भारत की सेमीकंडक्टर क्रांति: आत्मनिर्भरता से वैश्विक नेतृत्व तक

GS Paper–III: विज्ञान, प्रौद्योगिकी और आर्थिक विकास

GS Paper–II: शासन और नीति निर्माण

प्रारंभिक परीक्षाISM, सेमीकॉन इंडिया, ATMP

🔷 प्रस्तावना (Introduction)

कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद वैश्विक आपूर्ति शृंखला (Global Supply Chain) बुरी तरह चरमरा गई। इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण सेमीकंडक्टर चिप संकट रहा, जिसने मोबाइल, कार, टीवी, रक्षा उपकरणों के निर्माण को बाधित कर दिया। ऐसे में भारत, जो 90% से अधिक चिप आयात करता है, ने इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का ठोस निर्णय लिया।

इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 2021 में ₹76,000 करोड़ के परिव्यय के साथ इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) की शुरुआत की। इस मिशन का उद्देश्य है भारत को चिप डिज़ाइन, निर्माण (fabrication), परीक्षण और नवाचार के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर एक अहम खिलाड़ी बनाना।


 सेमीकंडक्टर चिप क्या है?

आपके स्मार्टफोन से लेकर कंप्यूटर, टीवी, उपग्रह और रक्षा उपकरणों तक – इन सभी को चलाने में सेमीकंडक्टर चिप अहम भूमिका निभाती है। यह चिप बहुत छोटी होती है, जिसे उंगलियों के बीच आसानी से पकड़ा जा सकता है।


 सेमीकंडक्टर की विशेषता

सेमीकंडक्टर ऐसे पदार्थ होते हैं जिनकी विद्युत चालकता चालक और कुचालक के बीच होती है। परिस्थिति अनुसार ये कभी विद्युत को प्रवाहित करते हैं और कभी नहीं। यही विशेषता इन्हें इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए आदर्श बनाती है।


 आधुनिक उपकरणों में भूमिका

सेमीकंडक्टर चिप्स को मस्तिष्क की तरह माना जाता है जो मशीनों को निर्णय लेने में मदद करते हैं। चंद्रयान 3 में विक्रम लैंडर ने सुरक्षित स्थान चुनने में यही तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग किया। ये चिप्स डेटा को तेजी से संसाधित करती हैं।


 चिप्स का ढांचा

हर चिप में लाखों-करोड़ों ट्रांजिस्टर होते हैं जो मस्तिष्क की तरह संकेतों को नियंत्रित करते हैं। इनमें प्रतिरोधक, संधारित्र और तार जैसे अन्य सूक्ष्म घटक भी होते हैं जो सूचना को संग्रहित, संसाधित और स्थानांतरित करते हैं।


 क्यों ज़रूरी है सेमीकंडक्टर उद्योग?

  • सेमीकंडक्टर आज स्वास्थ्य, संचार, परिवहन, अंतरिक्ष और रक्षा जैसे क्षेत्रों की रीढ़ बन गए हैं। कोविड-19 और यूक्रेन-रूस युद्ध के समय इनकी भारी कमी ने पूरी दुनिया को यह अहसास कराया कि चिप निर्माण में आत्मनिर्भरता कितनी महत्वपूर्ण है।
  • डिजिटलीकरण, स्मार्ट उपकरणों और क्लाउड डेटा केंद्रों के बढ़ते प्रयोग से सेमीकंडक्टर की मांग बहुत तेजी से बढ़ी है। आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसे क्षेत्रों में भी यही चिप्स अहम भूमिका निभा रही हैं।

वैश्विक स्थिति

फिलहाल ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान, चीन और अमेरिका सेमीकंडक्टर निर्माण में अग्रणी हैं। अकेला ताइवान ही दुनिया के 60% से ज़्यादा और लगभग 90% उन्नत चिप्स बनाता है। इस एक-क्षेत्रीय निर्भरता के चलते कई देश विविध आपूर्ति शृंखला पर ज़ोर दे रहे हैं।


 सेमीकंडक्टर बाज़ार में उभरता भारत


आज दुनिया भर में चिप्स की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है। लेकिन निर्माण अभी भी कुछ सीमित देशों (जैसे ताइवान, कोरिया, चीन) तक सीमित है। इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला असुरक्षित और असंतुलित बनी हुई है।

 

भारत अब इस वैश्विक परिदृश्य में एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में उभर रहा है। मेक इन इंडिया, भारत सेमीकंडक्टर मिशन और ईएसडीएम जैसी योजनाओं ने इस क्षेत्र में एक मजबूत आधार तैयार किया है। भारत तीन प्रमुख स्तंभों में तेजी से आगे बढ़ रहा है:

  1. उपकरण – एमएसएमई के माध्यम से चिप निर्माण से जुड़ी वस्तुएँ।
  2. सामग्री – रसायन, खनिज और गैसों की भरपूर उपलब्धता।
  3. सेवाएँ – अनुसंधान, लॉजिस्टिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्लाउड व बिग डेटा में दक्ष जनशक्

