चर्चा में क्यों:– इस महोत्सव का संबंध तमिलनाडु के कूवगम नामक स्थान से है कूठंडावर महोत्सव के अंतर्गत एक ही दिन विवाह और विधवापन की कहानी को प्रस्तुत किया जाता है।
कूठंडावर उत्सव से संबंधित तथ्य:–
⦁ यह परंपरा से ओत-प्रोत वार्षिक कार्यक्रम है
⦁ यह उत्सव 18 दिवसीय होता है
⦁ यह उत्सव मध्य अप्रैल से मध्य मई ( तमिल महीने चिथिराई ) में मनाया जाता है।
⦁ इस महोत्सव की विशेषता ट्रांसजेंडर पहचान के लिए अपने अनूठे उत्सव के लिए वैश्विक ध्यान को आकर्षित करना है।

इस उत्सव का इतिहासः
इस उत्सव का संबंध विवाह और विधवापन दोनों से है
किमबदंतियों के अनुसार महाभारत के तमिल संस्करण जानकारी मिलती है कि महाभारत के युद्ध में अरावन नामक एक पात्र हुआ जिसने युद्ध में पांडवों की जीत के लिए अपने प्राणों को बलिदान के के लिए प्रस्तुत किया।
किंतु अरावन को मृत्यु से पहले विवाह का वरदान प्राप्त था परंतु जब उनके विवाह की बात आई तो कोई भी महिला अरावन से विवाह नहीं करना चाहती थी क्योंकि उनकी मृत्यु निश्चित थी और इनसे विवाह करने का अर्थ था विवाह के बाद तुरंत विधवा हो जाना।
फिर अंतिम विकल्प के रूप में भगवान कृष्ण ने स्वयं मोहिनी का रूप धारण किया और अरावन से विवाह संपन्न किया और इसी मोहिनी के रूप में भगवान कृष्ण ने अरावन की विधवा के रूप में भी शोक मनाया था।
रिवाजः
⦁ इस पूरे त्यौहार का मुख्य केंद्र भगवान अरावन का विवाह और उनका बलिदानों है ।
⦁ 17 दिन तक चलने वाले इस समारोह में उनके विवाह तथा विधवा होने की पद्धति को दिखाया जाता है।
⦁ समारोह के अंतिम दिन दूर-दूर से किन्नर भगवान अरावन से विवाह करने हेतु एकत्रित होते है
⦁ विवाह संपन्न होने के अगले दिन युद्ध का आयोजन किया जाता है जिसमें अरावन की मृत्यु को दिखाया जाता है।
⦁ जिन किन्नर महिलाओं ने इसे विवाह किया होता है वह उनकी मृत्यु पर शोक भी व्यक्त करती है विधवा होने की सारी रस्मो को निभाती है