जीरो डेब्रिज चार्टर (ZBC)

चर्चा में क्यों :– हाल ही में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के साथ ही 12 देशों ने जीरो डेब्रिज चार्टर (ZBC) पर हस्ताक्षर किए . यह हस्ताक्षर ब्रुसेल्स में आयोजित 11 वीं “यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी / यूरोपीय संघ (ESA/EU) अंतरिक्ष परिषद्” की बैठक साथ ही किए गए।

“यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी / यूरोपीय संघ :–

इसका गठन ESA और यूरोपीय संघ (EU) के बीच एक हस्ताक्षरित फ्रेमवर्क समझौते किया गया। इसकी स्थापना 2004 में की गई थी।

जीरो डेब्रिज चार्टर :–

यह विश्व की अग्रणी पहल है इसका उद्देश्य अंतरिक्ष मलबे से निपटने और 2030 तक अंतरिक्ष में “डेब्रिज न्यूट्रल” की स्थिति निर्मित करना है। अभी तक 12 देशों ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं: पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया,ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, साइप्रस, एस्टोनिया, स्लोवाकिया, जर्मनी, लिथुआनिया, स्वीडन और यूनाइटेड किंगडम।

अंतरिक्ष मलबा (Space Debris) :–

⦁ अंतरिक्ष मलबा के अंतर्गत ऐसे सैटेलाइट्स जिनका उपयोग किया जा चुका है , उपयोग किए जा चुके रॉकेट ऑब्जेक्ट्स, अंतरिक्ष यान के क्षतिग्रस्त या टकराव से निर्मित हुए टुकड़े, एंटी-सैटेलाइट हथियारों के परीक्षणों से निर्मित मलबे को शामिल किया जाता है।

⦁ ये मानव निर्मित होते है इनका निर्माण मानव द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए इक्विपमेंट से होता है

⦁ यह ऐसे ऑब्जेक्ट होते हैं जो पृथ्वी की कक्षा में या पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश कर सकते हैं।

⦁ वर्तमान में पृथ्वी की कक्षा में एक सेंटीमीटर से बड़े आकार के अंतरिक्ष मलबे के दस लाख से अधिक टुकड़े घूम हैं।

अंतरिक्ष मलबे से चिंता के कारण :–

⦁ भविष्य में किए जाने वाले नए प्रक्षेपित उपयोगी सैटेलाइट के लिए खतरा इन मालवे के टुकड़े नए प्रक्षेपण सैटेलाइट और अन्य इक्विपमेंट से टकरा सकते हैं पुणे क्षतिग्रस्त कर सकते हैं

⦁ नेवीगेशन सेटेलाइट के लिए खतरा।

⦁ केसलर सिंड्रोम का खतराः इसके अंतर्गत पृथ्वी की कक्षा में मलबों की मात्रा में इतनी वृद्धि हो जाती है जिससे उनके टकराव का विनाशकारी चक्र प्रारंभ हो जाता है।

⦁ बड़े अंतरिक्ष मलवे पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करके गुरुत्वाकर्षण के कारण शहरी और निवास स्थान पर गिर सकते हैं जिससे बड़ी मात्रा में जान और माल की हानि हो सकती है

अंतरिक्ष मलबे से निपटने के लिए प्रारंभ की गई कुछ महत्वपूर्ण पहलें :–

⦁ भारत के द्वारा एक अभियान लॉन्च किया गया जिसके तहत 2030 तक मलबा मुक्त अंतरिक्ष मिशन (Debris Free Space Missions: DFSM) प्रारंभ किया जाना है।

⦁ इस अभियान को भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के माध्यम से सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल स्पेस ऑपरेशंस मैनेजमेंट (IS4OM) द्वारा लागू किया जा रहा है।

⦁ प्रोजेक्ट नेल (नेटवर्क फॉर स्पेस ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग एंड एनालिसिस / NEtwork for space object TRacking and Analysis: Project NETRA) को लॉन्च किया गया जिसका उद्देश्य स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस जारी करना है।

⦁ जापान ने घोषणा की है कि आने वाले समय में वह अपनी स्पेस एजेंसी की मदद से स्पेस डिब्रिस को पृथ्वी पर पुनः वापस लाने का प्रयास करेगा।

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