भूमिका और समाचार परिप्रेक्ष्य
- नोबेल पुरस्कारों की घोषणा इस वर्ष अक्टूबर के पहले सप्ताह में की जा रही है। फिजियोलॉजी/मेडिसिन और भौतिकी के बाद अब रसायन विज्ञान के क्षेत्र का पुरस्कार घोषित हुआ है।
- 2025 का रसायन विज्ञान नोबेल पुरस्कार रिचर्ड रॉब्सन (Richard Robson), सुसुमु कितागावा (Susumu Kitagawa) और ओमर यागी (Omar Yaghi) को मेटल–ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स (Metal–Organic Frameworks – MOFs) के विकास में उनके क्रांतिकारी योगदान के लिए प्रदान किया गया है। यह खोज अदृश्य हवा से पानी उत्पन्न करने, प्रदूषण को फ़िल्टर करने और फलों को अधिक समय तक ताज़ा रखने जैसी अनेक व्यावहारिक संभावनाएँ खोलती है।

वैज्ञानिक पृष्ठभूमि: MOFs क्या हैं?
MOFs धातु आयनों और कार्बनिक अणुओं से बनी त्रिविमीय छिद्रदार (porous) क्रिस्टलीय संरचनाएँ हैं। इनमें धातु आयन ‘जॉइंट्स’ की तरह और कार्बनिक अणु ‘लिंक्स’ की तरह कार्य करते हैं। इससे बनने वाले ढाँचे में अत्यधिक नियमित और विशाल छिद्र होते हैं जिनमें अणु आसानी से अंदर-बाहर जा सकते हैं।
- संरचनात्मक विशेषता – MOFs में उच्च सतही क्षेत्रफल होता है, जिससे गैसों और अणुओं का कुशल अवशोषण संभव होता है।
- रासायनिक लचीलापन – धातुओं के बहुदिशीय बंध और कार्बन की संयोजकता इन्हें स्थिरता और लचीलापन दोनों प्रदान करते हैं।
- नवाचार का दृष्टिकोण – पारंपरिक रासायनिक संरचनाओं के विपरीत, MOFs में जानबूझकर खाली स्थान बनाए जाते हैं जिन्हें विशिष्ट उपयोगों के लिए अनुकूलित किया जा सकता है। इसे “Chemical LEGO” भी कहा जाता है क्योंकि इसमें आणविक स्तर पर संरचनाओं को मॉड्यूलर रूप से डिज़ाइन किया जा सकता है।
खोज की यात्रा और तीन वैज्ञानिकों की भूमिका
वैज्ञानिक का नाम | योगदान का चरण | मुख्य विशेषता |
रिचर्ड रॉब्सन | विचार की नींव (1970s) | अणुओं की स्वाभाविक बंधन क्षमता का उपयोग कर मॉलिक्यूलर आर्किटेक्चर डिज़ाइन का विचार प्रस्तुत किया। |
सुसुमु कितागावा | ढाँचे को स्थायित्व प्रदान करना | MOFs को अधिक स्थिर बनाया और गैसों के इन छिद्रों से होकर गुजरने की व्यवहार्यता सिद्ध की। इसे “usefulness of useless” अवधारणा से जोड़ा गया। |
ओमर यागी | नामकरण और व्यावहारिक रूप देना | 1995 में उन्होंने पहली स्थिर MOF संरचना प्रकाशित की जो उच्च तापमान पर भी टिकाऊ थी। उन्होंने “MOF” शब्द को प्रचलित किया और इस क्षेत्र को औपचारिक पहचान दी। |
अनुप्रयोग: प्रयोगशाला से वास्तविक दुनिया तक
- जल संग्रहण – MOFs वातावरण में मौजूद नमी को सोखकर पीने योग्य पानी में परिवर्तित कर सकते हैं। यह तकनीक शुष्क और मरुस्थलीय क्षेत्रों में जल संकट से निपटने में उपयोगी सिद्ध हो सकती है।
- खाद्य संरक्षण – MOFs फलों से निकलने वाली एथिलीन गैस को कैद कर उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ाते हैं, जिससे खाद्य अपव्यय को कम किया जा सकता है।