मई 2025 में नोएडा और बेंगलुरु में 3-नैनोमीटर चिप डिज़ाइन केंद्रों का उद्घाटन हुआ, जो भारत में  अगली पीढ़ी की सेमीकंडक्टर डिज़ाइन यात्रा का मील का पत्थर है। इससे पहले भारत ने 7nm और 5nm डिज़ाइन हासिल किए थे।

उद्योग के अनुमानों के अनुसार, भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार का आकार 2023 में लगभग 38 अरब डॉलर, 2024-2025 में 45-50 अरब डॉलर और 2030 तक 100-110 अरब डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM)

  • शुरुआत: दिसंबर 2021
  • बजट: ₹76,000 करोड़
  • उद्देश्य: भारत को सेमीकंडक्टर, डिस्प्ले और चिप डिज़ाइन क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर आत्मनिर्भर और निर्माण केंद्र बनाना।
  • क्रियान्वयन: वैश्विक विशेषज्ञों के नेतृत्व में एकीकृत नीति ढांचा और पारिस्थितिकी तंत्र का विकास।

प्रमुख फोकस क्षेत्र (Mission Focus)

  1. फैब निर्माण इकाइयों की स्थापना
  2. पैकेजिंग और परीक्षण केंद्रों का विकास
  3. स्टार्टअप्स को डिज़ाइन सहायता
  4. युवा इंजीनियरों को प्रशिक्षण
  5. वैश्विक कंपनियों से निवेश आकर्षण

मिशन के मुख्य उद्देश्य

  • दीर्घकालिक रणनीति के अंतर्गत टिकाऊ सेमीकंडक्टर विनिर्माण को प्रोत्साहन।
  • https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0108XAR.jpgविश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला के लिए कच्चा माल, गैस, रसायन आदि का संयोजन।
  • ईडीए उपकरणों और फाउंड्री सेवाओं द्वारा डिज़ाइन स्टार्टअप्स को सहायता।
  • स्वदेशी बौद्धिक संपदा (IP) का सृजन और तकनीक हस्तांतरण को बढ़ावा।
  • राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ शोध और कौशल विकास में सहयोग।

 सेमीकॉन इंडिया सम्मेलन

  • https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image015O06K.jpgसेमी (SEMI) संस्था के सहयोग से अब तक तीन सफल संस्करण (2022: बेंगलुरु, 2023: गांधीनगर, 2024: ग्रेटर नोएडा) आयोजित।
  • चौथा संस्करण 2-4 सितंबर 2025 को दिल्ली में होगा।

 मुख्य विशेषताएँ:

  • 18 देशों से 300+ प्रदर्शक कंपनियाँ।
  • पहली बार जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और मलेशिया से अंतरराष्ट्रीय मंडप।
  • गोलमेज सम्मेलन, कार्यबल विकास मंडप और डिज़ाइन स्टार्टअप मंच।

हाल के विकास

  • भारत की पहली स्वदेशी चिप 2025 में उत्पादन हेतु तैयार।
  • 5 सेमीकंडक्टर उत्पादन इकाइयाँ निर्माणाधीन।
  • 85,000 इंजीनियरों के कौशल संवर्धन हेतु प्रशिक्षण योजना।
  • मध्य प्रदेश में ₹150 करोड़ की लागत से पहला आईटी परिसर।
  • जुलाई 2025 में स्टार्टअप “नेत्रसेमी” को ₹107 करोड़ का निवेश मिला।

निष्कर्ष

भारत अब केवल चिप आयातक नहीं, बल्कि चिप निर्माता और नवाचार केंद्र बन रहा है। ISM और सेमीकॉन इंडिया जैसी पहलों से भारत की डिजिटल संप्रभुता, राष्ट्रीय सुरक्षा, और तकनीकी आत्मनिर्भरता को सुदृढ़ आधार मिल रहा है। “निर्भरता से प्रभुत्व तक” भारत की चिप क्रांति अब यथार्थ बन चुकी है।

“आज का भारत दुनिया में विश्वास जगाता है… जब मुश्किलें आ रही हों, तो आप भारत पर विश्वास कर सकते हैं” – प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी।


 

UPSC Prelims PYQs


Q) निम्नलिखित में से किस लेज़र प्रकार का उपयोग लेज़र प्रिंटर में किया जाता है? (2008):

(a) डाई लेज़र
(b) गैस लेज़र
(c) सेमीकंडक्टर लेज़र
(d) एक्सीमर लेज़र

🟢 सही उत्तर: (c) सेमीकंडक्टर लेज़र



Q) भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (2018):

  1. फोटोवोल्टिक इकाइयों में इस्तेमाल होने वाले सिलिकॉन वेफर्स के निर्माण में भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा देश है।
  2. सौर ऊर्जा शुल्क भारतीय सौर ऊर्जा निगम द्वारा निर्धारित किए जाते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

 सही उत्तर: (d) न तो 1 और न ही 2

“भारत को सेमीकंडक्टर निर्माण का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का मूल्यांकन कीजिए। इन पहलों के समक्ष मौजूद प्रमुख चुनौतियों का भी विश्लेषण कीजिए।”
(250 शब्द, 15 अंक)

“इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन जैसे कार्यक्रम भारत के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को कैसे सशक्त बनाते हैं? इस संदर्भ में केंद्र और राज्य सरकारों की साझेदारी की भूमिका स्पष्ट कीजिए।”

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