समाचार में क्यों / संदर्भ
- सितंबर 2025 में छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में एक मुठभेड़ में तीन माओवादी (दो पुरुष और एक महिला) मारे गए। इसके साथ ही 2025 में मारे गए माओवादियों की संख्या 252 हो गई, जिनमें से 223 अकेले बस्तर क्षेत्र से थे।
- सरकार ने मार्च 2026 तक वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में 2024 से अब तक चलाए गए तीव्र सुरक्षा अभियानों में 470 से अधिक माओवादी मारे जा चुके हैं।
- ये आँकड़े दर्शाते हैं कि एक गहराई से जमे आंदोलन को पूरी तरह खत्म करना एक ओर उपलब्धि है तो दूसरी ओर बड़ी चुनौती भी।
- यह स्पष्ट है कि वामपंथी उग्रवाद केवल सुरक्षा बलों से दबाया नहीं जा सकता। इसके लिए सामाजिक-आर्थिक सुधार, प्रशासनिक सुधार और वैचारिक पहल की भी ज़रूरत है।

ऐतिहासिक विकास और वैचारिक जड़ें
नक्सलबाड़ी की चिंगारी और शुरुआती दौर
- “नक्सलवाद” शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गाँव (1967) से हुई, जहाँ चारु मजूमदार, कानू सान्याल और जंगल संथाल के नेतृत्व में किसानों ने जमींदारों के शोषण के खिलाफ विद्रोह किया।
- 1969 में, माकपा से अलग होकर एक गुट ने संसदीय राजनीति छोड़कर सशस्त्र रास्ता अपनाया और भाकपा (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) का गठन किया।
विस्तार और गुटबाजी (1970-1990 के दशक)
- आंदोलन धीरे-धीरे छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, झारखंड जैसे पिछड़े और उपेक्षित क्षेत्रों तक फैल गया।
- इस दौरान कई संगठन बने: आंध्र में पीपुल्स वार ग्रुप (PWG) और मध्य भारत में माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (MCC)।
- आंतरिक मतभेद, राज्य की सख्ती और सामरिक बदलाव इस चरण की खासियत रहे।
एकीकरण और भाकपा (माओवादी) का गठन
- 2004 में PWG और MCC का विलय होकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) बनी।
- इसने “दीर्घकालिक जनयुद्ध” की रणनीति अपनाई, प्रभाव क्षेत्र बनाए, समानांतर शासन संरचनाएँ (जैसे “जन अदालतें”) खड़ी कीं और सशस्त्र संघर्ष को स्थानीय असंतोष से जोड़ा।
वर्तमान परिदृश्य और रुझान
प्रभावित जिले और हिंसा का स्तर
- 2014 में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या 126 थी, जो अप्रैल 2024 तक घटकर 38 रह गई।
- इनमें “सबसे अधिक प्रभावित जिले” 12 से घटकर केवल 6 रह गए हैं – छत्तीसगढ़ (बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर, सुकमा), झारखंड (पश्चिमी सिंहभूम), और महाराष्ट्र (गढ़चिरौली)।
- हिंसा 2010 में चरम पर थी (1,936 घटनाएँ), जो 2024 में घटकर 374 रह गई – लगभग 81% की गिरावट।
- नागरिकों और सुरक्षा बलों की मौतें 2010 में 1,005 थीं, जो 2024 में घटकर 150 रह गईं – 85% की कमी।
हताहत और आँकड़े
- 2004 से मार्च 2025 के बीच, इस संघर्ष में 8,895 लोग मारे गए, जिनमें बड़ी संख्या आदिवासियों की है।
- हथियार ज़ब्ती, आत्मसमर्पण और जबरन भर्ती अब भी गंभीर चुनौतियाँ हैं।
उभरते बदलाव
- ओडिशा में माओवादी अब गांजे की खेती और जबरन वसूली से समानांतर अर्थव्यवस्था चला रहे हैं।
- आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले में विकास कार्यों के चलते माओवादी गतिविधियाँ घटी हैं।
- सरकार ने ओडिशा के गुप्तेश्वर में संचार केंद्र को 2G से 4G में अपग्रेड किया है।
