सफलता की राह पर आगे बढना : स्वच्छ भारत मिशन का प्रभाव

2014 में शुरू किया गया स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) एक परिवर्तनकारी स्वच्छता कार्यक्रम रहा है, जिसका उद्देश्य खुले में शौच को खत्म करना और पूरे भारत में स्वच्छ स्वच्छता तक पहुँच में सुधार करना है। यह संपादकीय एसबीएम के दीर्घकालिक लाभों, भारत के स्वच्छता लक्ष्यों को प्राप्त करने में इसकी भूमिका और इन लाभों को बनाए रखने के लिये निरंतर हस्तक्षेप के महत्व पर चर्चा करता है।

प्रासंगिकता :- सामान्य अध्ययन पेपर-II (शासन) और पेपर-III सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता।
भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य और सफाई के लिये स्वच्छ भारत मिशन के प्रभाव का मूल्यांकन करें। निरंतर हस्तक्षेप और नीति विस्तार कैसे सुनिश्चित कर सकता है कि दीर्घावधि में स्वच्छता हासिल किये जा सके

स्वच्छ भारत मिशन की उपलब्धियाँ :

अक्टूबर 2014 में इसकी शुरूआत के बाद, स्वच्छ भारत मिशन ने लगभग 11 करोड घरेलू शौचालय बनाए हैं, जिससे खुले में शौच को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। नेचर जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार, स्वच्छ भारत मिशन ने जलजनित बीमारियों को कम करके और स्वच्छता में सुधार करके सालाना 60,000-70,000 शिशु मृत्यु को रोका है।

खुले में शौच से मुक्त स्थिति :

खुले में शौच से जल स्त्रोत दूषित होते हैं और डायरिया जैसी बीमारियाँ फैलती है, जो बच्चों को असमान रूप से प्रभावित करती हैं। अध्ययन में उल्लेख किया गया है कि खुले में शौच को कम करने में मिशन की सफलता ने सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों में सुधार लाने में योगदान दिया है।

शिशु मृत्यु दर और बाल स्वास्थ्य पर प्रभाव :

  • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के आंकडों से पता चलता है कि शौचालयों तक पहुँच के बिना घरों की संख्या में कमी आई है जो 2005-06 में 55% से घटकर 2015-16 में 39% हो गई। 2019-21 के सर्वेक्षण में यह प्रतिशत और घटकर 19% रह गया जो एसबीएम के तहत बडे पैमाने पर शौचालयों के निर्माण की वजह से हुआ।
  • खुले में शौच में कमी का सीधा असर उन बीमारियों को कम करने पर पडा है जो शिशु और बाल मृत्यु दर का कारण बनती है। स्वच्छता तक पहुँच में सुधार करके, एसीबीएम ने शिशु मृत्यु दर को कम करने में योगदान दिया है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ स्वच्छ जल और स्वच्छता तक पहुँच अक्सर सीमित होते हैं।

कुपोषण और बौनेपन की समस्या का समाधान :

  • नेचर अध्ययन ने बेहतर स्वच्छता और बच्चों में स्टंटिंग (उम्र के हिसाब से कम ऊँचाई) और वेस्टिंग (ऊँचाई के हिसाब से कम वजन) में कमी के बीच संबंध पर प्रकाश डाला। खराब स्वच्छता और दूषित पानी कुपोषण और बार-बार होने वाले संक्रमणों में योगदान देता है, जो बच्चों के विकास में बाधा डालता है।
  • इन मुद्दों को संबोधित करके एसबीएम में पोषण परिणामों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने की क्षमता है। जल जीवन मिशन जैसे कार्यक्रमों के साथ एकीकरण के माध्यम से मिशन की सफलता को और बढाया जा सकता है, जिसका उद्देश्य 2024 तक सभी घरों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना है।
विस्तार और चुनौतिया :


जबकि एसबीएम ने स्वच्छता संबंधी बुनियादी ढांचे के निर्माण में महत्वपूर्ण प्रगति की है, फिर भी खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) क्षेत्रों की स्थिति की स्थिरता और लोगों द्वारा शौचालयों का उपयोग जारी रखने के लिये निरंतर व्यवहार परिवर्तन अभियानों की आवश्यकता के बारे में सवाल उठाए गए है।
मोदी सरकार ने जन धन और डिजिटल भुगतान जैसी पूरक योजनाओं को लागू किया है, जिससे वित्तीय समावेशन और सेवाओं तक बेहतर पहुँच में मदद मिली है। हालांकि मृदा स्वास्थ्य कार्ड और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसे अन्य कार्यक्रमों को मिली-जुली सफलता मिली है, जिससे यह पता चलता है कि दीर्घकालिक कार्यक्रम की सफलता के लिये निरंतर हस्तक्षेप महत्वूपर्ण है।

प्रौद्योगिकी और डिजिटल भुगतान की भूमिका :


डिजिटल भुगतान और वित्तीय समावेशन ने एसबीएम की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यूपीआई जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से परिवारों को सब्सिडी और प्रत्यक्ष लाभ प्रदान करके, सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि परिवारों को शौचालय बनाने और बनाए रखने के लिये आवश्यक वित्तीय सहायता मिले।
इसके अतिरिक्त, शौचालय निर्माण और उपभोग पर नजर रखने के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया गया है, जिससे कार्यक्रम के कार्यान्वयन में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित हुई है।

आगे का रास्ता :


स्वच्छ भारत मिशन की सफलता दर्शाती है कि बडे पैमाने पर सामाजिक परिवर्तन हासिल करने के लिये निरंतर हस्तक्षेप आवश्यक है। स्वच्छ जल तक पहुँच और निरंतर स्वास्थ्य और स्वच्छता शिक्षा के साथ स्वच्छता कार्यक्रमों का विस्तार, यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण होगा कि स्वच्छ भारत मिशन के लाभ बरकरार रहें।
चूंकि भारत का लक्ष्य 2024 तक सार्वभौमिक स्वच्छता और स्वच्छ जल तक पहुँच प्राप्त करना है, इसलिये एसबीएम को जल जीवन मिशन जैसे अन्य कार्यक्रमों के साथ एकीकृत करना और समुदाय आधारित व्यवहार परिवर्तन अभियानों पर ध्यान केन्द्रित करना आवश्यक होगा।

निष्कर्ष :


स्वच्छ भारत मिशन एक परिवर्तनकारी पहल रही है जिसने भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता में उल्लेखनीय सुधार किया है। लाखों घरेलू शौचालयों का निर्माण करके और स्वच्छता के महत्व को बढावा देकर स्वच्छ भारत मिशन ने हजारों शिशु मृत्यु को रोका है और जलजनित बीमारियों के प्रसार को कम किया है।
हालांकि, यह सुनिश्चित करने के लिये निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है कि भारत खुले में शौच से मुक्त रहे, स्वच्छता के बुनियादी ढांचे, स्वच्छ जल की पहुँच और सार्वजनिक स्वास्थ्य शिक्षा में निरंतर निवेश के साथ।
स्वच्छ भारत मिशन की सफलता भविष्य की सरकारी पहलों के लिये एक मॉडल के रूप में कार्य करती है, यह दर्शाती है कि निरंतर हस्तक्षेप दीर्घकालिक परिवर्तन ला सकती है और लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बना सकता है।

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