वैश्विक भुखमरी को समाप्त करने का मार्ग भारत से होकर गुजरता है

यूपीएससी प्रासंगिकता-

प्रारंभिक परीक्षा – ONORC, प्रधानमंत्री पोषण योजना, ICDS, एग्रीस्टैक, ई-नाम, SOFI रिपोर्ट

मुख्य परीक्षा-

GS पेपर II – शासन और सामाजिक न्याय ● सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार ● कल्याणकारी योजनाएँ (ICDS, प्रधानमंत्री पोषण) ● खाद्य सुरक्षा में डिजिटल शासन

GS पेपर III – कृषि और अर्थव्यवस्था ● कृषि-खाद्य प्रणाली में सुधार ● कोल्ड चेन और खाद्य प्रसंस्करण अवसंरचना ● FPO और सहकारी समितियों की भूमिका

चर्चा में क्यों ?

संयुक्त राष्ट्र की “वर्ष 2025 की वैश्विक खाद्य सुरक्षा और पोषण रिपोर्ट (SOFI रिपोर्ट)” के अनुसार, दुनिया में भूख और कुपोषण से जूझ रहे लोगों की संख्या में कमी आई है।
2023 में करीब 68.8 करोड़ लोग कुपोषित थे, जो 2024 में घटकर 67.3 करोड़ रह गए
यह आंकड़ा अब दुनिया की कुल आबादी का 8.2% है। इस सकारात्मक बदलाव में भारत की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही हैसाल 2020 से 2024 के बीच भारत में लगभग 3 करोड़ लोग कुपोषण से बाहर निकले हैं। यह सफलता सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा और पोषण से जुड़ी योजनाओं में किए गए सुधारों की वजह से मिली है।

पृष्ठभूमि

  • COVID-19 महामारी के समय भूख और भुखमरी अचानक बहुत बढ़ गई, जिससे पिछले कई सालों में हुई तरक्की पर असर पड़ा।
  • भारत, जिसकी आबादी 1.4 अरब है, उस समय खाने की सप्लाई में रुकावट और कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी जैसी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहा था।
  • लेकिन सरकार ने जन वितरण प्रणाली (PDS) को सुधारकर और लक्षित पोषण योजनाएं शुरू करके स्थिति को संभाला।
  • इन प्रयासों की वजह से 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को लगातार अनाज और जरूरी पोषण मिलता रहा।
  • हालाँकि अब भूख की समस्या कुछ हद तक कम हो गई है, लेकिन पोषण से जुड़ी कई नई चुनौतियाँ सामने आई हैं, जिनमे है –
  •  स्वस्थ और संतुलित आहार बहुत महंगे हैं, और 60% भारतीय इन्हें खरीद नहीं सकते।
  •  बच्चों में कुपोषण और जरूरी विटामिन-खनिज की कमी अभी भी आम है।
  • गरीब लोगों में अब मोटापा और खानपान से जुड़ी बीमारियाँ भी तेजी से बढ़ रही हैं।

इसलिए अब चुनौती सिर्फ खाना पहुंचाने की नहीं, बल्कि लोगों तक पौष्टिक और संतुलित खाना पहुंचाने की है —यानी खाद्य सुरक्षा से आगे बढ़कर अब पोषण सुरक्षा की ज़रूरत है।

 भुखमरी क्या है?

  भुखमरी वह स्थिति है जब किसी व्यक्ति को पर्याप्त और पौष्टिक भोजन नहीं मिलता। इसका मतलब सिर्फ पेट खाली रहना नहीं है, बल्कि शरीर को ज़रूरी पोषण जैसे प्रोटीन, विटामिन और ऊर्जा न मिलना भी है। लंबे समय तक सही खाना न मिलने से शरीर कमजोर हो जाता है, बच्चों की बढ़त रुक जाती है और लोग आसानी से बीमार पड़ने लगते हैं। यानी, भुखमरी वह अवस्था है जब इंसान के पास इतना भोजन नहीं होता कि वह स्वस्थ और सक्रिय जीवन जी सके।  

वैश्विक भुखमरी सूचकांक (Global Hunger Index – GHI) क्या है?  

वैश्विक भुखमरी सूचकांक एक ऐसा उपकरण है जो दुनिया, क्षेत्र और देशों में भुखमरी की स्थिति को मापता है।  यह एक वार्षिक रिपोर्ट है जो आयरलैंड के गैर-सरकारी संगठन कंसर्न वर्ल्डवाइड और जर्मनी के वेल्ट हंगर हिल्फे द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित की जाती है।   

GHI कैसे काम करता है ?

