राजस्थान में बाल विवाह को रोकने के लिए हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

चर्चा में क्यों :–

हाल ही में राजस्थान में पुरानी परंपराओं पर आधारित होने वाले बाल विवाह पर हाई कोर्ट के द्वारा रोक लगाने के लिए कई प्रावधान किए गए हैं

राजस्थान में वर्तमान में भी बड़ी संख्या में बाल विवाह किए जाते हैं जिस पर सरकार लंबे समय से नियंत्रण लगाने का प्रयास कर रही है

अक्षय तृतीया के त्यौहार पर राजस्थान में बड़ी मात्रा में बाल विवाहों का आयोजन किया जाता है जिन्हें रोकने के लिए सरकार तथा हाईकोर्ट के द्वारा दिशा निर्देशों को जारी किया गया है

वर्तमान स्थितिः राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के डेटा के अनुसार 20 से 24 वर्ष की विवाहित महिलाओं में 18 वर्ष की आयु से पहले विवाह करने वाली महिलाओं का प्रतिशत 2005-06 में 47.4% था।

जबकि यह आंकड़ा 2019-21 में घटकर 23.3% रह गया ।

बाल विवाह :–

सरकार द्वारा निर्धारित किए गए उम्र से कम उम्र में किए गए विवाह बाल विवाह के अंतर्गत आते हैं इन्हें भारत के कानून के तहत अपराध की श्रेणी में रखा गया है।

बाल विवाह अनौपचारिक गठबंधन होते हैं जिसमें 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे अपने जीवनसाथी के साथ में पति-पत्नी के तरह रहते हैं

यूनिसेफ ने भी बाल विवाह को परिभाषित किया है जिसके अनुसार बाल विवाह 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे और एक वयस्क या किसी अन्य बच्चे के बीच किसी औपचारिक विवाह या अनौपचारिक गठबंधन से है।
बाल विवाह से अधिकतर लड़कियां प्रभावित होती है।

बाल विवाह को रोकने के लिए किए गए प्रयास :–

भारत सरकार द्वारा बाल विवाह निषेध अधिनियम (Prohibition of Child Marriage Act: PCMA), 2006 पारित किया गया जिसके तहत विवाह के लिए लड़कियों के लिए 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष न्यूनतम आयु निर्धारित की गई ।

बाल विवाह निषेध अधिनियम (Prohibition of Child Marriage Act: PCMA), 2006 की धारा 16 राज्य सरकार को अधिकार देता है की पूरे राज्य या क्षेत्र -विशेष के लिए बाल विवाह निषेध अधिकारी (CMPO) नियुक्त करे ।

बाल विवाह निषेध अधिकारी (CMPO) का कर्तव्य होगा अपने कार्यक्षेत्र के अंतर्गत बाल विभाग के प्रति हानिकारक प्रभावों के लिए जागरुकता फैलाना।

हाल ही में कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश :–

कोर्ट द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि ग्राम प्रधान और पंचायत के सदस्य बाल विवाह रोकने की लिए जिम्मेदार हैं

इसी प्रकार से राजस्थान सरकार ने राज्य पंचायत राज नियम 1996 प्रावधान किया है कि किसी पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत होने वाले बाल विभाग को रोकने की जिम्मेदारी उसे क्षेत्र के सरपंच का कर्तव्य होगा।

बाल विवाह के लिए उत्तरदाई कारक :–

मध्यकालीन समय में इस्लामी आक्रमण,सामाजिक और धार्मिक प्रथाएं और मानदंड,शिक्षा की कमी और वर्तमान समाज में महिलाओं को बोझिल समझ जाना।

बाल विवाह को रोकने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास :–

बाल विवाह की रोकथाम के लिए लड़कियों के विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करने के लिए सरकार द्वारा बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021 प्रस्तुत।

आपातकालीन टेलीफोन सेवा चाइल्डलाइन 1098 की शुरुआत यह पहल केंद्र द्वारा बाल विवाह की रोकथाम सहित किसी भी प्रकार की बाल सहायता हेतु प्रारंभ की गई है यह सेवा 24X7 चालू रहती है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजनाः इस योजना के निम्नलिखित उद्देश्य है बालिकाओं को शिक्षा प्रदान करना,बालिकाओं द्वारा मध्य अवधि में शिक्षा को छोड़ने से रोकना, बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना।

सुकन्या समृ‌द्धि योजनाः इस योजना के तहत जो धनराशि सरकार के द्वारा प्रदान की जाती है उसे निकालने में एक महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि जब लड़की की उम्र 18 वर्ष से के ऊपर होगी तभी इस धनराशि को निकाला जा सकता है।

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