- प्रदूषण नियंत्रण – ये पानी से PFAS जैसे हानिकारक रासायनिक प्रदूषकों को प्रभावी ढंग से हटाने में सक्षम हैं।
- कार्बन कैप्चर और स्टोरेज – MOFs CO₂ को पकड़ने में अत्यधिक प्रभावी हैं। यह जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण तकनीक मानी जा रही है।
- हाइड्रोजन स्टोरेज और ऊर्जा सुरक्षा – MOFs में गैसों को सुरक्षित रूप से संग्रहित किया जा सकता है, जिससे हाइड्रोजन आधारित स्वच्छ ऊर्जा प्रणालियों में इनका उपयोग बढ़ रहा है।
- गैस पृथक्करण और सेंसरिंग – MOFs का उपयोग औद्योगिक गैसों के पृथक्करण, शुद्धिकरण और सेंसरिंग के लिए भी किया जा रहा है।
भारत और वैश्विक परिप्रेक्ष्य
MOFs आधारित प्रौद्योगिकियाँ ग्रीन टेक्नोलॉजी और सतत विकास के लक्ष्यों से जुड़ी हैं। भारत में भी IITs, IISER और CSIR जैसी प्रमुख संस्थाएँ MOFs पर अग्रणी शोध कर रही हैं। इनका उपयोग CO₂ कैप्चर, जल शुद्धिकरण और कृषि संरक्षण में किया जा रहा है। वैश्विक स्तर पर अमेरिका, जापान, जर्मनी और चीन जैसे देश इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं।
- ऊर्जा क्षेत्र में प्रयोग – नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों में MOFs का उपयोग हाइड्रोजन संग्रहण और गैस पृथक्करण में हो रहा है।
- पर्यावरण संरक्षण – वायु और जल प्रदूषण नियंत्रण में MOFs को पारंपरिक तकनीकों की तुलना में अधिक प्रभावी माना जा रहा है।
- कृषि में भूमिका – फसलों की ताजगी और पैदावार को सुरक्षित रखने में MOFs आधारित पैकेजिंग तकनीक विकसित की जा रही है।
वैज्ञानिक और नीतिगत महत्व
यह खोज दर्शाती है कि मौलिक विज्ञान में किया गया निवेश दीर्घकाल में परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकियों का आधार बन सकता है। MOFs के विकास ने संरचनात्मक रसायन विज्ञान को प्रयोगशाला से बाहर निकालकर वैश्विक समस्याओं के समाधान में एक प्रमुख उपकरण के रूप में स्थापित किया है।
नीतिगत स्तर पर, इस प्रकार की तकनीकें जलवायु नीति, स्वच्छ ऊर्जा मिशन, जल संरक्षण कार्यक्रमों और कृषि सुधारों में सहायक सिद्ध हो सकती हैं।
निष्कर्ष
2025 का रसायन नोबेल पुरस्कार यह दर्शाता है कि संरचनात्मक रसायन विज्ञान केवल सैद्धांतिक प्रयोगों तक सीमित नहीं है। यह तकनीक जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा और जल संकट जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में अग्रणी भूमिका निभा सकती है। रिचर्ड रॉब्सन, सुसुमु कितागावा और ओमर यागी का योगदान इस बात का प्रतीक है कि वैचारिक नवाचार, जब ठोस वैज्ञानिक प्रयोगों में ढलता है, तो वह मानव जीवन में स्थायी परिवर्तन ला सकता है।
भारत सहित पूरी दुनिया में MOFs पर हो रहा अनुसंधान निकट भविष्य में ऊर्जा, पर्यावरण और कृषि क्षेत्र में अगली तकनीकी क्रांति की नींव रख सकता है।