें से अधिकतर दूरदराज़ इलाकों में रहते हैं।
- रणनीतिक महत्व: उपग्रह इंटरनेट आपदाओं (जैसे 2017 का हैरवी तूफान) और संघर्षों (जैसे 2022 रूस–यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन का Starlink पर भरोसा) के दौरान जीवनरेखा साबित हुआ है।
भू-आधारित नेटवर्क आर्थिक रूप से अव्यवहारिक क्यों हो जाते हैं
- कम जनसंख्या घनत्व – ग्रामीण/दूरस्थ क्षेत्रों में प्रति उपयोगकर्ता ढांचा लागत अधिक।
- उदाहरण: हिमालय में ऑप्टिकल फाइबर बिछाने की लागत मैदानी इलाकों से 10–15 गुना अधिक।
- भौगोलिक बाधाएँ – पहाड़ी, रेगिस्तानी या वनों से ढके क्षेत्रों में टावर लगाना कठिन।
- प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशीलता – बाढ़, भूकंप और चक्रवात के कारण केबल और टावर क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
- अस्थायी या मोबाइल आवश्यकताएँ – जहाज़, विमान या दूरस्थ तेल रिग जैसी गतिशील जगहों पर स्थाई नेटवर्क भरोसेमंद नहीं।
सैटेलाइट इंटरनेट की दोहरी प्रकृति
- नागरिक उपयोग – दूरस्थ क्षेत्रों में इंटरनेट, टेलीमेडिसिन, कृषि, शिक्षा, आपदा प्रबंधन।
- सैन्य उपयोग – सुरक्षित सैनिक संचार, ड्रोन संचालन, रियल-टाइम युद्धक्षेत्र समन्वय।
दोहरे उपयोग के उदाहरण:
- सकारात्मक – सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सेना का परिचालन क्षमता हेतु सैटेलाइट इंटरनेट का उपयोग करती है। ]
- नकारात्मक – भारत में विद्रोहियों के पास तस्करी किए गए स्टारलिंक उपकरण पाए गए, जो दुरुपयोग की संभावना दर्शाते हैं।
तकनीकी कार्यप्रणाली
सैटेलाइट इंटरनेटप्रणाली के दो प्रमुख घटक होते हैं:
- स्पेस सेगमेंट (Space Segment) – कक्षा में घूमते उपग्रह, जिनमें संचार उपकरण लगे होते हैं।
- ग्राउंड सेगमेंट (Ground Segment) – उपयोगकर्ता टर्मिनल (डिश, मॉडेम) और गेटवे स्टेशन जो स्थलीय इंटरनेट से जुड़े होते हैं।
डेटा प्रवाह प्रक्रिया:
उपयोगकर्ता का अनुरोध → उपग्रह को अपलिंक → इंटर-सैटेलाइट लिंक या ग्राउंड स्टेशन के माध्यम से रूटिंग → स्थलीय इंटरनेट द्वारा प्रोसेस → उपग्रह से वापसी सिग्नल → उपयोगकर्ता टर्मिनल पर रिसीव।
मुख्य तीन उपग्रह कक्षाएँ
कक्षा | ऊँचाई | कवरेज | विलंब (Latency) | उदाहरण | फायदे | नुकसान |
GEO (Geostationary) | 35,786 किमी | पृथ्वी का 1/3 हिस्सा | ~600 ms | Viasat GX | व्यापक कवरेज, स्थिर स्थिति | अधिक विलंब, रियल-टाइम उपयोग के लिए अनुपयुक्त |
MEO (Medium Earth Orbit) | 2,000–35,786 किमी | क्षेत्रीय/वैश्विक | ~150–200 ms | O3b mPOWER | कवरेज और विलंब का संतुलन | अब भी महंगा, बड़े उपग्रह |
LEO (Low Earth Orbit) | 500–2,000 किमी | छोटा क्षेत्र | ~20–40 ms | Starlink | कम विलंब, छोटे उपग्रह | वैश्विक कवरेज के लिए हज़ारों उपग्रहों की आवश्यकता |
मेगा-नक्षत्र (Mega-Constellations) और नवाचार
- Starlink के पास 7,000+ उपग्रह हैं, लक्ष्य 42,000 उपग्रह।
- Optical Inter-Satellite Links (OISL) – उपग्रह सीधे एक-दूसरे से संवाद कर सकते हैं, ज़मीन से गुजरे बिना, जिससे तेज़ और वैश्विक रूटिंग संभव।
- ऑन-बोर्ड प्रोसेसिंग – उपग्रह “स्मार्ट” बनते हैं, जिससे यूज़र टर्मिनल की लागत और जटिलता घटती है।
चुनौती: LEO उपग्रह लगभग 27,000 किमी/घंटा की गति से चलते हैं, जिससे स्थिर कनेक्शन बनाए रखने के लिए उपग्रहों के बीच निर्बाध “हस्तांतरण” की आवश्यकता होती है।
लागत तुलना
- उपग्रह इंटरनेट: ~500 अमेरिकी डॉलर उपकरण + ~50 डॉलर/माह सब्सक्रिप्शन (दूरस्थ क्षेत्रों में अधिक)।
- स्थलीय ब्रॉडबैंड: शहरों में प्रति GB सस्ता; दूरस्थ क्षेत्रों में ढांचा तैयार करने की लागत बहुत अधिक।