कारण और पृष्ठभूमि
- सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ
- जनजातीय क्षेत्रों में गरीबी, भूमिहीनता और रोजगार की कमी।
- खनन, बाँध और परियोजनाओं से विस्थापन, बिना समुचित पुनर्वास के।
- पारंपरिक आजीविका और वनाधिकारों का ह्रास।
- शासन का अभाव
- दूरदराज़ क्षेत्रों में पुलिस, स्कूल, स्वास्थ्य सेवाएँ और सड़कें न होना।
- कल्याणकारी योजनाओं का खराब क्रियान्वयन।
- भ्रष्टाचार और स्थानीय ठेकेदारों का शोषण।
- पहचान और शिकायतें
- आदिवासी पहचान की राजनीति, सांस्कृतिक उपेक्षा और शोषण के आख्यान।
- सुरक्षा बलों की कथित ज्यादतियाँ माओवादियों को दुष्प्रचार का अवसर देती हैं।
- भौगोलिक और संरचनात्मक कारण
- घने जंगल और कठिन भौगोलिक इलाक़े गुरिल्ला युद्ध के लिए उपयुक्त।
- दशकों से बने नेटवर्क और वैचारिक आधार।
सरकारी रणनीति
‘समाधान’ (SAMADHAN) योजना (2017)
- समाधान का अर्थ है:
- S: स्मार्ट नेतृत्व
- A: आक्रामक रणनीति
- M: प्रेरणा व प्रशिक्षण
- A: ठोस जानकारी
- D: डैशबोर्ड आधारित निगरानी
- H: तकनीकी उपयोग
- A: स्थानीय कार्य योजनाएँ
- N: वित्तीय स्रोतों पर रोक
मुख्य उपाय
- किलेबंद पुलिस स्टेशन, विशेष अवसंरचना योजना, हेलीकॉप्टर व सुरक्षा शिविरों के लिए धन।
- विशेष केंद्रीय सहायता, सड़क व टेलीकॉम नेटवर्क, बैंक शाखाएँ, शिक्षा व कौशल विकास।
- नागरिक कार्रवाई कार्यक्रम – सुरक्षा बलों द्वारा स्वास्थ्य, पानी और अन्य सेवाएँ।
उपलब्धियाँ और सीमाएँ
उपलब्धियाँ
- हिंसा और मौतों में भारी कमी।
- माओवादी गतिविधियों का सिमटाव केवल 6 जिलों तक।
- 8,000 से अधिक माओवादी कार्यकर्ताओं का आत्मसमर्पण।
- आदिवासी क्षेत्रों में सड़क, शिक्षा और संचार सुविधाओं का विस्तार।
सीमाएँ
- कुछ क्षेत्रों (जैसे झारखंड का लातेहार) में अस्थिरता।
- विचारधारा अब भी कुछ युवाओं को आकर्षित करती है।
- आत्मसमर्पण करने वालों के पुनर्वास में कमी।
- मानवाधिकार हनन के आरोप और जनता का अविश्वास।
आगे की राह (Way Forward)
- केवल सुरक्षा नहीं, बल्कि समग्र विकास – शिक्षा, स्वास्थ्य, वनाधिकार और आजीविका पर ज़ोर।
- आत्मसमर्पित कैडरों का बेहतर पुनर्वास – शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और सामाजिक पुनःएकीकरण।
- तकनीकी साधनों से खुफिया तंत्र को मज़बूत करना।
- स्थानीय नेतृत्व और सामुदायिक पुलिसिंग से विश्वास बहाली।
- सकारात्मक कथानक गढ़ना – विकास की कहानियों और अधिकारों की जानकारी से माओवादी दुष्प्रचार का मुकाबला।
- सतत राजनीतिक इच्छाशक्ति – यह केवल सुरक्षा का नहीं, बल्कि दीर्घकालिक शासन और विकास का सवाल है।
निष्कर्ष
भारत में वामपंथी उग्रवाद अपने चरम से काफी घट चुका है। सुरक्षा बलों की कार्रवाई, सरकारी योजनाएँ और विकास प्रयासों के कारण इसका दायरा और प्रभाव दोनों सिमटे हैं। लेकिन इसे पूरी तरह खत्म करना अब भी चुनौतीपूर्ण है। अंतिम सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि क्या भारत सुरक्षा की कठोर नीति को न्याय, विकास और जनता के विश्वास के साथ संतुलित कर पाता है।
UPSC Previous Year Questions:
- Ques: Naxalism is a social, economic, and developmental issue manifesting violent internal security threats. In this context, discuss the emerging issues and suggest a multilayered strategy to tackle the menace of Naxalism.
