आईएनएस विक्रांत: भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत

UPSC प्रासंगिकता: सुरक्षा – रक्षा प्रौद्योगिकी और समुद्री सुरक्षा

ख़बरों में क्यों:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईएनएस विक्रांत पर भारतीय नौसेना कर्मियों के साथ दिवाली मनाई और इसकी रणनीतिक महत्वता, स्वदेशी निर्माण और ‘आत्मनिर्भर भारत’ एवं ‘मेक इन इंडिया’ पहल में योगदान को उजागर किया। यह पोत भारत की समुद्री शक्ति, नौसैनिक आत्मनिर्भरता और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती रणनीतिक उपस्थिति का प्रतीक है।

पृष्ठभूमि

  • आईएनएस विक्रांत (IAC-1) भारत का पहला घरेलू निर्मित विमानवाहक पोत है और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का ऐतिहासिक मील का पत्थर है।
  • यह पोत मूल आईएनएस विक्रांत की विरासत को पुनर्जीवित करता है, जिसने 1971 के भारत-पाक युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  • प्रधानमंत्री द्वारा 2 सितंबर 2022 को कोच्चि में नौसेना में शामिल किया गया।
  • निर्माण: कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL)
  • डिज़ाइन: नौसेना डिजाइन निदेशालय (DND), जो भारत की स्वदेशी नौसैनिक निर्माण क्षमता को दर्शाता है।

आईएनएस विक्रांत की मुख्य विशेषताएं

विशेषताविवरण
लंबाई और आकार262 मीटर लंबा, 62 मीटर चौड़ा, 18 डेक ऊँचा (लगभग दो फुटबॉल मैदानों के बराबर)
विस्थापन (Displacement)लगभग 45,000 टन; भारत में निर्मित अब तक का सबसे बड़ा युद्धपोत
विमान क्षमता30 विमान ले जा सकता है; मिग-29के, कामोव-31, MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टर; भविष्य में स्वदेशी विमान तैनात होंगे
कर्मी दल और बुनियादी ढाँचा1,600 कर्मियों को समायोजित; 2,400 कंपार्टमेंट; 16-बिस्तर अस्पताल; “समुद्र में शहर” की तरह कार्य
नोधन (Propulsion)चार गैस टर्बाइनों से संचालित; 28 नॉट (≈52 किमी/घंटा) की शीर्ष गति
परिचालन तत्परता2024 में पूर्ण परिचालन मंजूरी; पश्चिमी नौसेना कमान का हिस्सा

रणनीतिक महत्व

  1. हिंद महासागर में समुद्री प्रभुत्व: भारत की ‘ब्लू-वॉटर’ नौसैनिक क्षमता को बढ़ाता है; विस्तारित परिचालन, निगरानी और मानवीय सहायता में सक्षम।
  2. शक्ति प्रदर्शन और प्रतिरोध: समुद्री-आधारित प्रतिरोध मजबूत करता है; हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की भूमिका सुदृढ़ करता है।
  3. आत्मनिर्भरता को बढ़ावा: 76% स्वदेशी सामग्री; ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल का प्रतीक।
  4. परिचालन लचीलापन: समुद्री युद्ध, आपदा राहत और निकासी अभियानों जैसी बहु-भूमिका वाली क्षमताएँ।

निष्कर्ष

आईएनएस विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है, बल्कि भारत की इंजीनियरिंग उत्कृष्टता और रणनीतिक स्वायत्तता का प्रतीक है। यह भारत की क्षेत्रीय नौसैनिक शक्ति से वैश्विक समुद्री शक्ति बनने की दिशा में एक बड़ी छलांग को दर्शाता है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की उपस्थिति मजबूत करने और अपने समुद्री हितों की रक्षा करने में यह पोत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1:आईएनएस विक्रांत (IAC-1) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. यह भारत का पहला स्वदेशी निर्मित विमानवाहक पोत है।
  2. इसका विस्थापन (Displacement) लगभग 45,000 टन है।
  3. यह लड़ाकू जेट और हेलीकॉप्टरों सहित 50 विमानों तक ले जा सकता है।
  4. यह परमाणु प्रणोदन (Nuclear Propulsion) द्वारा संचालित है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

विकल्प:
 A. केवल 1 और 2
 B. केवल 1, 2 और 3
 C. केवल 1, 2 और 4
 D. उपर्युक्त सभी

सही उत्तर:A. केवल 1 और 2

व्याख्या:

  • आईएनएस विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी रूप से निर्मित विमानवाहक पोत है।
  • इसका विस्थापन लगभग 45,000 टन है।
  • यह 30 विमानों को ले जा सकता है, न कि 50।
  • इसका प्रणोदन गैस टर्बाइनों द्वारा होता है, न कि परमाणु शक्ति से।

प्रश्न 2:आईएनएस विक्रांत के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. यह भारत के पश्चिमी नौसेना कमान का हिस्सा है।
  2. इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) द्वारा किया गया था।
  3. इसे 2024 में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा कमीशन (नौसेना में शामिल) किया गया था।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

विकल्प:
 A. केवल 1 और 2
 B. केवल 2 और 3
 C. केवल 1 और 3
 D. 1, 2 और 3

सही उत्तर:A. केवल 1 और 2

व्याख्या:

  • आईएनएस विक्रांत अब पश्चिमी नौसेना कमान का हिस्सा है।
  • इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) द्वारा किया गया।
  • इसे 2022 में कमीशन किया गया था; पूर्ण परिचालन क्षमता 2024 में हासिल की गई थी।
Spread the love

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

   
Scroll to Top