उपयोग के क्षेत्र
- नागरिक क्षेत्र – दूरस्थ शिक्षा, टेलीमेडिसिन, ई-गवर्नेंस, सटीक कृषि, स्मार्ट टूरिज्म।
- आपदा प्रबंधन – बाढ़, भूकंप, चक्रवात के दौरान संचार बैकअप।
- परिवहन और लॉजिस्टिक्स – बेड़े की ट्रैकिंग, स्वायत्त वाहन, शिपिंग नेविगेशन।
- रक्षा और सुरक्षा – सुरक्षित संचार, UAV नियंत्रण, खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान।
सुरक्षा संबंधी चिंताएँ
- सीमा रहित पहुँच का फायदा विद्रोही समूहों या अपराधियों द्वारा उठाया जा सकता है।
- विदेशी-चालित नक्षत्रों पर निर्भरता रणनीतिक स्वायत्तता को खतरे में डाल सकती है।
- विमानन और सैन्य रडार सिस्टम में हस्तक्षेप होने का खतरा हो सकता है।
भारत की तैयारी
- नियामक: DoT द्वारा OneWeb, Jio Satellite, और Starlink को GMPCS लाइसेंस दिए जा रहे हैं।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर: ISRO अपने उपग्रह ब्रॉडबैंड पहलों पर काम कर रहा है।
- नीति की आवश्यकता: सुरक्षा, लाइसेंसिंग, आवृत्ति आवंटन, और आपातकालीन नियंत्रण के लिए स्पष्ट ढांचा आवश्यक है।
आगे का रास्ता
- स्वदेशी क्षमता – विदेशी ऑपरेटरों पर निर्भरता घटाने के लिए घरेलू उपग्रह नक्षत्र विकसित करें।
- संतुलित नियमन – नवाचार को बढ़ावा दें, साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा की निगरानी सुनिश्चित करें।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी – ISRO, निजी कंपनियों और वैश्विक खिलाड़ियों के बीच सहयोग को बढ़ावा दें।
- डिजिटल समावेशन कार्यक्रम – ग्रामीण ब्रॉडबैंड के लिए BharatNet Phase-III में उपग्रह इंटरनेट को जोड़े।
- सुरक्षा प्रोटोकॉल – उपयोगकर्ता टर्मिनल्स के लिए अनिवार्य पंजीकरण और जियोफेंसिंग लागू करें, ताकि दुरुपयोग रोका जा सके।
- अंतरराष्ट्रीय संलग्नता – अंतरिक्ष-आधारित इंटरनेट संचालन के लिए वैश्विक नियमों में भाग लें।
निष्कर्ष
उपग्रह इंटरनेट केवल स्थलीय नेटवर्क का बैकअप नहीं है — यह डिजिटल अर्थव्यवस्था, शासन और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक रणनीतिक सक्षमकर्ता है। इसकी द्वैध-उपयोग प्रकृति को संतुलित रूप से उपयोग करना आवश्यक है: समावेशन और लचीलापन के लिए इसके संभावनाओं का लाभ उठाते हुए, इसके दुरुपयोग के जोखिमों का समाधान करते हुए।
भारत के लिए, समय पर नीति कार्रवाई, स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास और सक्रिय कूटनीति महत्वपूर्ण होंगे, ताकि उपग्रह इंटरनेट को आर्थिक संवर्धक और रणनीतिक संपत्ति दोनों के रूप में लाभकारी बनाया जा सके।
UPSC प्रीलिम्स अभ्यास प्रश्न
प्र. उपग्रह इंटरनेट प्रौद्योगिकी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) उपग्रह आमतौर पर जियोस्टेशनरी ऑर्बिट (GEO) उपग्रहों की तुलना में कम विलंबता प्रदान करते हैं।
- GEO उपग्रह पृथ्वी के चारों ओर 36,000 किमी की ऊँचाई पर परिक्रमा करते हैं और जमीन से स्थिर दिखाई देते हैं।
- LEO उपग्रहों को GEO उपग्रहों की तुलना में वैश्विक कवरेज प्रदान करने के लिए कम उपग्रहों की आवश्यकता होती है।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
A. केवल 1 और 2
B. केवल 2
C. केवल 1 और 3
D. 1, 2 और 3
उत्तर: A
UPSC मेन्स अभ्यास प्रश्न
प्र. उपग्रह इंटरनेट के कार्य करने के तरीके पर चर्चा करें और इसकी फायदे और चुनौतियों की तुलना स्थलीय ब्रॉडबैंड नेटवर्क से करें। यह भारत में डिजिटल विभाजन को पाटने में कैसे योगदान दे सकता है?
(15 अंक, 250 शब्द)
स्रोत – द हिंदू
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