नक्सलवाद एक सामाजिक, आर्थिक और विकासात्मक मुद्दा है जो एक हिंसक आन्तरिक सुरक्षा ख़तरे के रूप में प्रकट होता है। इस संदर्भ में उभरते हुए मुद्दों की चर्चा कीजिए और नक्सलवाद के ख़तरे से निपटने की बहुस्तरीय रणनीति का सुझाव दीजिए। – 2022, 15 Marks, 250 Words
- Ques: What are the determinants of left-wing extremism in the Eastern part of India? What strategy should the Government of India, civil administration and security forces adopt to counter the threat in the affected areas?
भारत के पूर्वी भाग में वामपंथी उग्रवाद के निर्धारक क्या हैं? प्रभावित क्षेत्रों में खतरों के प्रतिकारार्थ भारत सरकार, नागरिक प्रशासन एवं सुरक्षा बलों को किस सामरिकी को अपनाना चाहिए? – 2020, 15 Marks, 250 Words
- Ques: Left Wing Extremism (LWE) is showing a downward trend, but still affects many parts of the country. Briefly explain the Government of India’s approach to counter the challenges posed by LWE.
वामपंथी उग्रवाद में अधोमुखी प्रवृत्ति दिखाई दे रही है, परंतु अभी भी देश के अनेक भाग इससे प्रभावित हैं। वामपंथी उग्रवाद द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों का विरोध करने के लिए भारत सरकार के दृष्टिकोण को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए। – 2018, 10 Marks, 150 Words
- Ques: The persisting drives of the Government for development of large industries in backward areas have resulted in isolating the tribal population and the farmers who face multiple displacements. With Malkangiri and Naxalbari foci, discuss the corrective strategies needed to win the Left Wing Extremism (LWE) doctrine affected citizens back into the mainstream of social and economic growth.
पिछड़े क्षेत्रों में बड़े उद्योगों का विकास करने के सरकार के लगातार अभियानों का परिणाम जनजातीय जनता और किसानों, जिनको अनेक विस्थापनों का सामना करना पड़ता है, का विलगन (अलग करना) है। मल्कानगिरि और नक्सलबाड़ी पर ध्यान केंद्रित करते हुए, वामपंथी उग्रवादी विचारधारा से प्रभावित नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक संवृद्धि की मुख्यधारा में फिर से लाने की सुधारक रणनीतियों पर चर्चा कीजिए। – 2015, 12.5 Marks, 200 Words
- Ques: Article 244 of the Indian Constitution relates to administration of scheduled areas and tribal areas. Analyse the impact of nonimplementation of the provisions of the Fifth schedule on the growth of Left Wing extremism.
भारत के संविधान की धारा 244, अनुसूचित व आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है। उसकी पांचवीं सूची के कार्यान्वित न करने से वामपंथी पक्ष के चरम पंथ पर प्रभाव का विश्लेषण कीजिए। – 2013, 10 Marks, 200 Words