GHI चार संकेतकों का उपयोग करके भूख के स्तर को मापता है

अल्प-पोषण (Undernourishment)

– ऐसे लोग जिनको खाने से पर्याप्त कैलोरी (ऊर्जा) नहीं मिल रही।
– यानी उनकी ज़रूरत के मुकाबले खाना कम है।
बाल बौनापन (Child Stunting)
– पाँच साल से छोटे बच्चे जिनकी लंबाई उनकी उम्र के हिसाब से कम रह गई है।
– यह बताता है कि लंबे समय तक उन्हें सही पोषण नहीं मिला।
बाल दुर्बलता (Child Wasting)
– पाँच साल से छोटे बच्चे जिनका वजन उनकी ऊँचाई के मुकाबले बहुत कम है।
– यह बताता है कि बच्चे को गंभीर कुपोषण है।
शिशु मृत्यु दर (Child Mortality)
– पाँच साल से पहले मरने वाले बच्चों की संख्या।
– इसका बड़ा कारण है कम पोषण और गंदा/अस्वास्थ्यकर माहौल।

यह स्कोर 0 से 100 के बीच होता है।

0 का मतलब है बिल्कुल भुखमरी नहीं।
100 का मतलब है सबसे खराब हालत।

2024 में भारत की स्थिति

2024 की GHI रिपोर्ट में, भारत 127 देशों में 105वें स्थान पर है, जिसका स्कोर 27.3 है, जो “गंभीर” श्रेणी में आता है। 2023 में भारत 125 देशों में 111वें स्थान पर था, इसलिए रैंकिंग में मामूली सुधार हुआ है, लेकिन फिर भी स्थिति गंभीर बनी हुई है।     

सरकारी राशन प्रणाली (PDS) में हालिया बदलाव

भारत की जन वितरण प्रणालीमें हाल के वर्षों में डिजिटल क्रांति आई है। इससे गरीबों और ज़रूरतमंदों तक राशन पहुँचाने का तरीका तेज़, पारदर्शी और भरोसेमंद बना है।

 आधार आधारित पहचान, बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली, और रियल टाइम स्टॉक ट्रैकिंग जैसे डिजिटल उपायों की वजह से राशन में होने वाली चोरी और गड़बड़ियों में भारी कमी आई है।

“वन नेशन, वन राशन कार्ड” (ONORC) योजना की मदद से प्रवासी मजदूरों को देश के किसी भी कोने में राशन लेना आसान हो गया है।

कोरोना महामारी के दौरान, सरकार ने PDS को तेज़ी से और बड़े पैमाने पर लागू किया, जिससे करोड़ों लोगों को लगातार जरूरी अनाज मिलता रहा।

 इन सभी सुधारों की वजह से PDS अब सिर्फ़ एक सुरक्षा व्यवस्था नहीं, बल्कि एक मजबूत और भरोसेमंद जीवन रेखा बन चुका है।

मुख्य समस्याएं और चुनौतियाँ

हालाँकि आज भी भारत को पोषण से जुड़ी कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:

1️. स्वस्थ आहार की खरीदने की क्षमता

  • जो भोजन पोषण से भरपूर होता है, वह अब भी बहुत महंगा है।
  • इसके कारण 60% से ज़्यादा लोग ऐसा संतुलित और पोषक खाना खरीद नहीं पाते। 

2️.पोषण की कमी

  • सरकार की योजनाएं जैसे पोषण योजना (2021) और एकीकृत बाल विकास कार्यक्रम का मकसद लोगों को विविध और पोषणयुक्त आहार देना है।
  • लेकिन इन योजनाओं की पहुंच सभी ज़रूरतमंदों तक अभी नहीं हो पाई है।

3️. भोजन की बर्बादी और बुनियादी ढांचे की कमी

  • भारत में कटाई के बाद करीब 13% भोजन बर्बाद हो जाता है क्योंकि
    कोल्ड स्टोरेज, ट्रांसपोर्ट और भंडारण जैसी सुविधाएं अभी भी कमज़ोर हैं।

4️.कुपोषण का दोहरा बोझ

  • अब एक तरफ कुपोषण है, तो दूसरी ओर मोटापा और विटामिन की कमी खासकर शहरी गरीबों में ये तीनों समस्याएं एक साथ देखने को मिल रही हैं।

कृषि-खाद्य प्रणाली में बदलाव के मुख्य पहलू

भारत में कृषि और खाद्य प्रणाली (Agri-Food System) को बेहतर बनाने के लिए कई अहम बदलाव किए जा रहे हैं, जो केवल खेती तक सीमित नहीं, बल्कि पोषण, आजीविका और तकनीक से भी जुड़े हुए हैं:

1️.उत्पादन का विविधीकरण

  • भारत में अब सिर्फ़ चावल और गेहूं पर निर्भर न रहकर दालें, फलों, सब्जियाँ और जलवायु-समर्थ फसलें उगाने को बढ़ावा दिया जा रहा है।

2️.फसल कटाई के बाद निवेश

  • कोल्ड स्टोरेज, फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स और डिजिटल लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाया जा रहा है, ताकि फसल की बर्बादी कम हो और किसानों को बेहतर कीमत मिल सके।

3️. सामुदायिक उद्यम

  • FPOs (किसान उत्पादक संगठन) और महिलाओं द्वारा संचालित सहकारी संस्थाओं को मजबूत बनाया जा रहा है,ताकि वे किसानों की आमदनी और लोगों के पोषण स्तर दोनों को बेहतर कर सकें।

