महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर के शिक्षा और राष्ट्रवाद के प्रति दृष्टिकोण में क्या अंतर था?

प्रश्न: महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर के शिक्षा और राष्ट्रवाद के प्रति दृष्टिकोण में क्या अंतर था? – 2023, 10 अंक, 150 शब्द।

दृष्टिकोण (Approach):

प्रस्तावना (Introduction): दोनों विभूतियों का संक्षिप्त परिचय दीजिए और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान पर प्रकाश डालिए।

मुख्य भाग (Main Body): शिक्षा और राष्ट्रवाद के प्रति उनके दृष्टिकोणों की तुलना तालिका के माध्यम से कीजिए।

निष्कर्ष (Conclusion): उनके विचारों में प्रमुख अंतर और उन्होंने भारत की बौद्धिक और राष्ट्रीय पहचान को कैसे आकार दिया, इसका सारांश दीजिए।

प्रस्तावना (Introduction):

  • महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर, दोनों ही भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेताओं में थे, लेकिन शिक्षा और राष्ट्रवाद के प्रति उनके दृष्टिकोण में भिन्नताएँ थीं।
  • गांधी ने व्यावहारिक मूल्य-आधारित शिक्षा और अहिंसा के सिद्धांत पर आधारित राष्ट्रवाद को प्राथमिकता दी, जबकि टैगोर ने बौद्धिक स्वतंत्रता, रचनात्मकता और एक वैश्विक दृष्टिकोण वाले राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया।

मुख्य भाग (Main Body):

पहलूमहात्मा गांधीरवींद्रनाथ टैगोर
शिक्षा का दृष्टिकोण– व्यावहारिक शिक्षा: आत्मनिर्भरता के लिए शिल्प (जैसे बुनाई) पर जोर।– रचनात्मक शिक्षा: बौद्धिक स्वतंत्रता और रचनात्मकता के विकास पर ध्यान।
– नैतिक और चरित्र विकास: सामाजिक उत्तरदायित्व और मूल्यों का महत्व।– वैश्विक शिक्षा: पूर्वी और पश्चिमी विचारों का मिश्रण।
– ग्रामीण-आधारित शिक्षा: ग्रामीण भारत के उत्थान पर केंद्रित।– प्रकृति के माध्यम से शिक्षा: प्राकृतिक परिवेश में अनुभव आधारित शिक्षा।
– शांतिनिकेतन: आत्म-खोज और स्वतंत्र अभिव्यक्ति को बढ़ावा देने का प्रयास।
राष्ट्रवाद का दृष्टिकोण– अहिंसक राष्ट्रवाद: सत्याग्रह और अहिंसा के माध्यम से शांति और प्रतिरोध।– समावेशी राष्ट्रवाद: सभी समुदायों और लोगों के सशक्तिकरण पर ध्यान।
– सांस्कृतिक राष्ट्रवाद: स्वदेशी वस्त्रों और भारतीय परंपराओं के पुनरुद्धार पर जोर।– सार्वभौमिक राष्ट्रवाद: वैश्विक एकता के लिए राष्ट्रीय सीमाओं को पार करने में विश्वास।
– स्वराज: अहिंसा के माध्यम से स्वशासन की वकालत।– मानवतावाद: विभाजन और घृणा के खिलाफ, राष्ट्रवाद को नैतिक और समावेशी रूप में देखना।
– आक्रामक राष्ट्रवाद का विरोध: घृणा और बहिष्कार पर आधारित राष्ट्रवाद की आलोचना।

निष्कर्ष (Conclusion):

  • संक्षेप में, गांधी और टैगोर के दृष्टिकोण में शिक्षा और राष्ट्रवाद के बारे में महत्वपूर्ण भिन्नताएँ थीं।
  • गांधी ने व्यावहारिक, ग्रामीण-आधारित शिक्षा और अहिंसक, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर जोर दिया, जबकि टैगोर ने शिक्षा और राष्ट्रवाद दोनों में रचनात्मकता, बौद्धिक स्वतंत्रता और वैश्विक मानवतावाद पर ध्यान केंद्रित किया।
  • उनके दृष्टिकोणों ने भारतीय शिक्षा प्रणाली और राष्ट्रवाद की परिभाषा पर एक स्थायी प्रभाव डाला, जो स्वतंत्रता संग्राम के समय विचारों की विविधता को दर्शाता है।
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