4️.डिजिटल कृषि

एग्रीस्टेक, e-नाम और भू-स्थानिक डेटा टूल्स जैसी तकनीकों का इस्तेमाल बढ़ाया जा रहा है,
जिससे किसानों को बाज़ार से जोड़ने और नीतियों को डेटा पर आधारित बनाने में मदद मिले।

5️. वैश्विक नेतृत्व

  • भारत अपने डिजिटल गवर्नेंस, राशन प्रणाली में सुधार और सामाजिक सुरक्षा अनुभवों को दक्षिणी देशों (Global South) के साथ साझा कर रहा है, जिससे वे भी इनसे सीख सकें।

आगे की राह

  1. कैलोरी से पोषण की ओर बदलाव अब लोगों को  सिर्फ पेट भरने वाले अनाज देने से काम नहीं चलेगा। हमें यह देखना होगा कि लोगों को दालें, फल, सब्ज़ियाँ और पौष्टिक (fortified) खाना मिले। इन्हें सार्वजनिक वितरण प्रणाली  और कल्याणकारी योजनाओं का मुख्य हिस्सा बनाना होगा।
  2. खाने को किफ़ायती बनाना – पौष्टिक खाने (जैसे दाल, फल, दूध आदि) की कीमत कम करने के लिए सब्सिडी देनी होगी। साथ ही, इन्हें बाज़ार तक पहुँचाने के लिए मज़बूत सप्लाई चेन  बनानी होगी।
  3. पोषण योजनाओं को मज़बूत करना – आंगनवाड़ी (ICDS) और पीएम पोषण (PM POSHAN) जैसी योजनाओं को और प्रभावी बनाना होगा, ताकि बच्चों और माताओं की सेहत बेहतर हो सके।
  4. खाने की बर्बादी कम करना – कटाई के बाद जो खाना बर्बाद हो जाता है, उसे रोकने के लिए अच्छे गोदाम, ठंडा भंडारण और आधुनिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम ज़रूरी है।
  5. डिजिटल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना – बड़े डेटा और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करके योजनाओं की सही निगरानी और पारदर्शी तरीके से डिलीवरी करनी चाहिए।

निष्कर्ष

भारत ने यह दिखाया है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति, डिजिटल तकनीक और सबको साथ लेकर चलने वाली नीति से भूख पर काबू पाया जा सकता है। सिर्फ दो साल में 3 करोड़ लोगों को कुपोषण से बाहर निकालना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। लेकिन, 2030 के SDG लक्ष्य तक सिर्फ 5 साल बचे हैं। अब असली चुनौती है कि लोगों को केवल खाना ही नहीं, बल्कि पौष्टिक खाना मिले। भारत का सफ़र अनाज की पर्याप्तता (Food Sufficiency) से पोषण की पर्याप्तता (Nutrition Adequacy) तक पहुँचना, न सिर्फ़ अपने देश की आबादी को सुरक्षित करेगा बल्कि पूरी दुनिया में भूख खत्म करने की लड़ाई में भारत को अग्रणी बना देगा।

यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा अभ्यास प्रश्न

प्रश्न: विश्व में खाद्य सुरक्षा एवं पोषण की स्थिति (SOFI) रिपोर्ट 2025 के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. हाल के वर्षों में भारत में कुपोषित जनसंख्या का अनुपात कम हुआ है।

2. भारत की आधी से अधिक आबादी स्वस्थ आहार का खर्च वहन नहीं कर सकती, जो वैश्विक औसत से अधिक है।

3. भारत के डिजिटल नवाचार जैसे ONORC और e-NAM को खाद्य सुरक्षा में सुधार के मॉडल के रूप में विश्व स्तर पर रेखांकित किया गया है।

ऊपर दिए गए कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

A. केवल 1

B. केवल 1 और 2

C. केवल 2 और 3

D. 1, 2 और 3

उत्तर: D (1, 2 और 3)

● कथन 1 – सही: भारत में कुपोषण 14.3% (2020-22) से घटकर 12% (2022-24) हो गया है।

● कथन 2 – सही: 60% से ज़्यादा भारतीय स्वस्थ आहार का खर्च नहीं उठा सकते, जबकि वैश्विक औसत लगभग 42% है।

● कथन 3 – सही: ONORC, डिजिटल PDS और e-NAM को वैश्विक रिपोर्टों में नवोन्मेषी शासन मॉडल के रूप में रेखांकित किया गया है।

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न

1. “भारत की भूखमरी के विरुद्ध लड़ाई खाद्य सुरक्षा से पोषण सुरक्षा में बदल गई है।” चर्चा कीजिए।

2. भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली में परिवर्तन लाने में डिजिटलीकरण की भूमिका का परीक्षण कीजिए।

3. भारत की कृषि-खाद्य प्रणाली में परिवर्तन सतत विकास लक्ष्य 2 (भूखमरी उन्मूलन) को प्राप्त करने में कैसे योगदान दे सकता है?

SOURCE- THE HINDU

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